{किश्त73}
भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय के 11वें मुख्य न्यायाधीश हिदायत उल्ला ने रायपुर छत्तीसगढ़ के गौरमेंट स्कूल में पढ़ाई की थी।पहले मुस्लिम सीजे आई ने वसीयत में मौत के बाद दाह संस्कार की इच्छा जाहिर की थी और उनका दाह संस्कार किया गया।धर्मनिरपेक्षता की मिसाल थे वे।हिदायत उल्ला का जन्म 1905 में लखनऊ में हुआ था,पिता खानबहादुर मो.विलायत उल्ला एक प्रशासनिक अफसर थे और उन्हें बस्तर स्टेट का राजस्व अफसर भी बनाया गया था।तब बस्तर में पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था नहीं थी इसलिये उन्होंने बैरनबाजार में अकबर मंजिल के करीब हक मंजिल को ही अपना स्थायी निवास बनाया था।बड़ी दीवार और पत्थरों का यह मकान बिकता रहा,बाद में जर्ज़र होने के कारणढहा दिया गया और यादें हीबची रह गई है।खैर सन1922 में हिदायतुल्ला गौरमेंट स्कूल में पढ़ते थे,उच्च शिक्षा के लिये मोरिस कॉलेज नागपुर चले गये थे।सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए नागपुर,जबलपुर हाईकोर्ट के जज होते हुए सर्वोच्च न्यायालय के 25 फरवरी 1968 से 16 दिस म्बर 70 तक चीफ जस्टिस रहे।इसी बीच 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 69 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति और 31अगस्त 1979 से 1984 तक उपराष्ट्रपति भी रहे। 43 साल की उम्र में हिदायतुल्ला ने एक हिन्दू महिला पुष्पा शाह से अंत र्जातीय विवाह कर लिया।पुष्पा अच्छे ख़ानदान से थीं,उनके पिता एएन शाह आईसीएस(भारतीयइनकम टैक्स अपीलेँट ट्रिब्यूनल)थे।इस विवाह का नागपुर में तब तत्कालीन परिस्थितियों में काफ़ी सम्मान हुआ था।हिदायतुल्लाह का निधन 18सितंबर 92को होगया।उनकी मौत हार्टअटैक की से हुई थी।हिदायतुल्लाह की वसीयत के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति- रिवाज से मुंबई में किया गया था,क्योंकि मरने के बाद दफनाने नहीं बल्कि जलाने की इच्छा जाहिर की थी।यहाँ यह बताना जरुरी है कि सेवानिवृत होकर वे बंबई में बस गये थे। वैसे भारत-पाक बँटवारे के बाद उनके भाई इकराम उल्ला (आईसीएस)पाक चले गये वहाँ विदेश सचिव तथा बाद में मंत्री भी बने।