जबलपुर। हाथरस कांड की जांच कर रही उत्तर प्रदेश की एसआईटी को एक बेहद महत्वपूर्ण सुराग मिला है… इस मामले में मध्यप्रदेश के जबलपुर का कनेक्शन मिला है.। जबलपुर की एक महिला डॉक्टर हाथरस कांड के द्वारा के बाद तीन दिन तक उस परिवार के साथ रही… इस डॉक्टर महिला पर आरोप है कि उसने मीडिया से मृतका की भाभी बन कर बात की थी जबकि उसका पीड़ित परिवार से ना तो कोई रिश्ता है और ना ही किसी भी तरह का कोई संबंध है… तो आखिर जबलपुर की महिला डॉक्टर हाथरस क्यों गई थी??? उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी इस बात की जांच करने के लिए जल्दी ही जबलपुर पहुंचने वाली है… जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में फोरेंसिक एक्सपर्ट की पोस्ट पर तैनात डॉक्टर राजकुमारी बंसल से जब यह सवाल किया गया कि वे हाथरस क्यों गई थी तब उनका जवाब था कि हाथरस मे जो कुछ भी वहां पर हुआ था उसको लेकर बेहद परेशान थी और 3 सितंबर को जबलपूर से हाथरस के लिए अकेले ही रवाना हुयी थी और उसके बाद 6 सितंबर तक उसी परिवार में उसी घर में रहीं और पीड़िता के परिवार की मदद कर रही थीं.. उन्होने अपने ऊपर भीम आर्मी या अन्य संगठन से संबंध होने से साफ इंकार किया है.।
*( हाथरस कांड मे नकली भाभी, भीम सेना, नक्सल संगठन, मॉरिशस और उज्बेकिस्तान की भूमिका जांच के घेरे में है)*
चर्चा है कि हाथरस कांड में पीड़िता की भाभी बन कर मीडिया से बात करने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल की पहचान उजागर हो गई है… वे जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में बतौर चिकित्सक कार्यरत है… उन्होंने हाथरस जाने के लिए तीन दिन की छुट्टी ली थी और उसके बाद 3 तारीख को जबलपुर से हाथरस के लिए रवाना हुई थी और 4 तारीख को भीड़ की शक्ल में शामिल होकर पीड़िता के घर तक पहुंच गई थी और उसके बाद 6 तारीख की रात को उन्होंने पीड़िता का घर छोड़ा और जबलपुर वापस आयीं.। डॉक्टर राजकुमार बंसल पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं जिनका उन्होंने सीधे तौर पर जवाब भी दिया है जब उनसे पूछा गया कि वह हाथरस क्यों गई थी तो उन्होंने बहुत सीधे तरीके से बताया कि इस घटना से बेहद व्यथित हो गई थी और उन्हें लगा कि पीड़ित परिवार की वहां जाकर ही मदद करना चाहिए इसलिए हाथरस गयी थी… उस पीड़ित परिवार से उनकी कोई रिश्तेदारी नहीं है ना ही कोई जान पहचान और ना ही कोई अनजाना संबंध… जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने पीड़िता की भाभी बन कर मीडिया से बात क्यों की.. इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने मीडिया से बात करते समय अपने आप को कभी भी भाभी नहीं कहा मीडिया ने उन्हे भाभी संबोधित किया है.। भीम आर्मी या नक्सली संगठनों से संबंध पर उनका कहना है कि वे शासकीय सेवा में पदस्थ हैं उनका किसी संगठन से कोई लेना देना नहीं है…
यह तो हुई डॉक्टर राजकुमारी बंसल के जवाब…. लेकिन यहां पर अभी भी कई सवाल ज्यों के त्यों खड़े हैं सबसे पहला सवाल तो यही है कि पूरा देश इस घटना से व्यथित था तो क्या पूरे देश के सभी नागरिक उस पीड़िता के परिवार से मिलने चले जाते… दूसरा सवाल यही है कि डॉक्टर राजकुमारी बंसल का पीड़ित परिवार से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं था इसके बावजूद वे उसके घर पर रुकीं… तीसरा सवाल कि क्या उनके अतिवादी संगठनों से संबंध है इनके जवाब भले ही राजकुमारी बंसल ने कुछ भी दिए हो लेकिन जवाब पूरी तरह से सही नहीं माने जा सकते हैं… इसकी वजह भी है सुरक्षा एजेंसियों ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल करना शुरू की तो उन्हें एक अहम जानकारी मिली और वह जानकारी यह थी कि हाथरस सहित पूरे उत्तर प्रदेश में दंगे कराने की साजिश थी इसके लिए मॉरीशस के रास्ते कुछ अतिवादी संगठनों को पैसा भेजा गया… करोड़ों रुपए की रकम इस बहाने अतिवादी संगठनों के पदाधिकारियों को बांटी गई….. पदाधिकारियों ने यह रकम इन संगठनों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं तक भेजी और फिर इन्हें हाथरस पहुंचने के निर्देश दिए गए..जांच एजेंसी को शक है कि डा राजकुमारी बंसल को भी फंडिंग हो सकती है… इधर जांच एजेंसी को हाथरस कांड में नक्सल संगठन के स्लीपर सेल के एक्टिव होने की जानकारी मिली है जांच एजेंसी इस लिंक को खोजने का प्रयास कर रही है. डा राजकुमारी बंसल जब हाथरस में थी उतने दिन उनके मोबाइल फोन की लोकेशन उज्बेकिस्तान बता रही थी, यह तीन बातें एक सुनियोजित षड्यंत्र की तरफ इशारा कर रही है… यही वजह है कि डा राजकुमारी बंसल अब जांच एजेंसी के राडार पर हैं।