देवी के आगे हनुमान और पीछे भैरव बाबा की फोटो….. और रतनपुर में इसी क्रम में हैँ अति प्राचीन मंदिर…

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छत्तीसगढ़ का रतनपुर क्षेत्र माँ महामाया,कालभैरव के लिये प्रसिद्ध है वहीं गिरिजा बंध हनुमान मंदिर (नारी के रूप में पुजित )भी चर्चा में रहता है। हमने बचपन से अभी तक फोटो में देखा है कि देवी की फोटो के आगे हनुमान तथा देवी के पीछे भैरव बाबा दिखाई देते हैं, अब देवी की उसी फोटो के आधार पर कल्पना करें कि कभी राजधानी रही धार्मिक नगरी रतनपुर में बीच में माँ महामाया का मंदिर है,तो उसके आगे ही गिरिजाबंध हनुमान का प्राचीन मंदिर है और पीछे काल भैरव का प्राचीन मंदिर स्थापित है, यह रतनपुर की पवित्रता, धार्मिक स्थल होने की गवा ही देने का बड़ा उदाहरण ही तो है, कुछ फोटो में तो हनुमान और भैरव बाबा को मां दुर्गा के साथ दिखाया जाता है क्योंकि इन देवता ओं का मां दुर्गा से गहरा नाता रहा है।हनुमान, अव तार माने जाते हैँ , उनकी पूजा भक्तों में बहुत लोक प्रिय है। हनुमान,भगवान शिव के रुद्रावतार माने जाते हैं और उन्होंने लंका जलाने वाले भयंकर दुष्ट रावण को सबक सिखाया था। मां दुर्गा एक महाशक्ति हैं जो भयंकर रूप लेकर असुरों का संहार करती हैं। हनुमान और मां दुर्गा दोनों ही दुष्टों के नाश के लिए जाने जाते हैं। वहीं, भैरव बाबा को मां दुर्गा का एक अग्रणी सेवक माना जाता है। भैरव बाबा एक अत्यंत भयंकर देवता हैं,असुरों के नाश के लिए प्रयोग किये जाते हैं। मां दुर्गा के शक्ति से प्रेरित भैरव बाबा दुष्टों को नष्ट करते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं।हनुमान जी और भैरव बाबा को मां दुर्गा के साथ दिखाया जाता है क्योंकि वे दोनों ही दुष्टों के नाश के लिए हैं।रामायण काल में हनुमान की सेवा औरभक्ति ने श्रीराम के कष्ट निवारण किये थे,यही वजह है किश्रीराम की कृपा पाने, हनुमान की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है, हनुमान, माता जगदम्बा के भी सेवक हैं,मान्यता है कि माता के आगे-आगे हनुमान चलते हैं तो पीछे- पीछे भैरवजी….।कहा तो आज भी जाता है कि अमर होने के नाते आज हनुमान का अस्तित्व है,मां के साथ हनुमान,भैरव की पूजा से सभी मनवांछित फल ही मिलते हैं।एक और मान्यता है कि मां सीता,सती, मंदो दरी समेत रामायण काल की ही कई महिलाएं शक्ति का प्रतीक थीं,जिनकी रक्षा तथा मदद करने हनुमान, माता के परम सेवक बने, इसी तरह भैरव भी मां के सेवक बने रहें, इसलिये देश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में एक माँ वैष्णो देवी के दर्शन को तभी पूरा माना जाता है जब श्रद्धालु भैरव और बज रंगबली के दर्शन और पूजन कर लें…।

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