गुरुनानक देव भी आ चुके हैं छत्तीसगढ़,5 एकड़ जमीन है उनके नाम….!

{किश्त 108}

सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानकदेव का ज्योति जोत पर्व पूरे देशभर में मनाया जाता है, पर यह पर्व छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित “नानक सागर” गांव में भी बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।नानक सागर गांव वही गांव है जहां आज से करीब 517- 518 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानकदेव पधारे थे।नानक देव के आगमन ने नानक सागर गांव को अमर कर दिया है।गांव को स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है।इसके साथ ही यह गांव आदर्श ग्राम का दर्जा भी रखता है। इस गांव को छत्तीसगढ़ में सिखों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है।

कैसे पड़ा गांव का नाम

महासमुंद मुख्यालय से लगभग 110 किमी दूर बसना विकासखंड में स्थित नानक सागर गांव में सन् 1506 में गुरुनानकदेव का आगमन हुआ था।बताया जाता है कि गुरुनानक उस समय पुरी यात्रा पर थे,पर भैना राजा के आग्रह पर नानकदेव इस गांव में पधारे थे।गुरुनानक यहां पर दो दिन रुकने के बाद पुरी की यात्रा पर निकल गए थे,यहां सदियों से रहने वाले बंजारा समाज के लोग उस समय नानकदेव के साथ पुरी की यात्रा पर गए थे।तब गांव का नाम रानीसागर था पर गुरु के आगमन के बाद गांव का नाम बदलकर “नानक सागर” हो गया।

आदर्श ग्राम है”नानक सागर”

नानकसागर गांव के इतिहास से साथ ही वर्तमान को देखें तो यह एक मिसाल कायम करता है।एकता और अखंडता के प्रतीक इस गांव के सभी घर एक ही गुलाबी रंग में रंगे गये हैं। लगभग 800 लोगों की आबादी वाले इस गांव में कभी चुनाव नहीं होता। यहां सभी पद सर्व सम्मति से निर्विरोध चुने जाते हैं।नानकसागर का आज तक कोई भी मामला पुलिस थाने में दर्ज नहीं हुआ है।इस गांव से न तो कोई राजस्व का मामला है और ना ही कोई वन विभाग का मामला है।यहां रहने वाले बड़े गर्व से बताते हैंकि गुरुनानक,जिस स्थान पर विराजमान हुए थे,”नानक डेरा” चबूतरे पर सारे विवाद अपने-आप सुलझ जाते है। नानकसागर गांव का इतिहास सामने आने के बाद सिख श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

सिख युवाओं ने खोजा

रायपुर के कुछ सिख युवाओं को ‘नानकसागर’ के बारे में पता चला,उन्हें पता चला कि यहां के लोग गुरुनानक देव को मानते हैं।इसके बाद युवकों ने नानक सागर को खोजना शुरू किया। यह सारी जानकारी लगभग दो साल पहले सामने आई थी। एक युवा ने बताया कि गुरुनानक की याद में तत्कालीन भैना राजा ने 5 एकड़ जमीन भी लिख दी थी।सरकारी रिकॉर्ड में गुरुनानक के नाम से 5 एकड़ जमीन दर्ज है।

मिला राष्ट्रपति पुरस्कार

“नानकसागर” गांव अब तक जिले का सबसे सुंदर और सबसे स्वच्छ गांव है. यहां गुलाबी घरों के सामने फूल,पौधों की सजावट के साथ ही गांव की गलियां भी गमलों,पौधों और पेड़ों से सजी हुई हैं,नानकसागर गांव को स्वच्छता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं।

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