स्वर्ण जयंती वर्ष में विशेष आयोजन
कदम कदम पर हुआ माता का उत्साहपूर्ण स्वागत
रायपुर । कोरोना संक्रमण काल के बाद हो रहे श्री शोलापुरी माता पूजा उत्सव में श्रद्धालू स्वयं को रोक नही सके और घर घर से निकल कर माता जी के आगमन का आत्मीयता श्रद्धा भक्ति और भावविभोर हो कर स्वागत किया।
समिति के अध्यक्ष एम श्रीनिवास राव ने जानकारी देते हुए बताया कि WRS माता पूजा उत्सव का इस वर्ष स्वर्ण जयंती वर्ष है। इसके लिए समिति के सदस्यों ने पिछले एक महीने से तैयारी की है। ऐसी मान्यता है कि जिस तरह हम अपनी बहन बेटी को वर्ष में एक बार ससुराल से मायके लाते हैं उसी तरह हम नगरवासी भी माताजी को उनके ससुराल से मायके लाते हैं। पूरे नौ दिनों तक उनकी भरपूर भोग श्रृंगार वस्त्र आभूषणों और श्रद्धा भक्ति से श्री शोलापुरी माताजी की आवभगत सेवा सत्कार की जाती है। प्रत्येक श्रद्धालु भक्त अपनी अपनी यथा शक्ति भक्ति अनुरूप माताजी को समर्पण करता है फिर 10 वें दिन माताजी को 21, 51 व्यंजनों का भोग, पूर्ण श्रृंगार, फल पुष्प अर्पित कर उन्हें विशाल जुलूस ढोल बाजे गाजे, नगाड़ों की धुन और विभिन्न स्वांग वेश भूषा में श्रद्धालू माता जी को उनके ससुराल के लिए विदा करते हैं। अपने नगर वासियों को सुख शांति समृद्धि मनोकामना पूर्ण करने वाली श्री शोलापुरी माता जी आज शाम 7 बजे माता मंदिर WRS कॉलोनी से निकल कर अपने मायके WRS कॉलोनी परिसर के विशाल प्रतीकात्मक स्वर्ण पंडाल में विराजित होंगी।।
समिति के सचिव के विजय कुमार ने बताया कि माताजी का आगमन शोभयात्रा लगभग 10 KM भ्रमण करते हुए पूजा पंडाल में विराजित हुई। जगह जगह लोगों ने कहीं मनमोहक आतिशबाजी करके माता जी का स्वागत किया तो कहीं पुष्पवर्षा वर्षा करके अभिनंदन किया। वहीं हजारों की संख्या में माताओं बहनों ने हल्दी पानी नीम के पत्तों से श्री शोलापुरी माता जी के पांव पघारे।
उन्होंने बताया कि तीन बालपुजारी इस पूजा में होते हैं जो कि माताजी को अपने सर पे धारण करते हैं । 10 km की यात्रा तय करते हुए पूजा पंडाल में विराजित करते हैं और पूरे 9 दिनों तक कड़े नियमों के पाबंदियों में रहकर माताजी की सेवा में दिनरात पंडाल में ही रहते हैं। माता जी को प्रतिदिन अलग रूपों में श्रृंगारकर करने हेतु पक्षिम बंगाल से विशेष इसी पूजा के लिए निर्धारित पंडित बुलवाए गए हैं। श्री मोहन राव जी जिन्होंने माता मंदिर में कलश में माताजी को हल्दी सिंदूर कुमकुम मोगरे के फूलों से अलौकिक रूप प्रदान किया, फिर मंत्रोपचार के साथ पूजा प्रारंभ कर मंदिर प्रांगण से माता जी को लेकर शोभायात्रा के साथ चल पड़े। माताजी के अदभुद सौंदर्य के दर्शन कर श्रद्धालु स्वंय को रोक नही पा रहे थे। माता जी के साथ पारंपरिक रूप से पंखा और विशेष छतरी भी साथ साथ चल रहे थे। विशेष ढपली की थाप पर श्रद्धालु नाचते गाते हुए माताजी को मायके लाने के उत्साह में डूबे हुए थे। श्रद्धा भक्ति समर्पण से सराबोर श्रद्धालु पल पल माताजी के स्वर्ण श्रृंगार के दर्शन कर रहे थे। माताजी को लगातार धुनें की खुशबू के साथ लाया जा रहा था। लोग तो मानों भक्ति के अविरल प्रवाह में बहते चले जा रहे हो। भक्तों की संख्या तो कोई समंदर की लहरों की तरह लग रही थी। कोई स्वयं के सुध में ही नही लग रहा था। सभी लोग आस्था भक्ति में मानों गोते लगा रहे थे। फिर पूजा पंडाल में भव्य आतिशबाजी के साथ माता जी को विधिविधान पूर्वक विराजमान किया जावेगा