भाजपा सरकार द्वारा आयोगों में हुई नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला असंवैधानिक व राजनैतिक विद्वेष का प्रती
भोपाल। मध्यप्रदेश महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों में की गई नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला न केवल असंवैधानिक है बल्कि राजनीतिक विद्वेष की भावना का निंदनीय प्रतीक है।
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने यह भी कहा की आयोग संवैधानिक संस्था होते हैं और उनके अपने नियम व अधिनियम होते हैं, जिनके तहत ही वे अध्यक्षों या सदस्यों को हटा सकते हैं। उपरोक्त संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और वे सदस्य जिनकी नियुक्तियां शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुई थीं, उनको हटाने की कोई पहल कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में नहीं हुई, यह एक तरफ तो संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान का द्योतक था, वहीं इसे राजनीतिक शुचिता का प्रतीक भी माना जाएगा, जिसका अनुसरण भाजपा की नई सरकार अपनी द्वेषपूर्ण नीति के चलते नहीं कर रही है।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि प्रदेश की नई सरकार के इस तानाशाही और द्वेषपूर्ण फैसले के खिलाफ हम न्यायालय की शरण में जाएंगे, देश की न्यायपालिका और संविधान के प्रति हमारे अटूट भरोसे के चलते, हम यह कह सकते हैं कि वहां सच्चाई की जीत अवश्य होगी।