सरकार बहुमत से चलती है, लेकिन देश सर्वसम्मति से चलता है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जनसंघ के संस्थापकों में से एक रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके पर भाजपा कार्यकर्ताओं और सांसदों को संबधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत की विदेश नीति दबाव से मुक्त होकर राष्ट्र प्रथम की भावना से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी विचारधारा देशभक्ति की है, हमारी राजनीति में भी राष्ट्रनीति सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को खोला, उन्हें जो सम्मान मिलना था वो हमारी सरकार ने दिया। सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवाकर हमने उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं बल्कि कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत से चलती है लेकिन देश सर्वसम्मति से चलता है।

यहां पढ़ें प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें-
टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल आपको अपने क्षेत्र के लोगों से कनेक्ट करने में बहुत मदद कर सकता है। इसका एक अहम माध्यम नमो एप भी है। नमो एप पर जो टूल्स हैं, वो आपको जनता जनार्दन से संवाद में सहायता कर सकते हैं और इसकी अच्छी एक बड़ी ताकत ये है कि ये टू वे कम्युनिकेशन का भी बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। आप लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं और लोग भी उतनी आसानी से अपनी बात आप तक पहुंचा सकते हैं।डिजिटल लेन-देन करना अब लोगों के व्यवहार का हिस्सा बनता जा रहा है।

टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल की वजह से अब गरीब से गरीब व्यक्ति अपना हक़ बिना किसी भ्रष्ट्राचार के पा रहा है।ये हमारी ही सरकार है जिसने थी नेताजी को वो सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे, उनसे जुड़ी हुई फाइल्स को खोला।

सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवाकर हमने उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। बाबा साहब अंबेडकर को भी भारत रत्न तब मिला जब बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी थी।हमारी पार्टी, हमारी सरकार आज महात्मा गाँधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो हमें प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं। हमने बापू की 150वीं जन्मजयंती भी मनाई, और उनके आदर्शों को अपनी राजनीति में, अपने जीवन में भी उतारा।

राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है। आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है। हां, ये बात जरूर है कि हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है।

प्रणब मुखर्जी, तरुण गोगोई, एससी जमीर इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे। लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।

हमारे राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें।
देश में नए जनजाति कार्य मंत्रालय का गठन भाजपा की ही सरकार में हुआ है। ये भाजपा सरकार की ही देन है कि पिछड़ा आयोग को देश में संवैधानिक दर्जा मिल सका है और ये भाजपा की सरकार है जिसने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी आरक्षण देने का काम किया है।

हमारी पार्टी ने अपनी सरकारों में ऐसी कितनी ही उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर आपको गर्व होगा, आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा। जो निर्णय देश में बहुत कठिन माने जाते थे, राजनीतिक रूप से मुश्किल माने जाते थे, हमने वो निर्णय लिए, और सबको साथ लेकर लिए।
हमें गर्व होता है कि हम अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा कर रहे हैं। हमें गर्व है कि हमारी विचारधारा देशभक्ति को ही अपना सब कुछ मानती है। हमारी विचारधारा राष्ट्र प्रथम, नेशन फर्स्ट की बात करती है।
लोकल इकॉनमी पर विज़न इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी। आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है।
आज भारत में डिफेंस कॉरिडॉर बन रहे हैं, स्वदेशी हथियार बन रहे हैं, और तेजस जैसे फाइटर जेट्स भी बन रहे हैं। हथियार के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता से अगर भारत की ताकत और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, तो विचार की आत्मनिर्भरता से भारत आज दुनिया के कई क्षेत्रों में नेतृत्व दे रहा है। आज भारत की विदेश नीति दबाव और प्रभाव से मुक्त होकर, राष्ट्र प्रथम के नियम से चल रही है।

1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान भारत को विदेशों से हथियारों पर निर्भर होना पड़ा था। दीनदयाल जी ने कहा था कि- हमें सिर्फ अनाज में ही नहीं बल्कि हथियार और विचार के क्षेत्र में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा।
कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा, और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की। आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं, और आज वैक्सीन पहुंचा रहा है।
सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं। एक ओर वो भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे। हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे।
एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा
मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है।
आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं।
आज हम सब दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उनके चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेक अवसरों पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने, विचार रखने और वरिष्ठ जनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है।

 

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