{किश्त 210}
बादशाह औरंगजेब की कैद से निकल छत्रपति शिवाजी महाराज, सरगुजा केजंगलों सहित रतनपुर के नवांचलों में गुजारने के बाद चंद्रपुर (विदर्भ)होकर रायगढ़(महा राष्ट्र) के किले में पहुंचे थे।14 अगस्त 1666 से 22 सितंबर 66 तक कुछ समय छत्तीसगढ़ मेँ भी गुजारा था, सनसनीखेज तथ्य यह है कि मुगल बादशाह औरंग जेब ने छल से शिवाजी को 1966 में आगरा के किले में कैद कर लिया था,1666 में औरंगजेब को शिवाजी, उनके 9 वर्षीय बेटे संभाजी के साथ 50 वें जन्मदिन के अवसर पर एक योजना के तहत आमंत्रित किया था। शिवाजी को कंधार,अफगा निस्तान भेजने की योजना थी, मुगल साम्राज्य सीमा के उत्तर पश्चिमी,अदालत ने हालांकि 1666 मई 12, औरंगजेब के बारे में उनकी अदालतमें सैन्य कमांडरों के पीछे खड़ा कर दिया, शिवाजी को अपमान प्रती यमान के अपराध में ले लिया,अदालत के बाहर हमला कर दिया और तुरंत गिरफ्तार कर लिया।आगरा कोतवाल को जासूसों से पता चला है कि औरंगजेब शिवाजी को राजा हवेली स्थित अपने निवास ले जाने के लिए और फिर संभवत: उसे मारने के लिए या उसे अफगान सीमा में लडऩे भेजने की योजना बनाई है , इस पर शिवाजी ने भागने की योजना बनाई।उनके अनुरोध पर मंदिरों मेंआगरा दैनिक लदान के मिठाई, संतों को उपहार, प्रसाद के रूप में भेजने की अनुमति दी और कई दिनों के बाद शिवाजी,मिठाई, सामग्री बाहर भेजने बक्से में अपने 9 साल के बेटे संभाजी, खुद को बक्से में छिपादिया और भागने में कामयाबरहे।14अगस्त 1666 को बड़ी चतुराई से शिवाजी कैद से भागने में सफल हो गये थे।प्रमाणिक जानकारी के अनु सार मुगलों को शिवाजी के कैद से भागने की खबर मिली तो मुगलों ने रायगढ़ (महाराष्ट्र) किले की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर मोर्चाबंदी की थीं, शिवाजी महाराज दक्षिण की ओर न जाकर उत्तर-पूर्व की ओर से जाना ही उचित समझा। वे उस समय इटावा,कान पुर,इलाहाबाद,वाराणसी से मिर्जापुर पहुंचे। वहां से सर गुजा-रतनपुर-चंद्रपुर से चिन्नूर,करीमगंज,मुलबर्ग मंगलबेड़ा होकर वापस राय गढ़(तब विदर्भ)किले में पहुं चने में सफल हो गये, शिवा जी ने छग के सरगुजा रतन पुर के वन्य क्षेत्रों में कितने दिन गुजारे,चंद्रपुर(महाराष्ट्र) कब गये यह तिथि ज्ञातनहीं हो सकी है परंतु आगरा में औरंगजेब की कैद से वे 14 अगस्त 1666 के दिन भाग निकले थे,22 सितंबर 16 66 को वापस रायगढ़ किले पहुंचे थे। इसका मतलब यही है कि एक महीने 8 दिन में से कुछ दिन जरूर छत्तीसगढ़ प्रवास पर रहे थे?जयराम पिण्डे (1673) भीमसेन सक्सेना (1966) ने लेख में खुलासा किया था,वहीं शिवाजी महाराज के भागने के मार्गों का भी जिक्र किया था। बादशाह औरंगजेब का इतिहास लिखने वाले खाफी खां ने भी इसका उल्लेख किया है।मुगलकालीन इतिहास के लिये खाफी खां को प्रमा णिक माना जाता है।उन्होंने भी शिवाजी के औरंगजेब की कैद से भागने के मार्ग और क्रिया कलापों का उल्लेख किया है।पुष्ट जान कारी के अनुसार शिवाजी महाराज ने मुगलों की कैद से भाग आगरा से अपने पुत्र संभाजी को दासोजी पंत के पास छोड़ दिया,बाद में कृष्णपंत के साथ फतेह पुर के पास यमुना पार किया, दक्षिण जाने के मार्ग पर मुगलसेना, शिवाजी को तलाश रही थी इसलिये वे इटावा, कानपुर,इलाहाबाद होते हुए वाराणसी पहुंचे थे, वाराणसी से मिजापुर होकर सरगुजा (छत्तीसगढ़) पहुंचे?यहां जंगलों से होकर वे रतनपुर पहुंचे, सुदूर और वनांचल क्षेत्र के साथ हीउस समय सरगुजा- रतनपुर के जंगल काफी दुर्गम होने के कारण सुरक्षित थे। रतनपुर से शिवाजी,चंद्रपुर(विदर्भ) से चिन्नूर, करीम गंज, गुल बर्ग, मंगलबेड़ा होकर 22 सितंबर 1666 को रायगढ़ जिला वापस पहुंच गये थे।