रमेश भट्ट,कोटा- बिलासपुर मंडल अंतर्गत बेलगहना वन परिक्षेत्र में हो रहे लाखों रुपए का चेकडैम निर्माण कार्य में शासन द्वारा निर्धारित नियम कायदों को ताक पर रख निर्माण कार्य कराया जा रहा है निर्माण में गुणवत्ता हीन कार्य और ठेकेदार द्वारा हो या फिर फारेस्ट विभाग द्वारा उपकृत किए जाने का प्रमाण है कि अधूरे चेकडैम में जगह जगह दरार पड़ गए हैं जो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी की मिली भगत को उजागर करने काफी है।




बेलगहना वन परिक्षेत्र अंतर्गत पहाड़ियों पर बसा ग्राम पंचायत कुरदर के निकट चिखला डबरी बस्ती जंगल से निकलने वाले कौहा नाला पर वन विभाग लग – भग 50- 50 लाख रुपए का चेक़ डेम का निर्माण कर रहा है निर्माण स्थल पर ना तो निर्माण से संबंधित न तो कोई सूचना पटल( बोर्ड) लगाया गया है , ना ही निर्माण कार्य की लागत,आरंभ करने की तिथि ना समाप्ति तिथि,ना ही निर्माण एजेंसी की कोई जानकारी वहाँ पहुँचने वाले आमजनता को भी नहीं मिल रही है।
ऊपर से मौके पर पहुंच कर खींची गई तस्वीर में भारी अनियमिता और भृष्टाचार किये जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मौके मुआयना करने पर चेक़ डेम का काम अधूरा नजर आता है जो मानसून की पहली और मध्यम बारिश से कौहा नाले में बने निर्माणाधीन चेकडैम में कई जगह दरारें पड़ गई हैं, जिससे अंदाज लगया जा सकता है कि निर्माण कार्य में अनियमितता बरती गई है और गुणवत्ताहीन कार्य को अंजाम दिया गया है।
सामान्य रूप से अगर हल्की बारिश में चेकडैम की संरचना में दरार पड़ रहा तो आगे चलकर भारी बारिश में और क्या हाल होगा?
,जब इस संबंध में एसडीओ कोटा डी. एन. त्रिपाठी, से दूरभाष पर जानकारी लेने संपर्क किया गया लेकिन फ़ोन रिसीव ही नहीं हुआ, जिसके बाद बेलगहना के रेंजर विजय साहू से दूरभाष से संपर्क कर उनका पक्ष जानने को कई बार फोन किया गया जिसके बाद सप्ताह बाद कॉल रिसीव किया गया। जिसमें रेंजर विजय साहू का कहना था, की अभी चेक़ डेम का कार्य अभी चल ही रहा है, ढलाई सूखा नहीं था अचानक पानी गिरा जिससे दरार पड़ गया, होगा,
जिम्मेदार अधिकारी की बातों से साफ हो जाता है कि वन विभाग के द्वारा कराया जा रहा चेक़ डेम निर्माण में भ्रष्टाचार जोरों पर है, जिससे अगर अचानक बारिश से दरार पड़ गया,
निर्माण स्थल पर शासन के नियमानुसार बोर्ड नहीं लगाकर अधिकारी आम जनता से निर्माण कार्य से संबंधित जानकारी छिपा रहे हैं दूसरी ओर गुणवत्ता हीन कार्य में ठेकेदार को सहयोग कर रहें हैं जबकि जिम्मेदार अधिकारी को गुणवत्ता हीन कार्य पर उच्च अधिकारियों को जानकारी देते हुए ठेकेदार का भुगतान पर रोक लगाया जाना था लेकिन सूत्रों की माने तो ठेकेदार को भुगतान भी किया गया है।
मतलब जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते लाखों रुपए का चेक डैम,भृष्टाचार की भेंट चढ़ने जा रहा है।
क्षेत्र के सत्ताधारी हो या फिर विपक्ष में बैटे जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि ऐसे मामलों में स्वंय आगे आकर भ्र्ष्टाचार की जांच की मांग करें ताकि उनके क्षेत्र में शासन द्वारा बनाए जाने वाले चेकडेम गुणवत्तापूर्ण दीर्घकालिक बने ताकि क्षेत्र के आमजन लोगों और वन्य प्राणियों को इसका लाभ मिल सके ना कि ठेकेदार और अधिकारी मलाई खा कर मालामाल हों!