{किश्त 166}
तुम्हारे इतने ज्यादा बच्चों का राज क्या है….?हमारा घर रेल लाईन के करीब है, रात में एक बजे एक रेल गुजरती है और हम दोनों की नींद खुल जाती है..!😃..तुम लोग कितने भाई बहन हो….हम लोग 8 हैं.. तुम्हारे माँ बाप क्या करते हैँ… बस यहीच करते हैं…!😃.. देखो तुम्हारे बच्चे रोते रहते हैं और हमारे बच्चे हमेशा हँसते रहते हैं… पागल होंगे….!😃…कुछ इस तरह के चुटकुलों से पता ही नहीं घंटो निकल जाया करते थे और अदरक के पंजे नाम का कॉमेडी शो समाप्त हो जाता था, स्वस्थ मनोरंजन का वह भी दौर था, जिसमें आज की तरह फूहड़ कॉमेडी नहीं होती थी मुख्य पात्र रामसू था,जो हैदराबादी था,उसकी पत्नी और कई बच्चे थे,वह किसी तरह गुजारा की कोशिश करता था, ऐसा करते हुए भारी कर्ज लेता था। रामसू का किरदार खुद लेखक निभाया करता था।कॉमेडी इस पर आधारित होती थी कि कैसे रमसू अपने दोस्तों और परिचितों से निपटता था,जिनसे उसने अपने परि वार को चलाने के लिये छोटी रकम उधार ली थी। रामसू की पत्नी बिपाशा थी जो पति की कम आय से परेशान रहती थी,अक्सर घर चलाने में असमर्थ होने की शिकायत करती थीऔर अपने लिये या तो अनाज या साड़ी की मांग करतीथी, रामसू की प्रतिक्रिया सेहंसी आती थी। नाटक परिवार नियोजन का पालन करने, न्यूनतम बच्चे पैदा करने के संदेश के साथ समाप्त होता था।डिजिटल युग में जन्मे लोगों के लिए यह मानना मुश्किल हो सकता है कि एक समय ऐसा भी था जब भीड़ को थियेटर में भरपूर मनोरंजन मिलता था। उस दौर में मैंने भी रायपुर में यह शो देखा है,एक ख़ास स्टेज शो था जिसे कई बार बल्कि कई सालों तक लोग देखते रहे ।हैदराबादी कॉमे डी नाटक अदरक के पंजे का पहला मंचन 22 सितं बर,1965 को हुआ था। फरवरी 2001 में समाप्त होने से पहले दुनिया भर में इसके 10 हजार से ज़्यादा शो हुए। इस नाटक को 19 84 में सबसे लंबे समय तक चलने वाले एकल शो के रूप में गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल होने का गौरव प्राप्त है। इसे सिर्फ़ हैदराबादी ही नहीं बल्कि दुनिया भर में करोड़ों ने देखा, इसका कई भाषा ओं में अनुवाद किया गया और भारत, दुनिया भर में इसका प्रदर्शन किया गया।अदरक के पंजे नाटक की खासियत इसकी स्क्रिप्ट में मौजूद मजेदार वन-लाइनर्स थे, जिसके बारे में कहा जाता है कि लेखक बब्बन खान ने स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर लिखा था। कहा जाता है कि बब्बन खान को पहले शो के लिए मां के गहने बेचने पड़े थे।हैदरा बादी-दखनी भाषा के मिट्टी के स्वादऔर नाटक में इस्ते माल किए गये मधुर लहजे की वजह से यह पुरानीयादें ताज़ा करता है। पुराने लोग अभी भी याद करते हैं कि कैसे बब्बन खान की पत्नी के साथ नोक-झोंक से घर में चहल-पहल रहती थी और उनके बड़े परिवार और अजीबोगरीब दोस्तों की रोज़मर्रा की माँगों की पृष्ठभूमि में। बब्बन खान, जिनका काव्य कॉमेडी शो ‘अदरक के पंजे’ दुनिया भर में एक बड़ी हिट बन गया था, उन्हें ब्रिटेन के 1984 संस्करण में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला,नाटककार-अभिनेता ने जो विश्वव्यापी ख्याति अर्जित की है, वह उनके नाजुक शरीर पर हल्के से झलकती थी,अदरक के पंजे सबसे लंबे समय तक चलने वाला एकल शो भी था।इस नाटक को दुनिया भर के 60 देशों में, 27 अलग अलग भाषाओं में लगभग 3 करोड़ (30मिलि यन) लोगों ने देखा,नाटक ने अगाथा क्रिस्टी के ‘द माउसट्रैप’ और ‘कोरस लाइन’ को पीछे छोड़ दिया था।जिनके लगभग 7-8 हज़ार शो हुए हैं। यह शो 22 सितंबर 1965 से 11 फरवरी 2001 तक खेला गया। 1984 में सबसे लंबे वन-मैन शो ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में उल्लेख है,जिसका मंचन दुनिया भर के 60 देशों, यूएसए के 25 शहरों और भारत के 65 शहरों (रायपुर में भी)और कस्बों में किया गया है। देश का यह पहला नाटक है जिसे कम्प्यूटरी कृत किया गया है,27 विदे शी भाषाओं में अनुवादित किया गया है।यह वन-मैन शो न्यूयॉर्क में डस्टिन हॉफ मैन के समानांतर चला, बबन खान के ऑटोग्राफ, माइकल जैक्सन और फ्रैंक सिनात्रा के साथ वाशिंगटन ऑडिटोरियम में दिखाई दिये थे। वन-मैन शो ने 35 वर्षों की अवधि में 60 से अधिक देशों की यात्रा की है। इन सभी विस्मयकारी आंकड़ों के बाद,अदरक के पंजे और इसके निर्माता बब्बन खान ने नाटक पर पर्दा डालने का फैसला किया..यानि प्रदर्शन बंद कर दिया…!