निजी उद्योगों के लिये अभिशप्त बस्तर…? टाटा ने भी उद्योग लगाना चाहा था….

{किश्त 95}

आदिवासी अंचल बस्तर उद्योगों के लिए अभिशप्त है…! खास तौर पर निजी उद्योगों के लिए तो यह कहा ही जा सकता है।आजादी के काफी पहले 1930-1935 में जमशेद भाई टाटा ने बस्तर में उद्योग लगाने की पहल की पर यातायात के उस समय साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण यह विचार छोड़ दिया, टाटा उद्योग ने अपने पुरखों का सपना पूरा करने बस्तर में स्टील प्लांट की स्थापना की नींव रखी, निजी जमीन भी अधिग्रहित कर ली गई पर न जाने कि कारणों से बाद में टाटा स्टील प्लांट लगाने का विचार त्याग दिया वो तो भला हो कि भूपेश सरकार बनने के बाद ही अधिग्रहित जमीन लोगों को वापस मिल सकी। सवाल दशकों से उठता आ रहा है बस्तर में आबोहवा,यातायात के ठीक-ठाक साधन,अच्छे मेहनतकश लोग,जल, जंगल,जमीन की सुविधा, भरपूर खनिज होने के बाद भी औद्योगिक घराने पहल करने के बाद पीछे क्यों हट जाते हैं…? इसके लिए केवल नक्सली आतंक को दोष देना ही बेमानी होगा। देश के दूसरे नक्सल क्षेत्रों का तो औद्योगिकीकरण हो ही रहा है।1995 में एनएम डीसी,बैलाडिला परियोजना के फाइनओर के प्रदूषण को दूर करने एस्सार समूह बस्तर पहुंचा था,उसने न सिर्फ समस्या का समाधान किया ‘कचरा’ समझे जाने वाले लौह अयस्क से पहले पैलेट,फिर स्टील बनाने की तकनीक लाकर संभावनायें पैदा कर दी,हालात यह है कि एनएमडीसी कमाई कर रहा है और बस्तर के अब तक के लगभग 2 दशकों के सफर में कई विवाद भी जुड़ गये हैं।अब जबकि एस्सार स्टील बिक चुका है मालिकाना हक आर्सेलर मित्तल निप्पोन को मिल चुका है,मित्तल की कंपनी यूके की है,निप्पोन जापान की दोनों के ज्वाइंट वेंचर बस्तर के बीहड़ों में स्थित एस्सार स्टील की इस परि योजना को कैसे चलाएंगे यह देखना है?इधर हाल ही में एनएमटीसी की नगरनार स्टील को केंद्र सरकार द्वारा पूरा होने के पहले ही निजी करण करने की योजना की भी जमकर चर्चा है,भूपेश सरकार ने स्वयं खरीदकर इसके संचालन का प्रस्ताव रखा था,वैसे भूपेश,छोटे मिनी स्टील प्लांट भी बंजर जमीनों पर लगवाने की पक्षधर थे,पर यह धरातल पर उतर नहीं सकी।वैसे अभी तक के घटनाक्रम तो यही कहते हैं कि निजी उद्योगों के लिए बस्तर अभिशप्त है,ज्ञात रहे कि जोगी सरकार में बस्तर के महेन्द्र कर्मा उद्योग मंत्री भी रह चुके हैँ तो भूपेश बघेल सरकार में क़वासी लखमा दमदार मंत्री रहे, विष्णुदेव सरकार में केदार कश्यप भी दमदार मंत्री हैं,एक समय था कि बस्तर में अरविन्द नेताम, बलिराम कश्यप,मानकूराम सोढ़ी जैसे बड़े नेता बस्तर की बड़ी आवाज़ थे।

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