शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है, हिमाचल प्रदेश की सत्ता उससे कॉंग्रेस ने छीन ली है तो दिल्ली महानगर परिषद भी उसके हाँथ से फिसलकर आप के पास चली गईं है वहीं ‘आप’ ने गुजरात में अपना खाता खोलकर राष्ट्रीय पार्टी बनने की और कदम बढ़ा चुकी है, उधर उप्र के मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में सपा की डिम्पल यादव ने 2लाख से अधिक मतों से भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया है।
देश में गुजरात, हिमाचल प्रदेश में विधानसभा तथा दिल्ली में महानगर निगम चुनाव में क्रमशः भाजपा, कॉंग्रेस तथा आप की जीत से यह तो साफ हो गया है कि अगले साल होनेवाले कुछ राज्यों में चुनाव तथा सन 24 के लोकसभा चुनाव दिलचस्प होंगे।27साल से गुजरात राज्य में सरकार चलाने वाली भाजपा अगले 5 साल काबिज रहेगी।वहाँ उसकी जीत ऐतिहासिक रही, वैसे वहाँ के चुनाव में नरेन्द मोदी और अमित शाह ने कई रैलियाँ, सभा की थीं वहीं पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल वहाँ प्रचार करने गया था।पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार के बाद भाजपा की गुजरात सरकार का रिकार्ड बन चुका है। इस राज्य में कॉंग्रेस का प्रदर्शन जरूर निराशाजनक रहा पर आप का यहाँ पहली बार खाता भी खुला और वह नेशनल पार्टी बनने की और अग्रसर हो रही है। हिमाचल प्रदेश में कॉंग्रेस की सरकार बन रही है। वहाँ कॉंग्रेस से बाहरी नेताओं में प्रियंका गाँधी और छ्ग मुख्यमंत्री तथा चुनाव पर्यवेक्षक भूपेश बघेल ही प्रमुख रहे। वहाँ छ्ग का भूपेश बघेल का ‘छत्तीसगढ़िया मॉडल’ भी खूब चला,प्रत्याशी चयन, प्रचार से लेकर चुनावी घोषणा पत्र बनाने तक भूपेश बघेल की प्रमुख भूमिका रही।पीएम नरेन्द्र मोदी का रिवाज़ बदलने का नारा और उनका चेहरा बेअसर रहा तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (गृह प्रदेश),मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी पूरी तरह फेल माने जा सकते हैं। अति आत्म विश्वास इन्हे भारी पड़ा….ऐसा लगता है ?
जहां तक दिल्ली महानगर निगम चुनाव की बात है तो वहाँ आप का झाड़ू चल ही गया। यहां भाजपा की 15साल की निगम सरकार को हार का सामना करना पडा….। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,17 केंद्रीय मंत्री,8 प्रदेशों के मुख्यमंत्री,सैकड़ों भाजपा सांसद भी गली-गली घूमकर भी कमल को बरकरार नहीं रख सके …. जहाँ तक कॉंग्रेस की बात है तो वह तो पहले से ही वहाँ अपनी वजनदार स्थिति में नहीं थीं, वहाँ उसकी हालत चिंताजनक ही रही…?
छ्ग :एक और उपचुनाव
में कॉंग्रेस की जीत
छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने 21098 मतों से जीत दर्ज की है । कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी को 65327, भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम को 44229 तथा सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम को 23372 वोट मिले।
इस उप चुनाव में ना तो आदिवासी आरक्षण का गणित चला, न ही सर्व आदिवासी समाज का आक्रोश चला… हाँ भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद पर लगे पास्को एक्ट के तहत चले आरोप -प्रत्यारोप का असर जरूर चुनाव परिणाम प्रभावित करने में सफल रहा, आदिवासी समाज ने आरोपी प्रत्याशी को नकार दिया वहीं आदिवासी आरक्षण पर भूपेश सरकार की आरक्षण को लेकर विशेष सत्र बुलाकर विधेयक पारित करने पर एक तरह से अपना समर्थन भी दे ही दिया है।राज्य स्थापना के बाद से प्रदेश में करीब 12 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव हुए हैं। इतिहास रहा है कि लोगों ने उप चुनावों में उसे ही विधायक बनाया जिसकी पार्टी की सरकार रही। जानकारों के मुताबिक इनमें से केवल एक सीट कोटा को छोड़कर बाकी सभी सीटों ऐसा ही हुआ। छ्ग के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद के निधन की वजह से खाली हुई कोटा सीट पर जब उपचुनाव हुआ तब प्रदेश में भाजपा की डॉ रमन सिंह सरकार थी। इसके बावजूद वहां से कांग्रेस की डॉ रेणु जोगी जीती थीं।साल 2018 में दंतेवाड़ा की सीट से भाजपा के भीमा मंडावी ने चुनाव जीता। मंडावी की नक्सल हमले में मृत्यु हो गई थी।सितंबर 2019 में उप चुनाव में दिग्गज कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को जीत मिली। ये सीट अब कांग्रेस के पास है।साल 2019 में चित्रकोट में उपचुनाव हुए। क्योंकि यहां से कांग्रेस के चुने विधायक दीपक बैज बाद में लोकसभा सीट से विजयी हुए, विस यह सीट खाली हुई तो कांग्रेस के ही राजमन बेंजाम ने उप चुनाव जीता और विधायक बने।साल 2020 नवंबर में मरवाही में उप चुनाव हुए। यहां से विधायक रहे छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी की मृत्यु के बाद जनता कांग्रेस से ये सीट कांग्रेस के पास चली गई। कांग्रेस से केके ध्रुव को मौका मिला और वे जीत गए। इसी साल 2022 में खैरागढ़ सीट से जकांछ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद उप चुनाव हुआ कांग्रेस की यशोदा निलाम्बर वर्मा ने जीत गईं थी।
आरक्षण संशोधन
विधेयक और पेंच…
राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह आरक्षण संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा लेकिन इसे लागू करने में कई अड़चनें हैं। सबसे पहली बात सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि किसी भी परिस्थिति में 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इस वजह से इसे लागू करना कठिन है. सरकार का यह भी दावा है कि इस मामले को लेकर संसद में जाएंगे और संसद में आग्रह किया जाएगा कि आरक्षण बढ़ाए जाने वाले कानून को संविधान की अनुसूची 9 में लागू किया जाए।इसके लिए संसद की स्वीकृति जरूरी है, यानी लोकसभा और राज्यसभा में इसकी मंजूरी मिलनी चाहिए।जो कि इतना आसान नहीं है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का मामला भी इस मामले में आड़े आ सकता है। इन परिस्थितियों को देखते हुए लगता है कि वर्तमान में इसे लागू करना काफी कठिन होगा।आरक्षण का मामला हाई कोर्टऔर सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।जैसे ही राज्यपाल की इस पर स्वीकृति मिलेगी, वैसे ही प्रकरण दायर करने वाले लोग हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चले जाएंगे।ऐसे में संसद पहुंचने के पहले ही यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अटक जाएगा। इस वजह से यह नहीं लगता कि निकट भविष्य में इसे लागू किया जा सकता है। यदि इस विधेयक में राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं करती हैं तो ऐसी परिस्थिति में इस बिल को पुनर्विचार के लिए वापस भेजा जाएगा,इसके बाद यदि विधानसभा इसे पुन:पारित कर देती है तो राज्यपाल को उस पर दस्तखत करने ही पड़ेँगे।दूसरी स्थिति यह भी हो सकती कि राज्यपाल इस विधेयक को अपने पास विचार करने के लिए रख ले, इसके पहले भी कई बिल राज्यपाल के पास विचार के लिए लंबित हैं।यह भी हो सकता है कि राज्यपाल इस पूरे मामले को राष्ट्रपति को भेज दे,क्योंकि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है।
छ्ग कॉंग्रेस की नई
प्रभारी शैलजा…
गांधी परिवार की करीबी पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया गया है। पांच साल बाद छग कांग्रेस के प्रभारी पी एल पुनिया को हटा कर उनकी जगह पर इस नियुक्ति को 2023 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता में हुई स्टीयरिेंग कमेटी की पहली बैठक के बाद नई नियुक्तियां होना शुरू हो गईं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश प्रभारियों के नियुक्ति आदेश जारी किए हैँ । इसमें तीन प्रदेश प्रभारियों का जिक्र है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया है।
और अब बस…
0क्या ईडी कुछ आईएएस और खनिज अधिकारियोँ को जल्दी ही गिरफ्तार करेगी?
0कुछ जिलों के कलेक्टर और एसपी की तबादला सूची जल्दी ही जारी होगी।
0 भाजपा में नया प्रदेश प्रभारी, अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पहले उप चुनाव में हार हुई है।
0 भानुप्रतापपुर में प्रत्याशी चयन के लिये आखिर कौन जिम्मेदार था?