इंंदौर। कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने सिलसिलेवार केंद्र सरकार पर कई सवाल खड़े किए और जमकर हमला भी बोला उन्होंने सवाल उठाया कि किसान आंदोलन में कितने किसान मारे गए, मोदी सरकार ने कहा, डेटा नहीं है? नोटबंदी का डेटा गायब,बेरोजगारी का डेटा गायब,मजदूरों ने पलायन किया, डेटा गायब, कोरोना से कितने मरे, डेटा गायब, एमएसएमई रोजगार गए, डेटा गायब,कितना विध्वंस किया, डेटा गायब क्या बनाया, उसका भी डेटा गायब, कितना बेचा, उसका भी गायब।
जिस सरकार के पास किसी चीज का आंकड़ा ही नहीं होता, वह नीतियां कैसे बनाती होगी ? जब आपको पता ही नहीं है कि देश में कितने लोग भुखमरी का शिकार हैं तो प्लान कैसे बनेगा ? सरकार चला रहे हैं या गरबा डांडिया खेल रहे हैं वैसे कोरोना काल मे केंद्रीय मंत्री लूडो,अंताक्षरी खेलने में व्यस्त थे।
देश की इकोनॉमी, उद्योग, व्यापार सब ऐसे ही नहीं डूबे हैं
मोदी सरकार को इतना तक नहीं पता होता कि इनकी नाक अब भी चेहरे पर लगी है, या कट गई। अवधी में कहते हैं कि “नकटे की नाक कटी, अढ़ाई बित्ता रोज बढ़ी”…इनका भी यही हाल है।
सवेरे सदन में नाक कटाते हैं, शाम तक ढाई बित्ता बढ़ ही जाती है।
सरकार खुद को शर्मिंदा करने और अपने को असंवेदनशील, क्रूर और नाकाबिल दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती ? संसद में मंत्री महोदय बता रहे हैं कि आंदोलन में किसान मारे गए हैं कि नहीं, इसका उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मोदी सरकार को अपनी छाती पर चल रहे एक आंदोलन के बारे में नहीं पता है, वहां मारे गए लोगों के बारे में नहीं पता है तो चीन पाकिस्तान की सीमाओं की क्या खबर होगी? चीन ने अरुणाचल में ऐसे गांव नहीं बसाए हैं। चौरसिया ने कहा कि इनके पूरे कुनबे को बस एक ही हुनर आता है, रैली में समाज के टुकड़े टुकड़े करवाने के लिए जहरीले भाषण दिलवा लो!