प्रसिद्ध संगीत गुरु पंडित मुकुंद दिगम्बर हिरवे जो हिरवे सर के नाम से प्रसिद्ध थे उनका निधन दिनांक 20 अप्रैल को भिलाई में हुआ।. इन्हें अनेक शिष्यों को संगीत शिक्षा दे कर उन्हें जीवन मे सफल बनाने का श्रेय जाता है साथ ही भिलाई में संगीत की परीक्षाओं का सफल संचालन कर हजारों विद्यार्थियों को जीविकोपार्जन की राह दिखाई है.। 31.10.1938 में ग्वालियर में जन्म,पंडित गोपीनाथजी पंचाक्षरी से संगीत की शिक्षा साथ ही पँ. बाळा साहेब पूछवाले एवं पंडित कृष्णराव पंडितजी का भी सानिध्य कालांतर में नागपुर के प्रसिद्ध संगीत शिरोमणि पँ.राजाभाऊ कोकजे जी का मार्गदर्शन एवं स्नेह भी प्राप्त हुआ.1962 में भिलाई इस्पात संयत्र के शिक्षा विभाग में संगीत गुरु के पद पर आने के बाद इन्होंने संगीत के प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी.अनेक शिष्य तय्यार किये साथ ही अनेक संगीत समारोहों का सफल संचालन किया जिसमें पँ.भीमसेन जोशी,पँ.जसराज,पँ.किशन महाराज,विदुषी शोभा गुर्टू,किशोरी अमोनकर जैसे अनेक मूर्धन्य कलाकारों का भिलाई में सफल कार्यक्रम कर भिलाई में संगीत का चहुंओर प्रचार प्रसार किया.वो जीवनभर दिखावे से दूर रहे। .कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलाशेनु कादाचन के सिद्धांत का पालन किया.उनका इस तरह से जाना ना सिर्फ संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है वरन उनके सम्पर्क में आये सभी लोगों के लिए व्यक्तिगत क्षति है.सम्मान उपाधि आदि से हमेशा दूर रह कर सिर्फ कर्म करने वाले ऐसे महामनि संगीत गुरु पँ.मुकुंद दिगम्बर हिरवे जी को हम सब भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते है। उनके चाहने वाले छत्तीसगढ़ शासन से अपील करते है कि ऐसे कर्मयोगी को राज्य शासन एवं केंद्र शासन की ओर से सर्वोच्च सम्मान दे कर उनके किये गए योगदान का सम्मान किया जाय।. DOB- 31/10/1938
DOD- 20/04/2021