शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
‘अच्छे दिन आएंगे’ के बीच कोरोना में लॉक-अनलॉक के बाद महंगाई से आम आदमी हलाकान है। सरकार ही नहीं रिजर्व बैंक के लिए भी मुद्रा स्फीति के ताजा आंकड़ा चिंता का विषय बने हुए हैं। 6.30 प्रतिशत तक पहुंच चुकी खुदरा महंगाई दर पिछले 6 महीनों के भीतर अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में ही 5 प्रतिशत से अधिक हो गई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि होती जा रही है, पेट्रोल तो 100 के आसपास /पार हो गया है। केंद्र सरकार चालू वित्तीय वर्ष में डीजल-पेट्रोल से 3.9 लाख करोड़ की कमाई कर चुकी है यह पिछले साल की तुलना में 77 फीसदी अधिक है। मोदी सरकार ने 2014 में केंद्र की बागडोर सम्हाली थी तब से अभी 2021 की तुलना की जाए तो पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साईज करीब 200 प्रतिशत तथा डीजल पर 600 फीसदी बढ़ चुका है, डीजल में वृद्धि का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। पेट्रोल-डीजल की कीमत वृद्धि पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान की सफाई भी अजीब है… देश में कोरोना वैक्सीन मुफ्त देने, 80 करोड़ गरीबों को राशन मुफ्त देने के लिए कहीं से तो पैसा लाना पड़ेगा ही…। पेट्रोल-डीजल की कीमत वृद्धि का यह भी कारण है अब सवाल उठता है कि फिर 35 हजार करोड़ कोरोना वैक्सीन के लिए जो बजट में प्रावधान किया गया था तो क्या वह जनता से वसूल करने की योजना के तहत किया गया था….? उनका यह भी बेतुका तर्क है कि कांग्रेस शासित राज्य पेट्रोल पर कर घटाकर कीमत कम कर सकते हैं…? सवाल फिर यही उठ रहा है कि केंद्र, राज्यों को जीएसटी का हिस्सा ही नहीं दे पा रहा है। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य को ही केंद्र से अपने हिस्से का 20 हजार करोड़ लेना बकाया है? गैस सिलेण्डर की सब्सिडी भी केंद्र ने समाप्त कर दी है।
इधर खाद्य तेलों की महंगाई भी रिकार्ड तोड़ रही है। 28 मई 2020 से 28 मई 2021 के बीच सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मुंगफली तेल 20 प्रतिशत, सरसों तेल 44, वनस्पति तेल 45, सोया तेल 53, सूरजमुखी तेल 56 और पाम आयल करीब 55 प्रतिशत महंगा हो चुका है।
प्याज की महंगी कीमत पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन “प्याज न खाने “की बात कहकर पल्ला झाड़ चुकी है कहीं सरकार खाद्य तेल की कीमतों की वृद्धि को लेकर उबला खाना खाने की प्रेरणा न दे और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर पैदल चलने की सलाह न दे दे….।
श्रीराम मंदिर और ताजमहल…?
भगवान श्रीराम का अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर फिर विवादों में है। आखिर 2 लोकसभा सीटों से 300 सीटों का सफर पूरा करने के पीछे रथयात्रा, हिन्दु-मुस्लिम, मंदिर वहीं बनाएंगे, जैसे नारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कोरोनाकाल में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भूमिपूजन में बैठने से ‘राजनीति’ स्पष्ट हो गई थी उसी श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर ट्रस्ट पर 10 मिनट पहले खरीदी गई दो करोड़ की जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेण्ट 18.5 करोड़ रुपये में कराने को लेकर सपा और आप नेताओं ने आरोप मढ़ा है। इस जमीन की खरीदी-बिक्री में रवि मोहन तिवारी, सुलतान अंसारी का नाम सामने आ रहा है हालांकि आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है आप सांसद का आरोप है कि लगभग 5.5 लाख रुपये प्रति सेकेण्ड जमीन के दाम बढ़ गये… जबकि हिन्दुस्तान की बात तो दूर दुनिया में इस तेजी से जमीन की कीमत नहीं बढ़ी…. खैर मामला जो भी हो इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने में आखिर दिक्कत क्या है…..जबकि 120 करोड़ से अधिक हिन्दुों की आस्था से श्रीराम मंदिर का मामला जुड़ा है।
बहरहाल जब राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ तब नरसिम्हा राव सरकार ने मंदिर बनाने की पहल की थी इसके लिये विवादित भूमि क्षेत्र में 67.7 एकड़ जमीन को अधिगृहित किया गया था। विवादित जमीन में साढ़े 3 एकड़ जमीन पर मस्जिद थी। बाकी 64 एकड़ दूसरी जमीन थी। उस समय मामला शांति और भाईचारे से निपट भी सकता था पर “मंदिर वहीं बनाएंगे “का नारा बुलंद किया गया.. तर्क दिया गया कि जहां नीचे रेत है, रेत के नीचे सरयू है, चूंकि उपर मस्जिद खड़ी थी बस यही रामजन्म स्थल का सबूत है। बहरहाल न्यायालय का फैसला आ गया पूरी 67.7 एकड़ जमीन राम मंदिर की ट्रस्ट को मिल गई है अब जमीन खरीदने की क्या दरकार थी….? प्रस्तावित श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 280 बाई 300 फीट यानि 7800 स्क्वेयर मीटर यानि 2 एकड़ से कम होता है। यानि पार्किंग, गार्डन और तमाम सुविधाओं के लिए 65 एकड़ जमीन बच जाती है। फिर जमीन खरीदने की क्या जरूरत आन पड़ी थी…..खैर यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दुनिया के अजूबे में शामिल ताजमहल काम्पलेक्स (आगरा) का कुल क्षेत्रफल 55 एकड़ के आसपास ही है।
ढाई-ढाई साल…?
छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल में सत्ता परिवर्तन होने का फार्मूला तय है….? यानि ढाई साल बाद दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा…?यह बात भूपेश बघेल को पता होगी या तो टीएस सिंहदेव को मालूम होगा या फार्मूला तय करने वाले कांग्रेस आलाकमान (सोनिया, प्रियंका या राहुल गांधी) को ही इसकी जानकारी होगी…. पर तीनों पक्ष चुपचाप है, बस छग के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को इस फार्मूले की लगता है जानकारी में है…..? तभी तो रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल से लेकर धरमलाल कौशिक सभी बयान जारी कर रहे हैं….? खैर यह मामला तो पूरी तरह राजनीतिक है, कौन मुख्यमंत्री रहेगा या नहीं यह कांग्रेस आलाकमान को तय करना है पर भूपेश बघेल को कोई खतरा है फिलहाल तो ऐसा नहीं लग रहा है। अब भाजपा के इस आरोप पर कि ढाई साल में भूपेश ने कुछ नहीं किया तो शराब बंदी-बेरोजगारी भत्ता आदि को छोड़कर ढाई साल में भूपेश बघेल सरकार का दावा है कि घोषणा पत्र में शामिल 36 में 14 घोषणाएं पूरी हो चुकी है….. शपथग्रहण करने के 2 घंटे के भीतर ही 2500 रुपये प्रति क्विंटल में धान खरीदी, किसानों का अल्पकालीन ऋण माफ और झीरम घाटी घटना की एसआईटी जांच शामिल थी। शराब बंदी के लिए सरकार ने 3 कमेटी बनाई है, सामाजिक एवं अन्य प्रभावों का अध्ययन हो रहा है। बेरोजगारों को मासिक भत्ता, विभिन्न सामाजिक पेंशन योजना की राशि में वृद्धि के लिए उमेश पटेल (मंत्री) की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। कुछ अन्य वादे भी पूरे हो गये हैं। भाजपा विपक्षी दल शराबबंदी, तथा बेरोजगारी भत्ता को मुद्दा बनाकर ढाई साल में पूरा नहीं करने पर जोर दे रहा है पर भाजपा का राज्य नेतृत्व केंद्र से राज्य सरकार को उसके हक का 20 हजार करोड़ नहीं मिलने पर चुप्पी साधे हैं?
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि, महंगाई, पर चुप्प है…..? 7 साल पहले सभी के खातों में 15 लाख डालने की बात पर जुमला कहकर बात करने तैयार नहीं है… तो प्रतिवर्ष 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने के वादे का क्या हुआ इस पर भी कुछ बोलने से बच रहा है…..। रसोई गैस की सब्सिडी बंद करने पर भी कुछ कहने से बच रहा है क्यों….?
और अब बस…..
0 इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ. राकेश गुप्ता सहित अन्य डाक्टरों की शिकायत पर योग गुरू बाबा रामदेव उर्फ रामकृष्ण यादव के खिलाफ आपदा प्रबंधन की धारा 186,188,269, 270, 504, 505 के तहत सिविल लाईन रायपुर पुलिस ने जुर्म कायम किया है।
0 केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा के बीच ही आदिवासी मंत्री रेणुका सिंह के स्थान पर सुश्री सरोज पांडे के नाम की चर्चा तेज है हालांकि सुनील सोनी, संतोष पांडे और अरूण साव भी उम्मीद लगाये बैठे हैं।
0 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विधानसभा पाटन के खुरमुड़ा हत्याकांड के 442 दिन बाद 650 पन्नों का चलान पेश करना भी चर्चा में है।
0 झीरम हत्याकांड की आठवीं बरसी मनाई गई पर कांग्रेस नेताओं की खून से लाल हुई घाटी को अभी भी न्याय का इंतजार है?