हवाओं की भी अपनी-अपनी सियासतें होती हैँ …. कहीं राख को भड़का देती है कहीं जलते चिराग बुझा देती है …

शंकर पांडे -( वरिष्ठ पत्रकार )                               

                        

भारतीय जनता पार्टी अपनी पार्टी के प्रमुख चेहरे तथा प्रधानमंत्री नरेन्द दामोदर दास मोदी के बचपन में किसी रेलवे स्टेशन में चाय बेचने की बात करती रहती है….वहीं मोदी भी कई जगह चाय बेचने वाले से पीऍम बनने की बात कर चुके हैं उसी के जवाब में अब कॉंग्रेस ने पहले गाँधी परिवार के बाहर से एक साधारण पृष्ठभूमि के मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है तो कॉंग्रेस शासित राज्यों में तीन मुख्यमंत्रियों के विषय में चर्चा तेज कर दी है।जो बिना किसी पारिवारिक राजनैतिक पृष्ठभूमि के ही अपने मुकाम पर पहुंचे हैं।हाल ही में भाजपा से सत्ता छीनने वाले हिमाचल राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाया गया है। इस नये सीएम के पिता ड्राइवर थे यानि एक ड्राइवर के बेटे को कॉंग्रेस ने सीएम बनाया है।सुखविंदर सुक्खू मूल रूप से हिमाचल के हमीरपुर जिले के नोदन के रहने वाले हैं। वे यहां से निर्वाचित विधायक बने हैं। सुक्खू ने कहा कि उनके पिता हिमाचल रोडवेज के बस ड्राइवर थे और वे खुद कभी दूध बेचते थे,तो डिप्टी सीएम अग्निहोत्री बनाए गये हैँ जो पहले पत्रकारिता कर चुके हैं ।अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की बात कर लें……गहलोत के पिता लक्षमण सिंह पेशे से जादूगर थे और अशोक ko भी जादूगरी विरासत में मिली थी। कांग्रेस में आने के बाद भी उनका जादू कम से कम राजस्थान में तो चल ही रहा है…. वैसे सूत्र कहते हैं कि पहले ज़ब वे पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से मुलाक़ात करने जाते थे तो तब के छोटे बच्चे राहुल, प्रियंका को जादू दिखाया करते थे।अब कॉंग्रेस शासित तीसरे राज्य छत्तीसगढ़ की बात करें तो 17 दिसम्बर को अपनी कप्तानी का 4साल पूरा करने वाले यहाँ के सीएम भूपेश बघेल हैं, वे भी एक आम छत्तीसगढ़िया किसान का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके पिता नंदकुमार बघेल भी किसान हैँ।यह बात और है कि सम्पन्न किसान परिवार से आने के कारण भूपेश बघेल को लोग ‘दाऊजी’ कहते हैं। वैसे छ्ग मॉडल की देश में जमकर चर्चा है और भाजपा से हिमाचल छीनने में भूपेश बघेल और उनके छ्ग मॉडल का भी बड़ा योगदान रहा है।

छ्ग में आरक्षण विवाद
और राजभवन….       

छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित दो आरक्षण संशोधन विधेयकों पर राजभवन और सरकार के बीच टकराव गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर को तैयार थीं। भाजपा के नेता उन पर ऐसा नहीं करने का दबाव बना रहे हैं। इधर राजभवन ने शुरुआती समीक्षा के बाद विधेयक को फिर से विचार करने के लिए सरकार को लौटाने की तैयारी कर ली है?हालांकि राज्य सरकार से कुछ सवालों पर सफाई भी मांगी है।जानकार सूत्र कहते हैं कि यदि राजभवन सरकार को विधेयक वापस करती है तो विधानसभा में उसे पुन: पारित कराकर राजभवन भेजने पर हस्ताक्षर करने की बाध्यता होगी पर उसमें एक तो समय लगेगा वहीं राज्यपाल से होकर राष्ट्रपति तक पहुंचने के बाद लोकसभा, राज्यसभा में भी 76%आरक्षण पारित करना आसान नहीं होगा।
राज्यपाल अनुसूईया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी वर्ग को दिये गये 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया है कि केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। पर सरकार ने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है तो 76% आरक्षण का बचाव राज्य सरकार कैसे करेगी…..?आरक्षण विधेयक पर उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58% आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जनांदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।यहाँ यह बताना जरुरी है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित किया है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग (एसटी)को 32%, अनुसूचित जाति(एससी) को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)को 27% आरक्षण का अनुपात तय किया है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण तय किया गया है पर यह विवाद में फंस गया है।

महादेव एप सट्टा और
अब ईडी की नजर……

छ्ग में महादेव बुक एप का सालाना टार्नओवर 5 हजार करोड़ केआसपास है…? छ्ग में अन्य मामलों में जाँच करने आई ईडी (प्रवर्तन निदेशालय)भी अब रुचि दिखा रही है। ईडी की टीम 3बार दुर्ग पहुंचकर महादेव एप के प्रमुख सौरभ चंद्राकर, सन्नी सतनाम सिंह सहित आधा दर्जन संचालकों की चार्जशीट भी स्थानीय पुलिस से ली है। करीब 1200पन्नों के दस्तावेज ईडी के पास पहुंचे हैं। इधर सूत्रों की मानें तो फिलहाल दुबई में रह रहे सौरभ चंद्राकर की आईफा अवार्ड में भी प्रमुख भूमिका की बात भी सामने आ रही है?भिलाई केम्प में एक जूस सेंटर चलानेवाले सौरभ चंद्राकर का महादेव ऐप (आन लाइन सट्टेबाजी )दुर्ग से दुबई कैसे पहुंचा….?
अब दुबई से करोड़ों का सट्टा खिला रहा है। उसके केवल छ्ग में ही 136 ऑफिस संचालित थे।
सौरभ दुर्ग से हैदराबाद फिर दुबई पहुंच गया।उसने 3 साल पहले सट्टा शुरू किया था।इतना बड़ा नेटवर्क फैलाया और पुलिस क्या कर रही थी….?

वंदे भारत रेल और
आम आदमी…        

छत्तीसगढ़ में कई यात्री रेल रद्द होती रहीं और छ्ग के भाजपा सांसद चुप ही रहे पर एक वंदे भारत रेल की शुरुआत हुई और ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया गया कि केंद्र की भाजपा सरकार ही छ्ग की जनता की एकमात्र हितैषी है…? पर इस रेल के भारी किराये पर फिर भी चुप हैं….?बिलासपुर से नागपुर चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज हो गई है। अब उसके किराये पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कॉंग्रेस का आरोप है
कि केन्द्र सरकार लोकल ट्रेन बंद कर आम जनता को की जेब से मोटी रकम वसूल करने की योजना बना रही है….? बिलासपुर-नागपुर चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का किराया निर्धारित कर दिया गया है। रेलवे की दो तरह की जारी किराया सूची के अनुसार कुल किराया बिलासपुर से रायपुर 905 रुपए, बिलासपुर से दुर्ग 1155, बिलासपुर से राजनांदगांव 1265, बिलासपुर से गोंदिया 1620, बिलापुर से नागपुर 2045, रायपुर से दुर्ग 705, रायपुर राजनांदगांव 825, रायपुर से गोंदिया 1245, रायपुर से नागपुर1695, दुर्ग से राजनांदगांव 690, दुर्ग से गोंदिया 1125, दुर्ग से नागपुर 1575, राजनांदगांव से गोंदिया 1015, राजनांदगांव से नागपुर 1460 और गोंदिया से नागपुर 950 रुपए है।क्या आम आदमी को इस रेल का लाभ मिलेगा….?

और अब बस..

0राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर सौम्या से ईडी की पूछताछ के बाद कौन से आईएएस/आईपीएस अफसर राडार में हैँ ?
0छत्तीसगढ़ सरकार 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़िया गौरव दिवस मनाएगी। राज्य सरकार के 4 साल पूरा होने पर यह आयोजन किया जा रहा है।
0छ्ग में एक प्रशासनिक फेरबदल कभी भी हो सकता है….?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *