आपात्तकाल, नारा और छत्तीसगढ़….

{किश्त 14}

25 जून 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने ‘इमरजेंसी या आपातकाल’ देश पर थोपा था। तब छत्तीसगढ़ के भी कई विपक्ष के नेता जेल में बंद कर दिये गये थे।जिसमें बृजलाल वर्मा, पुरुषोंत्तम लाल कौशिक मधु लिमये (महासमुंद से गिरफ्तार)
रमेश वल्यानी,डॉ रमेश (अग्रवाल)लखीराम अग्रवाल,बलीराम कश्यप,लरंग साय,वीरेंद्र पांडे,पंढरीराव कृदत्त, जगदीश,सच्चिदानंद उपासने आदि शामिल थे। कांग्रेस पार्टी के तब के अध्यक्ष देवकांत बरूआ ने उस समय इंदिराजी का यशोगान करते हुए एक नारे का इजाद किया था

इंडिया इज इंदिरा..
इंदिरा इज इंडिया…

पूरे आपातकाल में यह नारा गूंजता रहा और लगभग हर कांग्रेसियों की जबान पर यह नारा था।तब विपक्ष के नेता तथा बाद में प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी ने एक कविता लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरूआ को चमचों का सरताज कहा था। आपातकाल की साल गिरह आती है तब बरूआ का नारा और अटलजी की कविता की भी चर्चा होती है।दरअसल 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के रायबरेली के 1971 के चुनाव में अनियमितता का दोषी ठहराकर उनकी संसद सदस्यता रद्द कर आगामी 6 साल के लिए चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी थी उसके बाद इंदिरा ने आपातकाल की देश में घोषणा कर दी थी।उसी समय देवकांत बरूआ के ‘इंदिरा इज इंडिया’ के नारे के बाद अटलजी ने कविता लिखी थी…

“इंदिरा इंडिया एक है
इति बरूआ महराज…
अक्ल घास चरने गई, चमचों के सरताज…!
चमचों के सरताज,
किया भारत अपमानित…
एक मृत्यु के लिए कलंकित भूत भविष्यत…!
कह कैदी कविराय,
स्वर्ग से जो महान है…,
कौन भला उस भारत माता के समान है… ?”

खैर आपातकाल के बाद जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी पार्टी एकजुट हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी।कांग्रेस की जो देश में हालत हुई वह किसी से छिपी नहीं रही…बाद में कांग्रेस ने अपनी उस गलती के लिये माफ़ी भी मांग ली थी।आपातकाल के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र में बनी थी उपरोक्त संदर्भ का उल्लेख इसलिए करना पड़ा क्योंकि वर्तमान में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तो देवकांत बरूआ से सैकड़ों कदम आगे बढ़कर पीएम नरेन्द्र मोदी को ‘देवता’ ही ठहरा दिया है….!कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भाषा से खिलवाड़ करते हुए घोषित कर दिया कि मोदी ‘सुरेन्द्र’ है। राहुल ने समपर्ण मोदी मजाकिया ढंग से ‘सुरेन्द्रर’ (सरेंडर) लिख दिया था…. जगत पाल नड्डा ने इसे सुरेन्दर बना दिया।सुरेन्द्र का दूसरा नाम इंद्र है और वे देवताओं के राजा होते हैं….! नड्डा की मंशा के अनुसार,नरेन्द्र मोदी इंसानों के ही नहीं देवताओं या भगवानों के भी नेता है….। वहीं मप्र के सीएम शिव राज सिंह चौहान ने तो मोदी को भगवान का वरदान ही ठहरा दिया है। स्वामी भक्ति,चाटुकारिता,व्यक्ति पूजा की यह तो पराकाष्ठा ही मानी जा सकती है…। खैर अब अटलजी जैसे कवि, नेता नहीं रहे नहीं तो एक नई कविता का जन्म हो जाता? वैसे नड्डाजी की ही बात नहीं इसके पहले भी कुछ नेता मोदी को भगवान का ‘अवतार’ घोषित कर चुके हैं….!

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