काहिरा : मिस्र अपनी प्राचीन कहानियों और अपने फिरौन के लिए दुनियाभर में मशहूर है। ऐसी ही एक प्राचीन कहानी है ‘भगवान की जमीन’ की। इसे लेकर कहा जाता है था कि यहां से निकलने वाले लोगों के हाथ हमेशा खजाना लगा करता था। कहा जाता है कि यह दुनिया के सबसे पुराने काल्पनिक कथाओं में से एक है।
पुरातत्वविदों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि ऐसी एक जगह प्राचीन मिस्र में हुआ करती थी। इसके लिए उन्होंने एक पुराने बबून की खोपड़ी को सबूत के तौर पर पेश किया है, जो 3300 साल पुराना है। इसे लेकर पुरातत्वविदों ने कहा कि यह उसी जगह की है।
खजाने का उल्लेख लेखों में हुआ..
प्राचीन मिस्र में लोगों ने 4500 साल पहले इस स्थान पर जाना शुरू किया और हजारों साल तक यहां की यात्रा करते रहे। इस स्थान को लेकर जितने भी लेख लिखे गए, उसमें खजाने के तौर खाने के सामान से लेकर धातु और दुर्लभ जानवरों का जिक्र था। हालांकि, आज तक किसी के हाथ यह खजाना नहीं लगा पाया है। लेकिन अब बबून की खोपड़ी मिलने के बाद एक बार फिर प्राचीन कथा की ओर पुरातत्वविदों का ध्यान जाना शुरू हो गया है।
डार्टमाउथ कॉलेज में प्राइमेटॉलजिस्ट नथेनियल डॉमिनो और उनके साथियों को बबून की खोपड़ी एक ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित रखी मिली। इसके बाद डॉमिनो ने अपने साथियों संग मिलकर बबून के दांतों में मिलने वाले स्ट्रॉन्शियम के आइसोटोप्स का अध्ययन करना शुरू किया।
बता दें कि जानवरों के दांतों के इनैमल में स्ट्रॉन्शियम के आइसोटोप्स से यह पता चलता है कि जानवर ने किस जगह अपना जीवन बिताया होगा। डॉमिनो ओर उनके साथियों को पता चला कि यह बबून मिस्र में न पैदा होकर हॉर्न ऑफ अफ्रीका के क्षेत्र में पैदा हुआ होगा।
वर्तमान में यहां इरिट्रिया, इशियोपिया और सोमालिया जैसे देश स्थित हैं। माना जा रहा है कि यही क्षेत्र खजाना का इलाका है। इसी आधार पर माना जा रहा है कि यह बबून उसके खजाने का हिस्सा है। यही कारण है कि माना जा रहा है कि प्राचीन कहानी सच साबित होने वाली है।
वहीं, बॉस्टन विश्वविद्यालय की पुरातत्वविद कैथरिन बार्ड ने साल 2001 से लेकर 2011 तक मिस्र के लाल सागर तट पर स्थित मेर्सा नामक एक जगह पर खुदाई की। इस दौरान उन्हें यहां से 2800 साल पुराना एक पत्थर मिला। पत्थर पर इस जगह का उल्लेख किया गया था। बार्ड ने कहा कि अब नई खोज के जरिए हमें यह पता चल पाएगा कि आखिर यह जगह कहां स्थित है।