नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ एक नया आरोपपत्र दायर किया है। इसमें विस्तारपूर्वक बताया गया है कि कैसे चोकसी ने लैब में बने हीरे और संपत्तियों को बेचकर भारत, दुबई और अमेरिका सहित शीर्ष वित्तीय संस्थानों में अपने ग्राहकों और उधारदाताओं को धोखा देने के लिए एक संगठित रैकेट चलाया।
इस आरोपपत्र का उद्देश्य मार्च 2019 में भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन के तहत चोकसी को एंटीगुआ और बारबुडा से भारत में भेजे जाने के लिए किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध को बढ़ावा देना है। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि आरोपपत्र को कुछ हफ्ते पहले ही दाखिल किया गया है। हालांकि, उन्होंने तारीख नहीं बताई।
रिपोर्ट के अनुसार, मेहुल चोकसी अपने भांजे नीरव मोदी के साथ 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में मुख्य आरोपी है। उसने एंटीगुआ और बारबुडा सरकार द्वारा नागरिकता लेने के लिए चलाए जाने वाले एक कार्यक्रम के तहत वहां की नागरिकता ले ली है, इसमें नागरिकता लेने के लिए आपको देश में निश्चित मात्रा में निवेश करना होता है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि चोकसी गिरफ्तारी से बचने के लिए भारत छोड़कर भाग गया था, लेकिन चोकसी का दावा कुछ और ही है। चोकसी का कहना है कि वह जनवरी 2018 में बाईपास सर्जरी के लिए देश छोड़कर गया था, न कि गिरफ्तारी से बचने के लिए। ईडी ने पहले पीएनबी धोखाधड़ी मामले में चोकसी और अन्य की भूमिका को रेखांकित करते हुए 2018 में एक आरोपपत्र दायर किया था।
नए आरोपपत्र को अमेरिका, यूएई, हांगकांग और भारत में स्थित कंपनियों के कई शीर्ष अधिकारियों के बयानों के आधार पर दाखिल किया गया है। इस नए आरोपपत्र में बताया गया है कि चोकसी की हांगकांग स्थित ‘एम/एस शान्यो गोंग सी लिमिटेड’ और अमेरिकी स्थित ‘एम/एस वोयजर ब्रांड्स’ और ‘एम/एस सैमुअल्स ज्वैलर्स इंक’ की मदद से लैब में तैयार किए गए हीरे को असली हीरा बताकर बेचा गया।
आरोपपत्र में बताया गया है कि हीरा बनाने वाली कंपनी का संचालन सूरत में किया जाता था, जहां बड़े पैमाने पर उत्पादन होता था। इस कंपनी को चोकसी खुद ही संचालित करता था और कंपनी के लेन-देन पर निगरानी रखता था। इसमें बताया गया है कि असली हीरों की तुलना में ये हीरे भी आकार, गुणवत्ता और रंग में समान दिखाई देते हैं।