बिप्लब् कुण्डू,पखांजूर : पखांजुर कोरोना की वजह से भारत की आर्थिक,संस्कृति और पारंपरिक गतिविधियों पर ग्रहण लग चुका है। कोरोना के कारण देश के सभी त्यौहार भी बेरंग रहा। वही मक्रर सक्रांति के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष होने वाले कांकेर जिले का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा मेला नही लगेगा। कोरोना के कारण इस बार 14 जनवरी को मेला नहीं होंगे। बता दे कि वर्ष 1964 से शुरू हुए पखांजुर नरनारायण सेवा आश्रम की ओर से मेला का संचालन किया जाता है। पर इस साल कोरोना ने इस मेला पर ग्रहण लगाया। सन 1964 से शुरू हुवे मेला लगातार 57 वर्षो हो रहे मेला इस वर्ष नही लगेगा। ज्ञात हो कि पखांजुर के इस ऐतिहासिक मेला में करोड़ो रूपये का व्यापार होता है। पूरे परलकोट के लोगो के द्वारा बड़े ही उत्सव के साथ अपने पूरे परिवार के साथ मेला का भरपूर आनंद और खरीदी करते है।
आकर्षण का केंद्र रहता है। बड़े बड़े झूले
मेले में छत्तीसगढ़ के बड़े बड़े झूले,डांस पार्टी,मोटरसाइकिल का सर्कस,प्रसिद्ध भेलपुरी एवं रंग रंग के मिष्ठान वैसे परलकोट मिठाई के नाम से पहले ही प्रसिद्ध है। पर इस बार कोरोना के वजह से पूरे मेला स्थल खाली वीरान पड़ा है।
व्यापारियों को झेलनी पड़ेगी कोरोना की मार
इस साल मेला नही लगाने से व्यापारी में बड़ी उदसिनीयत देखी जा रहे। बड़ी दूर से व्यापार करने आते है दुकानदार। नेपाल से गर्म कपड़े का व्यापारी करने आते है। कई व्यापारियों तो कर्जा ले कर सामना खरीदी कर दुकान लगते है। मेले ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी।
मेला नही लगाने से युवा हुवे निराश
मेले को ले कर युवाओं में बड़े ही जोश उत्सव रहता है। क्षेत्र के युवा ने बतलाया कि इस साल मेला नही होने से मन बड़े ही दुखित हुआ,पर क्या करे भगवान के आगे किसकी चलती है। इस साल तोड़ा कम ही मचा करेंगे।
अन्य राज्यों से भी आते है। लोग
पखांजुर मेले में इतनी भीड़ होती है। कि पूरे परलकोट के साथ आसपास के राज्य महाराष्ट्र,उड़ीसा,मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश,कलकत्ता के लोग भी पूरे परिवार अपने मित्रों के साथ आते है।
नरनारायण सेवा आश्रम के महाराज से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल कोरोना के वजह से मेला नही लगाने का आदेश शासन प्रशासन से दिया गया है। और शासन के नियमानुसार जो गाइडलाइंस दिया गया है उसी आधार पर पूजा अर्चना की तैयारी भक्तगण के द्वारा किया जाएगा।