चंडीगढ़ : अविभाजित भारत की पहली महिला दंत चिकित्सक डॉ. विमला सूद का लगभग 100 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया। मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग पंजाब, पंजाब डेंटल काउंसिल और राज्य के प्रमुख दंत चिकित्सकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। ज्वाइंट डायरेक्टर, मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान, पंजाब डॉ. पुनीत गिरधर ने मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग, पंजाब की ओर से श्रद्धांजलि भेंट की।
उन्होंने बताया कि डॉ. विमला सूद पंजाब डेंटल काउंसिल के साथ सबसे सीनियर रजिस्टर्ड दांतों की चिकित्सक थी। उनका जीवन और कार्य सभी प्रेक्टिस करने वाले डाक्टरों और नवोदित दंत चिकित्सकों, विशेष रूप से देश की महिला दंत चिकित्सकों के लिए एक प्रेरणा रहा है। सचिव आईडीए पंजाब स्टेट एंड मेंबर डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया डॉ. सचिन देव मेहता ने बताया कि डॉ. विमला सूद का जन्म 1922 में हुआ था और उन्होंने 1944 में डी मोंटमोरेंसी कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री, लाहौर से ग्रेजुएशन की थी, जिसे अब पंजाब डेंटल कॉलेज, लाहौर के नाम से जाना जाता है।
डॉक्टरों के परिवार से थीं डॉ. सूद
वह डॉक्टरों के परिवार से थीं, जिन्होंने उन्हें दंत चिकित्सा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। वह लाहौर में 30 छात्रों के अपने बैच में एकमात्र महिला थीं। अपनी इंटर्नशिप के लिए वह अमेरिका गईं और बाद में 1955 में मिनेसोटा विश्वविद्यालय से पीडियाट्रिक दंत चिकित्सा में मास्टर डिग्री पूरी की।
विभाजन के बाद आ गईं थीं चंडीगढ़…
विभाजन के बाद डॉ. विमला सूद चंडीगढ़ चली गईं। उन्होंने वेलिंगडन अस्पताल (अब राम मनोहर लोहिया) में काम किया, जहां वह मोबाइल वैन में गांवों का दौरा करती थीं। बाद में उन्होंने जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी में काम किया। उन्होंने बताया कि वह अविभाजित भारत की पहली महिला दंत चिकित्सक थीं।