रायपुर । डाक्टर्स आन स्ट्रीट ( दोस्त ) और प्रोग्रेसिव रिसर्च की टीम ने डॉक्टर सत्यजीत साहु के नेतृत्व में पहाड़ी कोरवा और बिरहोर (विशेष संरक्षित जनजाति) के बीच कोरबा ज़िले के तीतरडांड और चितागुडा पारा में स्वास्थ्य जागरूकता का कैंप किया ।
छत्तीसगढ़ के समस्त विशेष संरक्षित जनजाति के बीच काम करने के लिये विशेष रूप से प्रतिबद्ध होकर यह टीम पिछले एक माह से छत्तीसगढ़ के विभिन्न दूरस्थ हिस्सों में जाकर जागरूकता का कार्य कर रही है । आज चार फ़रवरी को ग्राम चचिया के चितागुडा पारा मे बिरहोर जनजातियों की बस्ती और ग्राम सिमकेदा के तीतर डांड में पहाड़ी कोरवा जनजाती की बसाहट ब्लाक और जिला कोरबा में टीम ने कैंप किया ।
टीम के नेतृत्व कर रहे डॉ सत्यजीत साहु ने पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों के बीच पोषण की कमी से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कुपोषण से बचाव न सिर्फ़ बीमारी की रोकथाम के लिये है बल्कि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है । खान पान के सुधार से यह संभव है । डॉ साहु ने संक्रमण से होने वाली बीमारियों के लिये नज़दीक के स्वास्थ्य सहायक से मिलने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ।
यहाँ के स्वास्थ्य विभाग के लिये काम करने वाले इंद्रजीत ठाकुर ने बताया कि पहाड़ी कोरवा और विरझोर जनजातियों में शराबखोरी की आदत बहुत बुरी तरह से व्याप्त है । यहाँ पहाड़ी कोरवा के बीच काम करने वाले राम नंदन सिह सुपरवाइज़र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बिरहोर और पहाड़ी कोरवा में शारीरिक स्वच्छता के लिये जागरूकता बहुत कम है । ये जनजातियाँ हफ़्ते में एक ही बार स्नान करते हैं जिसके कारण त्वचा संबंधी बीमारियों की इनमें भरमार है । आर यु संस्था के तरफ़ से आये हुए सुनील शर्मा ने कहा कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े हुए पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों का विकास प्रदेश और देश के औसत व्यक्ति के विकास से काफ़ी कम है और समाज का यह उत्तरदायित्व है इनके लिये कार्य करें । प्रोग्रेसिव रिसर्च और ईकानामिक्स के संतोष ठाकुर ने कहा कि सरकारी सुविधाओं के प्रयास के साथ ही पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों की संस्कृति को बचाये रखते हुये इनकी जीविका, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये विशेष प्रयासों की ज़रूरत है । इनकी परंपरागत जीवन पद्धति के अनुकूल विकास प्रकल्पों के लिये रिसर्च करके योजनाओं के स्वरूप को समझने के लिये ही डॉ साहु के नेतृत्व में यह टीम कार्य कर रही है । टीम का मानना है कि विकसित देश की हमारी परिकल्पना में पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजातियों का समग्र विकास भी शामिल हैं । यह सरकार और समाज दोनों सम्मिलित प्रयासों से ही संभव है । तीतरढांढ पहाड़ी कोरवा समाज के मुखिया धनीराम और चितागुडा पारा चचिया मे बिरहोर जनजाति के मुखिया करतला समारूराम ने डॉक्टर सत्यजीत साहू का और उनकी पुरी टीम का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी आने के लिये न्योता दिया ।