भुंजिया जनजातियों के अध्ययन के लिये ‘दोस्त’ और ‘प्योर’ की टीम छुरा ब्लाक के ग्राम सोरिद में पहुंची


रायपुर। दोस्त ( डाक्टर ऑन स्ट्रीट) और प्योर (प्रोग्रेसिव यूटिलाईजेशन ऑफ रिसर्च एंड ईकानामिक्स ) की टीम मे भुंजिया जनजातियों के अध्ययन के लिये ग्राम सोरिद के भुंजिया पारा का भ्रमण किया ।  
टीम के कोआर्डिनेटर सुनील शर्मा ने बताया कि देश भर के सात सौ पाँच ट्राईबल जनजातियों में पच्चहतर जनजातियों को विशेष संरक्षित का दर्जा दिया गया है । छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश स्तर पर भुंजिया जनजाति को विशेष दर्जा दिया है । इनकी संख्या गरियाबंद और महासमुंद ज़िले में ज़्यादा है । जंगल की भीतरी हिस्सों में निवास करने करने वाली भुंजिया जनजाति की बसावट अब जंगल से लगे गाँव में भी पाई जाती है ।
टीम के रिसर्चर संतोष ठाकुर ने बताया कि अन्य जातियों कि तुलना मे भुंजिया लोगों में शिक्षा का प्रसार कम है । बच्चों और महिलाओं में कुपोषण ज़्यादा है और शराब का प्रचलन भी बहुतायत में है । कई पैरामीटर पर अध्ययन जारी है ।  
मेडिकल टीम के हेड डॉ सत्यजीत साहू ने सिस्टर अनुपमा एक्का और सिस्टर भुमी के साथ भुंजीया पारा के बहुत से ज़रूरतमंद परिवारों के घर जाकर उनकी चिकित्सा की । ज़्यादा गंभीर मरीज़ों को नज़दीक के जिला हास्पिटल में जाने की सलाह दी । भुंजिया लोगों को स्वास्थ्य विभाग की सुविधाओं के बारे में बताया ।  
इस अवसर पर ग्राम सोरिद के पोखन सिन्हा, दीपक सिन्हा स्वास्थ्य विभाग की सुपरवाइज़र श्रीमति ललिता देशमुख ने स्टडी टीम को सक्रिय सहयोग दिया । भुंजिया पारा के प्रमुख आशाराम भुंजिया ने टीम के विजिट के लिये आभार व्यक्त किया ।

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