शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
‘ज़ब तक बस्तर के लोग सहमत नहीं होंगे बस्तर की बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना शुरू नहीं की जाएगी ‘ छ्ग के सीएम भूपेश बघेल ने अपने भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम में यह घोषणा की है.. पर वे पहले ही क़ह चुके हैं कि बस्तर के विकास का नया अध्याय बोधघाट परियोजना लिखेगी..पहले उनका कहना था कि इसका विरोध करने वाले आदिवासी विरोधी है…इस योजना का विरोध करने वाले यह तो बताएं कि बस्तर के आदिवासी किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने का बोधघाट के अलावा क्या विकल्प है…? अभी इंद्रावती नदी के 11 टीएमसी जल का उपयोग बस्तरवासी कर रहे हैं… जबकि 300 टीएमसी जल पर बस्तरवासियों का हक है….।वैसे करीब 40साल पहले बोधघाट हाइड्रल प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना तैयार की गई थी अब इसे सिंचाई परियोजना के रूप में परिवर्तित करने की योजना है। अब 3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई तथा 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन की कल्पना इसके पीछे की गई है।करीब 4 दशक पुरानी बस्तर की महत्वाकांक्षी बोधघाट परियोजना को केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद भूपेश सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है। जिसका विरोध बस्तर के कुछ नेताओं सहित भाजपा के कुछ लोग भी कर रहे हैं… यहाँ यह बताना जरुरी है कि बस्तर के बारसूर में 500 मेगावाट (4 यूनिट 125 मेगावाट) उत्पादन की क्षमता के लिए यह प्रस्तावित थी, परियोजना का सर्वेक्षण 1968 में प्रारंभ किया गया था। भारत सरकार ने 1979 में पर्यावरण स्वीकृति प्रदान की, पर्यावरण मंत्रालय ने 5700 हेक्टेयर वन भूमि में परियोजना निर्माण के प्रयोग की अनुमति दी थी केंद्रीय जल आयोग की एक विशेषज्ञ समिति ने 8 अप्रैल 1981 को परियोजना स्थल का निरीक्षण कर निर्माण हेतु अनुमोदन भी किया था, इस परियोजना को उस समय 6 साल में पूरा करना था और परियोजना की लागत 202.20 करोड़ आंकी गई थी, 1981 में निर्माण शुरू हुआ तो वित्तीय अड़चन के चलते अविभाजित म.प्र. की सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने विश्वबैंक से 500 करोड़ का सशर्त ऋण भी स्वीकृत करा लिया पर तब के बस्तर के कुछ नेताओं ने 42 गांव तथा 10 हजार लोगों के विस्थापित होने, वन विनाश की दुहाई देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री को हजारों पत्र भिजवाकर परियोजना को निरस्त करने का अनुरोध किया था बाद में यह परियोजना निरस्त कर दी गई यह बात और है कि इस परियोजना का विरोध करने वाले अधिकांश आदिवासी नेता मालिक मकबूजा में भी संलिप्त पाए गये…..। जिसमें लाखों वृक्षों की बलि इस योजना में चढ़ी थी। बोधघाट योजना निरस्त होने पर भारत सरकार को ऋण ली गई राशि लौटाने के अतिरिक्त 5 करोड़ डॉलर का भुगतान भी विश्वबैंक को करना पड़ा था। वैसे यह बताना भी जरूरी है कि इसी कालखंड मेंओडि़सा के नवरंगपुर के निकट 600 मेगावाट विद्युत उत्पादन और सिंचाई परियोजना के लिए इंद्रावती नदी पर ही बांध का निर्माण किया जा रहा था। यह योजना तो पूरी हो गई पर बस्तर की बोधघाट परियोजना शैशवकाल में ही रोक दी गई। बस्तर की इस परियोजना को भूपेश सरकार अपनी इच्छाशक्ति से मूर्तरूप देने कटिबद्ध दिखाई दे रही है तो विरोध क्यों…। यह बात और है कि 209.20 करोड़ की वह परियोजना अब 22 हजार 653 करोड़ की हो गई है…
पिता, पति, पत्नी और बेटा, बेटी आईएएस /आईपीएस…..
छ्ग से हाल ही में आईएएस रेणु,आईपीएस संजय पिल्लै के बेटे अक्षय का आईएएस में चयन हुआ। उसी के बाद फिर एक बार चर्चा गर्म है कि छ्ग में कौन पति पत्नी एक साथ सेवा दे रहे हैं, किसके पालक आईएएस या आईपीएस रह चुके हैं।राज्य गठन के बाद कैडर विभाजन कई आईएएस आईपीएस तथा आईएफएस छत्तीसगढ़ आ गये, कुछ को अपने पति के कारण कैडर बदलना पड़ा तो कुछ पत्नियों के कारण छत्तीसगढ़ कैडर में आये। कुछ अफसरों के पिता आईएएस थे तो कुछ के पिता आईपीएस हैँ।छग में पदस्थअफसर पति-पत्नी भी अपनी सेवाएं साथ-साथ दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पदस्थ एडीशनल चीफ सेक्रेटरी सुब्रत साहू के पिता 64 बैच के ओडिसा कॉडर के आईएएस रह चुके हैं तो दूसरी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रेणु संजय पिल्ले के पिता 63 बैच के आंध्र प्रदेश के आईएएस थे। आईएएस कार्तिकेय गोयल के पिता आंध्र काडर के आईएएस थे तो आईएएस रजत बंसल के पिता उत्तर प्रदेश काडर में आईएएस रह चुके हैं। छग काडर के आईपीएस राजीव माथुर की बेटी पारूल भी छग काडर की आईपीएस हैं। जहाँ तक पति-पत्नी के एक साथ छग में सेवा देने की बात है तो वरिष्ठ पुलिस अफसर डीजी जेल संजय पिल्ले की पत्नी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रेणु पिल्ले हैँ। छ्ग काडर की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक के पति जयदीप छग काडर के आईपीएस अफसर हैं तथा वर्तमान में आईबी के संयुक्त संचालक के पद पर कार्यरत हैं। सचिव स्तर के एक आईएएस सोनमणी वोरा की पत्नी दर्शनिता वोरा रेल्वे कार्मिक सेवा की अफसर हैं। सचिव स्तर के आईएएस रोहित यादव की पत्नी रितु सेन भी आईएएस हैं। प्रमुख सचिव स्तर की ऋचा शर्मा के पति राजकमल भी आईएएस अफसर हैं। आईएएस विकासशील की पत्नी निधि छिब्बर भी छग काडर की आईएएस हैँ।आईपीएस आरिफ शेख की पत्नी शम्मी आबिदी भी आईएएस हैं। आईएएस अविनाश चंपावत की पत्नी आईपीएस (डीआईजी) नेहा चंपावत, आईएएस अवलगन पी तथा उनकी पत्नी असलमेल डी मंगई दोनों आईएएस हैं। वरिष्ठ आईएएस अफसर गौरव द्विवेदी और उनकी पत्नी मनिंदर कौर द्विवेदी दोनों भी छ्ग काडर के आईएएस हैं। आईएएस वीपी मोर्य और उनकी पत्नी आईएएस रानू साहू (कलेक्टर कोरबा) भी छग में ही कार्यरत हैं। राजनांदगांव के कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा और उनकी पत्नी स्वेता सिन्हा (एएसपी) भी छग में ही कार्यरत हैं।वैसे श्वेता को जल्दी ही आईपीएस अवार्ड हो सकता है।
वरिष्ठआईएएस सुब्रमण्यम, आईपीएस मुकेश सहित 8रिटायर होंगे जल्दी…..
8आईपीएस और आईएएस अगले 6 महीनों में रिटायर हो जाएंगे । इनमें 5 आईएएस हैं। अफसरों के रिटायरमेंट की शुरुआत मई महीने से टी. एक्का से हुई। इसी महीने जून में दो आईएएस अफसर रिटायर होंगे। इनमें लोक सेवा आयोग के सचिव ईमिल लकड़ा और राजस्व मंडल के सदस्य उमेश अग्रवाल हैं। राजस्व मंडल में भी कोई अध्यक्ष नहीं हैं। सदस्य के रूप में ही अग्रवाल सभी मामले सुन रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद पोस्टिंग के लिए फिर कवायद करनी होगी, क्योंकि अध्यक्ष नियुक्त करने के दौरान ही जब कैंडीडेट नहीं मिले तो उमेश अग्रवाल को दोनों पदों की जिम्मेदारी दे दी गई थी।
सबसे ज्यादा चार लोगों के रिटायरमेंट सितंबर महीने में है। वरिष्ठ आईपीएस मुकेश गुप्ता (अभी निलंबित)
और टीजे लांगकुमेर रिटायर हो रहे हैं। कभी लम्बे समय तक नक्सली इलाके बस्तर में पदस्थ रहे लांगकुमेर अपने गृहराज्य नागालैंड में डीजीपी हैं। आईएएस अफसरों में छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर बीवीआर सुब्रमण्यम का सितंबर में रिटायरमेंट है। सुब्रमण्यम केंद्र में कॉमर्स सेक्रेटरी हैं। इसके अलावा रायपुर कमिश्नर ए के टोप्पो भी सितंबर में रिटायर हो जाएंगे।
और अब बस….
0छ्ग के किस बड़े जिले के कलेक्टर की जगह बस्तर से एक आईएएस की पदस्थापना की चर्चा तेज है….
0किस महिला डीएसपी की कमी एक महिला एसपी को बहुत खल रही है…
0भाजपा मुक्त सरगुजा /बस्तर का प्रवास कर भेंट मुलाक़ात कर वहां की राजनीतिक स्थिति की टोह सीएम ले चुके हैं।
0कांग्रेस हाईकमान के छ्ग में राज्यसभा प्रत्याशी तय करने के विरोध में किस सवर्ण नेता की सार्वजनिक बयानबाजी से बड़े नेता नाखुश हैं…?