शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़,राजस्थान की कांग्रेस सरकार हो,मप्र की भाजपा सरकार हो या तेलंगाना की गैर कॉंग्रेस, गैर भाजपा सरकार हो,सभी पर भारी भरकम कर्ज है और अभी 2023 के चुनावी वादों में जमकर रेवड़ी बांटी जा रही है, सवाल उठ रहा है इन प्रदेशों में वित्तीय प्रबंधन कैसे हो सकेगा!आय बढ़ाने के संसाधन जुटाना मज़बूरी ही होगा।अगर सिर्फ मध्य प्रदेश,राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की बात करें तो वर्ष 2019 से वर्ष 2022 के दौरान राज्य की सरकारों ने कुल 5,03,126 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में मप्र,राजस्थान और छग को लेकर साफ तौर पर कहा है कि इन पर बढ़ता कर्ज लंबे समय तक बरकरार नहीं रखा जा सकता है।वैसे इन राज्यों की आगामी सरकारों के पक्ष में अच्छी बात यह है कि कोविड के बाद भारतीय इकोनॉमी जिस तेजी से पटरी पर लौटी है उसका असर इन राज्यों के राजस्व पर भी दिखने के आसार हैं।ऐसे में अगर नई सरकारों की तरफ से कुशल वित्त प्रबंधन दिखाया जाए तो कर्ज लौटाने की चुनौती भी पार की जा सकती है।रिजर्व बैंक की तरफ से राज्यों के बजट पर हर वर्ष एक अध्ययन रिपोर्ट जारी होती है,जिसे राज्यों की वित्तीय स्थिति और इनके सरकार के आर्थिक प्रबंधन की स्थिति जानने की सबसे सटीक रिपोर्ट माना जाता है। चुनाव में जाने वाले चार प्रमुख राज्यों की मौजूदा सरकारों ने अपने कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में जमकर कर्ज लिया है।मप्र ने 89,444 करोड़ राजस्थान सरकार ने 147,600 करोड़,छग ने 28,680 करोड़ रुपये और तेलंगाना सरकार ने 2,37,402 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।मार्च 2023 तक मध्य प्रदेश पर कुल 3,78,617 करोड़ रुपये, राजस्थान पर 5,37,013 करोड़ रुपये,तेलंगाना पर 3,66,606 करोड़ रुपये का कुल कर्ज है।छग की सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया था कि जनवरी 2023 तक उस पर कुल 82,125 करोड़ रुपये कर्ज है।कर्ज की राशि में भारी वृद्धि की अहम वजह कोरोना महामारी का काल था जिसकी वजह से देश के तकरीबन सभी राज्यों के राजस्व के अपने स्त्रोत सूख गये।उल्लेखनीय तथ्य यह है कि दिसंबर, 2023 में इन राज्यों में जिसकी भी सरकार बनेगी उसे आने वाले पांच वर्षों के दौरान उक्त कर्ज के एक बड़े हिस्से की अदाएगी करनी होगी। आरबीआई का ही डाटा बताता है कि वर्ष 2024-25 से वर्ष 2028-29 के दौरान मप्र को बकाये कुल कर्ज 40.3%राजस्थान की सरकार को 40.5% तेलगांना की सरकार को 29.7% कर्ज की राशि चुकानी होगी। छ्ग की नई सरकार को मौजूदा कर्ज की राशि का तकरीबन 70.4 % चुकाना होगा।
कांग्रेस के खिलाफ
भाजपा के 3 प्रत्याशी…?
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का मानना है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी के उम्मीदवार भाजपा के तीन उम्मीदवारों ईडी,सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग से चुनाव लड़ रहे हैं।खरगे ने छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के बैकुंठपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि भाजपा के दिमाग में है कि उसने हिंदुओं का ठेका लेकर रखा हुआ है, लेकिन क्या हम हिंदू नहीं हैं,मेरा नाम मल्लिकार्जुन है जिसका मतलब शिव होता है।
11 वीं बार चुनाव लड़ रहे
हैं डॉ चरणदास महंत
छ्ग सहित देश की राजनीति में डा चरणदास महंत का बड़ा नाम है। नायब तहसीलदार की प्रशासनिक नौकरी छोड़कर विधायक,मप्र में मंत्री,केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री,छ्ग में विधानसभाअध्यक्ष,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व भी सम्हाल चुके महंत इस बार 11 वां चुनाव (पत्नी ज्योत्सना महंत का लोस चुनाव शामिल कर लें तो 12)लड़ रहे हैं।छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर डॉ चरणदास महंत वर्ष 1980 में पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।इसके बाद वर्ष 1985, 1993 और 2018 में भी विधायक बने।इसके पहले तीन बार लोकसभा के लिए चुने गए।वर्ष 1998,1999 और 2009 के लोकसभा चुनाव में वह क्रमश: बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।कांग्रेसी बिसाहू दास महंत के परिवार में जन्मे चरणदास महंत ने एमएससी,एमए, एलएलबी,पीएचडी की डिग्री ली है(छ्ग में सर्वाधिक पढ़े लिखे राजनेता..)।उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत अभी लोकसभा की सांसद हैं।
राजधानी,आसपास और
ब्राह्मण उम्मीदवार….?
छग की राजधानी रायपुर तथा आसपास काफ़ी सालों बाद कांग्रेस और भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को मौका दिया है।रायपुर उत्तर विधानसभा से भाजपा के पुरँदर मिश्रा को चुनाव समर में उतरा है उनका मुकाबला सरदार कुलदीप जुनेजा से है तो भाजपा ने भिलाई से प्रेम प्रकाश पांडे,धरसींवा से अनुज शर्मा,भाटापारा से शिवरतन शर्मा को टिकट दिया है तो कॉंग्रेस ने रायपुर दक्षिण से महंत राम सुंदर दास (त्रिवेदी) रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्याय,रायपुर ग्रामीण से पंकज सत्यनारायण शर्मा तथा राजिम विस से अमितेश शुक्ला, बलौदाबाजार से शैलेश नितिन त्रिवेदी को टिकट दिया है। अन्य जाति के लोग तो ऐसे में सक्रिय हो जाते….?खैर देखना है कि कितने ब्राह्मण विधानसभा जीतकर पहुंचते हैं?वैसे शारदा चरण तिवारी, तरुण प्रसाद चटर्जी आदि भी रायपुर से विधायक बनते रहे हैँ। कॉंग्रेस के बड़े नेता राजेंद्र तिवारी को भी विद्या भैया ने रायपुर से प्रत्याशी बनाया था पर तरुण चटर्जी ने 1993 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र तिवारी को 21586 वोट के भारी अंतर से हराया।उसके बाद से राजेंद्र तिवारी ने कभी टिकट ही नहीं मांगी..?
और अब बस……
0रायपुर से लगातार विधायक बन रहे भाई बृजमोहन अग्रवाल पर हमला दुर्भाग्यजनक ही कहा जा सकता है।
0छ्ग के सीएम पर महादेव ऐप को लेकर लगाया गया आरोप लगता है टांय टांय फिस्स हो गया…?
0भाजपा के 3 महामंत्री ओपी चौधरी,केदार कश्यप और विजय शर्मा के चुनाव परिणाम पर सभी की नजर लगी है?
0भाजपा के पक्ष में ब्राम्हणों तथा उच्च वर्ग को एकजुट करने पूर्व आईएएस गणेशशंकर मिश्रा लगे हुये हैं।