शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ को पहला आदिवासी राज्यपाल सुश्री अनसुइया उइके के रूप में 3साल पहले ही मिल चुका है। 9 वें राज्यपाल (कार्यकारी राज्यपाल सुशील कुमार शिंदे और प्रभारी रामनरेश यादव को मिलाकर) के रूप में 29 जुलाई 2019को कार्यभार सम्हाला था और वे 3साल पूरा कर चुकी हैं।वैसे 10 अप्रैल 57 को छिंदवाड़ा जिले के रोहनकला में जन्मी सुश्री अनसुइया ने अर्थशास्त्र में एमए एलएलबी कर 1982 से 85 यानि 4 साल छिंदवाड़ा के तामिया कालेज में व्याख्याता रहीं और पढ़ाई के दौरान आर्थिक स्थिति सुधारने प्रोडेक्ट भी बेचकर अध्ययन पूरा किया। 1985 में दमुआ विधानसभा से कांग्रेस विधायक भी चुनी गई।14 फरवरी 1988 से 24 जनवरी 1989 तक तब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे तब 1988 सिंतबर में अर्जुन सिंह ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तब म.प्र. से दमुआ की विधायक सुश्री अनसुइया उइके को भी बतौर महिला एवं बाल राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया। उस समय इसी मंत्रिमंडल विस्तार में अविभाजित म.प्र. में छत्तीसगढ़ से राज्यमंत्री के रूप में डॉ. चरणदास महंत (वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष) महेन्द्र बहादुर सिंह (छत्तीसगढ़ के प्रोटेम स्पीकर) सुरेन्द्र बहादुर सिंह, लक्ष्मीनारायण इंदुरिया तथा उप मंत्री के रूप में धनेश पाटिला को शामिल किया गया था। तब अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ के स्व. बी.आर. यादव, बंशीलाल धृतलहरे, कमलादेवी सिंह तथा गंगा पोटाई कबीना मंत्री के रूप में शामिल थे। बाद में 25 जनवरी 1989 को मोतीलाल वोरा मुख्यमंत्री बने और सुश्री अनसुइया उइके को उन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया।एक दिसंबर 1989 को पं.श्यामाचरण शुक्ल मुख्यमंत्री बने और अगले चुनाव में अविभाजित म.प्र. में सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। सुश्री अनसुइया उइके ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की फिर वे 2006 से 2012 तक राज्यसभा सदस्य रहीं, जब छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बना तब वे 2000 से 2003, फिर 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनी। बाद में एक गांव से निकली आदिवासी महिला राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष भी बनी जिसके अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता नंदकुमार साय थे । राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से ही उनकी नियुक्ति सीधे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में हुई है। ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ में अभी तक आईपीएस दिनेश नंदन सहाय, पूर्व सैन्य अधिकारी के.एम. सेठ, सुशील कुमार शिंदे (राजनेता,कार्यवाहक),आईपीएस ई.एस.एल नरसिम्हन, आईएएस शेखर दत्त, रामनरेश यादव (राजनेता, प्रभारी)राजनेता बलराम दास टंडन, आनंदी बेन पटेल (राजनेता प्रभारी) राज्यपाल रह चुके हैं। 14 अगस्त 2018 में बलरामदास टंडन के निधन के पश्चात म.प्र. की राज्यपाल आनंदी बेन छग के राज्यपाल का भी काम सम्हाल रही थीं। करीब 11 महीने बाद छत्तीसगढ़ को स्थायी राज्यपाल मिला था। वैसे यह तय है कि कांग्रेस तथा भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं से सुश्री अनसुइया उइके के व्यक्तिगत संंबंध है। जाहिर है कि यह उनके राज्यपाल का दायित्व सम्हालने में सहायक भी रहा फिर म.प्र. की मूल निवासी और आदिवासी परिवार से जुड़ी होने के कारण वे छत्तीसगढ़ को भी अच्छे से समझती थीं। उनकी सक्रियता की भी चर्चा तेज है।अपने 3साल के कार्यकाल में वें छ्ग में लगभग रच बस गई हैं।
माननीयों के वेतन भत्ते
में बड़ी बढ़ोत्तरी…
छत्तीसगढ़ मूल के अधिकारी और कर्मचारी वेतन भत्ते की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं और इसी बीच विधानसभा के मानसून सत्र में माननीयों के वेतन, भत्तों में भारी बढ़ोतरी को लेकर संशोधन विधेयक पारित कर दिया। पक्ष-विपक्ष की सहमति से वेतन भत्ते से संबंधित 4 संशोधन विधेयक पेश किए गए थे।इसके मुताबिक सीएम का वेतन 1लाख35 हजार अभी है। उसे बढक़र 2लाख 5हजार किया गया है, मंत्रियों का 1लाख 30हजार से से बढक़र 1लाख 90हजार , संसदीय सचिवों को 1लाख 21हजार से बढक़र 1लाख 75हजार, विस अध्यक्ष का 1लाख 32हजार से बढक़र 1लाख 95हजार , उपाध्यक्ष 1लाख 28हजार से बढक़र 1लाख 80हजार , नेता प्रतिपक्ष को 1लाख 30हजार से बढक़र 1लाख 90हजार और विधायकों को 95हजार से बढक़र 1लाख 60 हजार तक हो जाएगा।
डोमन सिंह …सातवें जिले के कलेक्टर बने …
प्रमोटी आईएएस डोमन सिँह 7वें जिले के कलेक्टर बनाए गए हैँ।मुंगेली, कोरिया, कांकेर,गौरेला पेंड्रा, महासमुंद, बलौदाबाजार और अब राजनांदगाव के नये कलेक्टर डोमन सिंह ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। वे महासमुंद से स्थान्तरित होकर यहां आए हैं। वे वर्ष 2009 बैच के आईएएस अफसर हैँ माना जा रहा है कि प्रमोटी आईएएस अफसर राज्य की जमीन से जुड़े होते हैं और उन्हें स्थानीय भाषा-बोली का ज्ञान होता है. धारणा है कि ये समय के अनुरूप मोल्ड भी हो जाते हैं. कहा जा रहा है, यही वजह है कि भूपेश सरकार प्रमोटी आईएएस अफसरों को अपने अनुकूल पा रही है और उन पर भरोसा कर उनका दायरा बढ़ा रही है।
संतोष सिंह…सातवें जिले के एसपी की जिम्मेदारी ….
आईपीएस संतोष सिँह को सातवें जिले की पुलिस कप्तानी मिली है,नारायणपुर, कोंडागांव, महासमुंद, रायगढ़, कोरिया, राजनांदगाव और अब कोरबा के एसपी बनाए गये हैं।हालांकि छ्ग में बद्रीनारायण मीणा का 9जिलों में पुलिस कप्तानी करने का रिकार्ड बरकरार है…..
छत्तीसगढ़ के कोरबा में पदस्थ मूलतः गाजीपुर उप्र के निवासी आईपीएस संतोष सिंह के कार्यों ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है। बेहतर पुलिसिंग के लिए उन्हें अमेरिका में सम्मानित किया जाएगा, संतोष सिंह को जल्द ही आईएसीपी अवार्ड दिया जाएगा। अवॉर्ड पाने वाले छत्तीसगढ़ से एकलौते अफसर होंगे।इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चीफ्स ऑफ पुलिस अवार्ड 40 वर्ष से कम उम्र के आईपीएस को दिया जाता है। संतोष सिंह को अच्छी नेतृत्व क्षमता, नए प्रयोग ओर पुलिस के काम में बदलाव लाने की कोशिश करने वाला अफसर माना जाता है। 2011 बैच के आईपीएस संतोष सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के हैं। नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा की पढ़ाई की उसके बाद बीएचयू से पॉलिटिकल साइंस की डिग्री हासिल की। उसके बाद जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में एम फिल किया। इसके बाद सिविल सर्विस की पढ़ाई कर क्वालीफाई किया।उनके पिता भी पत्रकारिता करते हैं।
प्रशांत अग्रवाल….छठवें जिले के एसपी बने …..
छ्ग की राजधानी रायपुर के पुलिस कप्तान प्रशांत अग्रवाल साल 2008 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और सूरजपुर जिले के भैयाथान के रहने वाले हैं. इससे पहले वह 5 जिलों दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, जांजगीर चांपा, बलौदाबाजार में बतौर एसपी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.उनका रायपुर छठवाँ जिला है।
छ्ग सूरजपुर(सरगुजा) के भैयाथान के मूल निवासी प्रशांत अग्रवाल को राजधानी रायपुर का एसएसपी बनाया गया है.उन्होंने नवोदय विद्यालय से पढ़ाई की.बाद में भारत के श्रेष्ठ इंजीनियरिंग संस्थान आई आई टी खड़गपुर में चयन हुआ। इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की । पहली बार में कामयाबी नहीं मिली। पर दूसरी बार वे इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस )के लिए चुन लिए गए।
प्रशांत ठाकुर… छठवें जिले की कप्तानी…..
6जिलों में पुलिस कप्तानी करने का रिकार्ड प्रशांत के नाम बन चुका है।जशपुर,बेमेतरा ,दुर्ग, जांजगीर,बलौदा बाजार, और अब धमतरी में एस पी पदस्थ आईपीएस प्रशांत ठाकुर आदिवासी अंचल बस्तर के निवासी है। उनके पिता कलेक्टर आफिस में सुपरिटेण्डेंट थे तथा खेती किसानी का काम भी घर में करते थे।जगदलपुर में सरकारी स्कूलों से कालेज तक पढ़ाई करने वाले प्रशांत एसएससी गणित में गोल्डमेडल हासिल किया था।पीएससी से बतौर डीएसपी पुलिस बल में प्रवेश लेने वाले प्रशांत ने रायपुर, दुर्ग में एडीशनल एसपी,रायपुर कोतवाली, सिविल लाईन में सीएसपी की भी जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं। दुर्ग का खासकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले का पुलिस कप्तानी करना काफ़ी महत्वपूर्ण होता है । साथ ही गृहमंत्री का भी दुर्ग गृह जिला था । अपने काम से काम, कम से कम बात करने, ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा रखने तथा यारों के यार प्रशांत की कामयाबी का यही फंडा है कि जहां तक हो सके लोगों का भला करो… निरपराध को राहत और अपराधियों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
और अब बस..
0लोस में कॉंग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी से राष्ट्रपति को लेकर चूक हुई, उन्होंने खेद भी व्यक्त किया इसके लिये स्मृति ईरानी की सोनिया गाँधी से “माफ़ी” मांगने की मांग करना गले नहीं उतर रहा है….?
0 छ्ग की भूपेश सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से अस्वीकृत … संख्याबल के चलते यह तो होना ही था….।
0छ्ग के वरिष्ठ मंत्री टी एस सिंहदेव बाबा का दांव कहीं उल्टा तो नहीं पड़ जाएगा.?
0जांजगीर के पूर्व कलेक्टर के समय की खरीदी का मामला विस में गूंजा….?
0अदालत के आदेश पर कांग्रेस की विधायक लक्ष्मी ध्रुव के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है ।