क्या कभी आपने गौर किया है कि कुत्ते यानी डॉग्स आपको देखकर मुस्कुरा रहे हैं? या फिर मुंह खोलकर आपका स्वागत कर रहे हैं। आपको यह अहसास करवा रहे हैं कि वे आपके प्रति विनम्र हैं।
हम सब ये तो जानते ही हैं कि ‘कुत्ता’ मनुष्यों का सबसे वफ़ादार और मित्रवत होता है। लेकिन क्या ये जानते हैं कि पूरी दुनिया में लगभग 400 मिलियन श्वान हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय नस्ल लैब्राडोर रिट्रीवर है। विश्व में श्वान की सबसे पुरानी नस्ल सालुकी है, जिसकी उत्पत्ति मिस्र मेकरीब 329 ईसा पूर्व हुआ था। श्वान की सबसे तेज़ नस्ल ग्रेहॉउण्ड 44 मील प्रति घण्टे की चल सकती है। कोई भी डॉग 1000 से अधिक शब्द सिख सकता है।
और समझिये कि श्वान यदि दायीं तरफ़ पूंछ हिलाये तो इसका मतलब वह खुश है, लेकिन दुखी होने पर वह बायीं तरफ पूंछ हिलाता है। श्वानों की औसत आयु 10 से 14 वर्ष होती है, लेकिन उसका दिमाग मनुष्य के 2 वर्ष के बच्चे जितना होता है।.
एक और मज़ेदार तथ्य यह कि श्वान भी हमारी तरह नींद में सपने देखते हैं। इस लिए कभी आप सोते हुए श्वान को पैर हिलाते नोटिस कर सकते हैं। वे हमारी भावनाओं को समझने की क्षमता भी रखते हैं कि कब हम खुश हैं, कब दुखी और कब गुस्से में हैं। श्वान भी इंसानों की तरह लेफ्ट हेंडर्ड या राइट हेंडर्ड होते हैं। इंसानों में 4 रक्त समूह पाए जाते हैं, जबकि डॉग्स में 13 ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं।अ च्छा, अब आप सब सोच रहे होंगे कि श्वानों पर इतनी रोचक जानकारी मैं कहाँ से लेकर आ गयी हूँ। तो पहले बता देती हूँ कि ये खज़ाना मेरे हाथ कहाँ से लगा है। दरअसल 7वीं वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल भिलाई ने एक बहुउपयोगी पुस्तक प्रकाशित की है, जिसका नाम है ‘छत्तीसगढ़ पुलिस की श्वान प्रशिक्षण और प्रबंधन’।.
ये महत्वपूर्ण पुस्तक आयी तो करीब पांच-छह माह पूर्व थी, लेकिन व्यस्तता के कारण इस पर चर्चा नहीं कर पाई। उसके लिए क्षमाप्रार्थी भी हूँ। इस पुस्तक को हाथों तक पहुँचाने का पूरा श्रेय आईपीएस विजय अग्रवाल को जाता है, जो उस समय 7वीं वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल भिलाई में बतौर सेनानी पदस्थ थे। अब वे जशपुर एसपी हैं।
पुस्तक में श्वानों की नस्ल, उनके गुण, उनकी ट्रेनिंग, पुलिस में उनकी उपयोगिता, उनकी उपलब्धियों का सचित्र वर्णन है। श्वानों से संबंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी है। उनके रख-रखाव, उनकी कमी-कमजोरियों, उनकी विशेषताओं के साथ-साथ उनके ट्रेनर्स के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी हैं। 103 पेज की ये सचित्र पुस्तिका आपको अलग ही दुनिया में ले जाती है, वह दुनिया है श्वानों की दुनिया।बे हद रोचक और रिसर्च बेस्ड इस पुस्तक यह भी बताया गया है कि पुलिस अपराध की विवेचना में डॉग्स का किस तरह उपयोग करती है।.
छत्तीसगढ़ पुलिस में वर्ष 2002 में डॉग यूनिट की स्थापना की गई थी। छत्तीसगढ़ राज्य में छत्तीसगढ़ी बोली जाती है, इसलिए यहां पैदा हुए 22 पप्स के नाम छत्तीसगढ़ी में रखे गए हैं जैसे बुधारू, गेन्दू, खेमू, भूरी, लीला, दुलार इत्यादि रखे गए हैं। वर्ष 2005 से अब तक श्वानों ने कुल 896 मामले सुलझाए हैं। इनमें नक्सली क्षेत्र में विस्फोटक पदार्थ ढूंढने के मामले भी शामिल हैं। तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्बात के एक ट्रेफिक सर्कल में सोने से निर्मित श्वान की मूर्ति का अनावरण किया गया है। इससे पता चलता है कि श्वान कितने प्रतिष्ठित हैं। यूँ तो पुस्तक श्वान संबंधी जानकारी से भरपूर है। सब कुछ जानने के लिए तो आपको पुस्तक स्वयं पढ़नी होगी।
लेकिन अंत में एक महत्वपूर्ण जानकारी का उल्लेख जरूर कर सकती हूँ कि विश्व से विलुप्त होने वाले प्राणियों में श्वानों की कुछ प्रजातियां भी शामिल हैं। इनमें यू के टेरियर, टैलबोट, सैलिश उल डॉग, मास्को वाटर, तविद्वतर स्पैनियल, कुरी, मोलॉसस डॉग हैं, जो अब नहीं पाए जाते।
अंत में, छत्तीसगढ़ के वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा भी बधाई के हकदार हैं, क्योंकि डॉग्स की ट्रेनिंग छत्तीसगढ़ में ही हो, ये उनका ही सुझाव था। बाहर से डॉग्स मंगवाना बहुत खर्चीला और चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन भिलाई स्थित 7वीं वाहिनी श्वान ट्रेनिंग का जोरदार काम कर रही है।.
पुस्तक तैयार कर प्रकाशित करने में आईपीएस विजय अग्रवाल और प्लाटून कमांडर सुरेश सिंह कुशवाहा की विशेष मेहनत है। ये पुस्तक मेरे हाथों तक वरिष्ठ पत्रकार श्री शंकर पांडेय के सौजन्य से पहुंची, इसलिए उनका भी अभिनंदन।
राज्य श्वान प्रशिक्षण केंद्र को एक महत्वपूर्ण प्रकाशन के लिए बधाई।
प्रियंका कौशल
स्टेट हेड
सहारा समय न्यूज़ चैनल