क्या देश में बेरोज़गारी की समस्या के समाधान का कोई रोडमैप है मोदी सरकार के पास? – प्रकाशपुंज पाण्डेय

रायपुर : समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने देश के एक अतिमहत्वपूर्ण विषय पर मीडिया के माध्यम से जनता का ध्यानाकर्षण करते हुए केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार से प्रश्न किया है कि देश में बेरोज़गारी की समस्या का समाधान कब तक होगा और क्या मोदी सरकार के पास इस सबसे बड़ी समस्या के समाधान के लिए कोई रोडमैप है? क्या सरकार ने इसके समाधान के लिए कोई रास्ता निकाला है?

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि जब 2014 में देश में बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दों पर सत्ता परिवर्तन हुआ तो लोगों को आस थी कि जो वायदे किए गए थे वे पूरे होंगे। जैसे कालाधन वापस आएगा लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं है, भ्रष्टाचार दूर होगा लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं है, उल्टा भ्रष्टाचार और बढ़ गया है, देश बेरोज़गारी की समस्या का हल होगा और प्रतिवर्ष 2 करोड़ नए रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं है। कोई वायदा पूरा नहीं हो पाया। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोज़गारी दर 6.1 फीसदी रही, जबकि 2011-12 में यह 2.2 फीसदी था। साल 2017-18 में छत्तीसगढ़ में सबसे कम बेरोज़गारी दर 3.3 फीसदी रही। यह दर मध्य प्रदेश में 4.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 4.6 फीसदी रही। सितंबर से दिसंबर 2019 के चार महीनों में बेरोज़गारी की दर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई, यही नहीं, उच्च श‍िक्ष‍ित लोगों की बेरोज़गारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक पहुंच गई है। ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में बेरोज़गारी की दर ज्यादा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के द्वारा जारी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि सरकार को इन आंकड़ों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी की समस्या अब अपने चरम पर पहुंचने वाली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *