डॉक्टर शिष्यों ने अपने गुरू के जीवन पर लिख दिया 64 पेज का दस्तावेज

इंदौर। सेवानिवृत्त होना एक नियमित प्रक्रिया है परन्तु विद्यार्थी किसी शिक्षक पर 64 पेज की पुस्तक लिख डालें यह अपने आप में अनूठी बात है। गुरूवार को महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज सभागार में विद्यार्थियों ने अपने गुरू को पुस्तक रूपी दस्तावेज गुरू दक्षिणा प्रदान के तौर पर भेट किया। बात सिर्फ एक शिक्षक की बिदाई समारोह तक सिमित नहीं है। इस कार्यक्रम ने गुरू शिष्य परम्परा को एक नई मजबूती दी है, वह भी उस दौर में जब इस परम्परा में बहुत गिरावट नजर आने लगी है। डॉ मनोहर भंडारी एमजीएम कॉलेज की अमूल्य धरोहर के रूप में जाने जाते है। मेडिकल स्टूडेंस की मदद के लिए किसी भी स्तर की लड़ाई लड़ने के लिए डॉक्टर साहब सदैव तत्पर रहते है। कई बेशकिमती सुझाव उन्होंने शासन और मेडिकल कॉसिल को दिए जिसे माना भी गया। कई रिपोर्ट राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित भी हुई। डॉ भंडारी के काम सिर्फ एमजीएम कॉलेज नहीं बल्कि इंदौर शहर को गौरवांवित करने वाले है।    

हर बैच के स्टूडेंट ने साझा की पुरानी यादें –
डॉ भंडारी का हर बैच के साथ गहरा लगाव रहा है। यही कारण रहा कि अपने सबसे प्रिय शिक्षक की बिदाई के मौके पर नए और पुराने सभी शिष्य मौजूद रहे। विद्यार्थियों द्वारा तैयार की गई पुस्तक में 1998 से लेकर 2019 तक की बैच की शिष्य मंडली ने अपने विचार, यादों को सांझा किया है। कॉलेज में अपने लंबे सेवा काल में डॉक्टर साहब के करीब साढ़े चार हजार स्टूडेंट रहे जो आज देश के कई शहरों में स्थापित है। इतने लोगों को जोड़ने के लिए वर्तमान विद्यार्थियों ने आॅन लाइन सिस्टम बनाया जिससे पुराने लोगों को जोड़ा गया। करीब छह माह की मेहनत से एक ऐसा दस्तावेज तैयार हो गया जिसकी मिसाल शिक्षा जगत में हमेशा दी जाएंगी।

एमजीएम को अपना सर्वस्व माना
अपने सम्मान के प्रति उत्तर में डॉ भंडारी कहते है कि यह मेरे जीवन की अनूठी घटना है। किसी भी बड़े सम्मान या पुरस्कार की अभिलाषा मुझे नहीं रही, एक शिक्षक के शिष्य उसे इस तरह की बिदाई दे तो यह मेरे जीवन को कृतार्थ करने वाली बात है। मेने कभी भी विद्यार्थियों को अपने बच्चों से कम नहीं समझा। मुझे गर्व है कि में अपने कार्य में सफल रहा। डॉ भंडारी ने कहा कि मैंने अपनी नियुक्ति 30 सितम्बर 1982 से ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज को अपना सर्वस्व मान लिया था। अपने आपको एमजीएम में समाहित और समर्पित कर दिया। मेरा सौभाग्य है कि सभी अधिष्ठाताओं ने मुझे विद्यार्थियों के हितार्थ कार्य और कार्यक्रम करने की स्वतन्त्रता प्रदान की। भावूक होते हुए डॉ भंडारी ने कहा एमजीएम की धरती को शत शत नमन।

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