चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें… चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भी सांप-सीढ़ी का खेल चल रह है। लूडो के खेल में सीढ़ी मिली तो उपर तथा सांप मिला तो नीचे… बस कुछ इसी अंदाज से आरोप-प्रत्यारोप का दौर सत्ता विपक्ष का जारी है…।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ठेठ छत्तीसगढिय़ा होने के साथ ही मूलत: किसान है, पशु सेवक है इसीलिए मुख्यमंत्री बनते ही किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की, किश्तों में उन्हें 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर भुगतान भी शुरू कर दिया है। तीजा, हरेली, पोला त्यौहार उनकी प्राथमिकता रहे तो छत्तीसगढ़ के विकास में ‘किसान और खेती उनकी प्राथमिकता रही है। उन्होंने नरूवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी योजना का शुरूवात की फिर रोका-छेका योजना की शुरूवात कर 2 रुपये किलो में गोबर खरीदी की योजना की भी शुरूवात की बस भाजपा के नेताओं को यही रास नहीं आ रहा है। भूपेश की बनवासकाल में छत्तीसगढ़ में ‘श्रीराम पथ गमन मार्ग की याद को चिरस्थायी बनाने की योजना भी भाजपा को कुछ अखर रही है।
दरअसल लेपटॉप, मुफ्त मोबाईल वितरण स्काईवॉक, छत्तीसगढ़ में कांक्रीट के जंगलों को प्राथमिकता देने वाली भाजपा के कुछ नेताओं को किसान, गांव,गोबर की योजना अखर रही है। छत्तीसगढ़ को विकासशील प्रदेश बनाने का 15 सालों तक सपना दिखाने वाली भाजपा की प्राथमिकता में किसान थे ही नहीं तभी तो किसानों को बोनस, जर्सी गाय देने की योजनाओं ने चुनावी घोषणा पत्र में ही दम तोड़ दिया… तभी तो पिछले 15 सालों में भाजपा के शासनकाल में छग में किसान आत्महत्या करने में मजबूर थे। भूपेश के कार्यकाल में किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की है। अब आते है श्रीराम के वनपथ गमन मार्ग को चिरस्थायी बनाने की भूपेश सरकार की योजना पर…। मुख्य सचिव आर.पी. मंडल स्वयं इस योजना में रूचि ले रहे हैं, प्रस्तावित क्षेत्रों का स्वयं दौरा भी कर उचित निर्देश दे चुके हैं… श्रीराम के नाम पर देश सहित कई प्रदेशों में सरकार बनाने वाले भाजपा नेताओं को छत्तीसगढ़ में श्रीराम के वनपथ गमन मार्ग को चिरस्थायी बनाने किसने रोका था… वहीं चंद्रखुरी स्थित मां कौशल्या का मंदिर भी न केवल उपेक्षित रहा बल्कि एक भाजपा नेता के परिवार द्वारा लगभग बंद रखा गया। 15 साल का समय कम नहीं होता है।
अब बात करते हैं छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की भाजपा नेताओं की मांग का… यह ठीक है कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में शराबबंदी का उल्लेख था पर घोषणा पत्र को डेढ़ साल में पूरा करने का तो उल्लेख नहीं था, हाल ही में भाजपा नेत्री सुश्री सरोज पांडे ने भूपेश बघेल को राखी भेजकर शराब बंदी की मांग की है और भाई भूपेश बघेल ने अपनी बहन को विश्वास दिलाया है प्रदेश में शराबबंदी जरूर होगी पर यह भी सवाल उठाया कि उन्होंने राखी भेजकर 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे उन्हीं की पार्टी की नेता डॉ. रमन सिंह से यह मांग क्यों नहीं की। फिर जिस तरह से केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबंदी, जीएसटी लागू की तथा कोरोना के कारण लॉक डाऊन के चलते प्रदेश की आर्थिक हालात बिगड़ी है, जिस तरह से देश-प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ी है ऐसे समय में प्रदेश की आर्थिक हालात को पटरी में लाना प्राथमिकता है, बाहर से आये प्रवासी श्रमिकों को गांवों में ही रोजगार मुहैया कराना प्राथमिकता है… बेरोजगारी कम करना चुनौती है ऐसे में शराब बिक्री बंदी करने आर्थिक मदद को भी खो देना फिलहाल संभव नहीं है। कोरोना प्रभावितों का इलाज, भी प्रदेश के सामने चुनौती ही है पर मोदी जी लाकडऊन करें तो अच्छा है राज्य सरकार करे तो भाजपा नेताओं को वह भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है।

सुरता बिसाहू दास महंत के…            

सीपी एण्ड बरार, म.प्र. में लगातार 6 विधानसभाओं में छत्तीसगढिय़ों का नेतृत्व करने वाले छत्तीसगढ़ की चेतना के संवाहक महंत बिसाहू दास महंत की 23 जुलाई को पुण्यतिथि थी। पंडित रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह के साथ राजनीति करने वाले, श्यामाचरण शुक्ल, प्रकाशचंद सेठी के मुख्यमंत्रित्वकाल में उनके मंत्रिमंडल में सदस्य रहे, हसदेव बांगो सिंचाई परियोजना के स्वप्नदृष्टा कट्टर कांग्रेसी, गांधीवादी तथा मारिश कालेज नागपुर में वसंत साठे (पूर्वे केंद्रीय मंत्री) प्रेम नाथ (फिल्मी कलाकार) पत्रकार तरूण भादुड़ी (अमिताभ बच्चन के ससुर) के सहपाठी रहे बिसाहू दास महंत किसी परिचय के मोहताज नहीं है। आपातकाल में जब कांग्रेस के दिग्गज पराजित हो गये थे तब भी चांपा विधानसभा से (बिना प्रचार के) 14127 मतों से विजयी रहे बिसाहू दास महंत 8 अगस्त 1977 से 21 जनवरी 78 तक अविभाजित म.प्र. कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। कांग्रेस के विभाजन के बाद इंदिरा कांग्रेस में शामिल हो गये। उनके निधन के पश्चात नायब तहसीलदार की नौकरी छोड़कर उनके पुत्र डॉ. चरणदास महंत राजनीति में उतरे, अविभाजित म.प्र. में कई बार मंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे महंत आजकल छग विधानसभा के अध्यक्ष हैं तो उनकी पत्नी ज्योत्ना महंत इन दिनों छत्तीसगढ़ से लोकसभा सदस्य हैं। बिसाहू दास महंत के पुत्र डॉ. चरणदास महंत तथा पुत्रवधु ज्योत्ना दोनों जनसेवा के माध्यम से राजनीति कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत कबीरपंथी हैं और कबीरपंथियों का पुर्नजन्म में विश्वास नहीं होता है। फिर भी डॉ. महंत ने कहा कि मैं चाहूंगा कि अगले जनम में भी मेरे पिता बिसाहू दास महंत जी ही हों।
वैसे काफी कम लोगों को पता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा 15 साल तक छग के मुख्यमंत्री रह चुके डॉ. रमन सिंह और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत में भी अच्छी मित्रता है और इसका प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि दोनों के पिता नागपुर में पढ़ाई के दौरान सहपाठी रह चुके हैं। हमें एक ग्रुप फोटो मिला है जिसमें फोटो में दाहिनी ओर की पहली कुर्सी में स्व. विघ्नहरण सिंह (डॉ. रमन सिंह के पिता) बैठे हैं तो पीछे बाएं से दाएं क्रम में स्व. बिसाहू दास महंत (डॉ. चरणदास के पिता) परिलक्षित हो रहे हैं। वैसे यह ग्रुप फोटो 1942 से 48 के बीच की हो सकती है।

दिग्गी राजा छग के प्रभारी…              

पिछली बार शाम को आकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत तथा स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (बाबा) से मुलाकात कर सुबह वापस लौट जाने वाले अविभाजित म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री तथा हाल ही में म.प्र. से राज्यसभा के लिए निर्वाचन के बाद शपथ लेने वाले दिग्विजय सिंह के छत्तीसगढ़ के प्रभारी बनने की चर्चा भी काफी तेज हो गई है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. महंत तथा भूपेश बघेल उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं और ये दोनों नेता अभी भी दिग्विजय सिंह को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं वहीं पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी उनके काफी मधुर संबंध हैं। छत्तीसगढ़ के अन्य अधिकांश बड़े नेता भी दिग्विजय के संपर्क में रहते हैं। रविन्द्र चौबे हो या सत्यनारायण शर्मा, डॉ. प्रेमसाय सिंह हो या धनेन्द्र साहू हो या अमितेश शुक्ला हो, सतनामी समाज के गुरुगद्दीनशीन विजयगुरु (मंत्री रूद्रगुरु के पिता) सभी दिग्गी राजा मंत्रिमंडल के हिस्सा रहे हैं। जिस तरह म.प्र. में कांग्रेस की सरकार कुछ लोगों के दलबदलके बाद भाजपा की झोली में चली गई (ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के चलते) वहीं राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी सचिन पायलेट की बगावत के चलते किसी तरह बच गई है पर कांग्रेस आलाकमान नहीं चाहता है कि छग में भी किसी तरह का मतभेद उभरे? पी.एल. पुनिया का प्रभार ठीक चल रहा है पर कांग्रेस आलाकमान उनको किसी अन्य राज्य की जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहा है वैसे भी छग में दिग्गीराजा का अच्छा प्रभाव है एक बार वे कह भी चुके हैं कि म.प्र. में मुख्यमंत्री 10 साल रह चुका हूं अब छग के राज्यपाल बनने की भी इच्छा जरूर है क्योंकि छग उनका पसंदीदा प्रदेश है। खैर केंद्र में अभी कांग्रेस की हालात किसी से छिपी नहीं है दिग्गीराजा को राज्यपाल तो नहीं बना सकती है पर छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का संगटन प्रभारी जरूर बना सकती है।

और अब बस…

0 छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार बनने के बाद शराब बिक्री में 2856 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा है, राज्यपाल तक शिकायत पहुंच चुकी है।
0 छत्तीसगढ़ को पुलिस आधुनिकीकरण के लिए 2013-14 में 56 करोड़ मिलते थे पर इस साल केवल 20 करोड़ ही मिले हैं…।
0हर साल लाखों पौधारोपण किये जाते हैं यदि वे धरातल पर होते तो हर साल वृक्षारोपण की जरूरत ही नहीं पड़ती..।
0 छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना प्रभावितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है क्या एक हफ्ते का लॉकडाऊन और आगे बढ़ाया जाएगा…?

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