पंडो जनजाति के लोगों की मौत सरकार के लिए कभी न धुलने वाला कलंक: राम विचार नेताम

कांग्रेस राज ने पंडो जनजाति के लोगो की लगातार हो रही मौतों ने सरकार का असली चेहरा उजागर किया:भाजपा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसद सदस्य (राज्यसभा) रामविचार नेताम ने सरगुजा के बलरामपुर ज़िला स्थित रामचंद्रपुर इलाक़े में शुक्रवार को एक और पण्डो महिला की हुई मौत को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है।  नेताम ने कहा कि मौत के इस ताज़ा मामले के बाद पिछले चार माह में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के अब तक कुल 23 लोगों की मौत गहन दु:ख व्यक्त का विषय है। ये मौतें प्रदेश सरकार के आदिवासी-विरोधी चरित्र का प्रमाण हैं।

भाजपा अजजा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व संसद सदस्य नेताम ने कहा कि प्रदेशभर को झकझोर देने वाली इन मौतों से यह एकदम साफ़ हो चला है कि प्रदेश सरकार आदिवासियों , और ख़ासकर पंडो जनजाति की सुरक्षा व उत्थान के नाम पर केवल सियासी ढोल पीटने के अलावा कुछ भी नहीं कर रही है। प्रदेश में पौने तीन साल के कांग्रेस शासनकाल में इन आदिवासियों की की अशिक्षा व ग़रीबी को दूर करने के कोई ठोस काम नहीं हुए। कुपोषण और अंधविश्वास इन आदिवासियों की नियति बना दी गई है। आदिवासियों के साथ हर स्तर पर छल, मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना और आर्थिक शोषण ही हुआ है। न तो उनकी समस्याएँ दूर करने में प्रदेश सरकार ने कोई रुचि ली, और न ही उनके लिए सुरक्षित व सम्मानपूर्वक जीवन जीने का कोई अवसर बाकी रखा। नेताम ने प्रदेश सरकार से इस बात का ज़वाब मांगा है कि पंडो जनजाति के संरक्षण और कल्याण के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के बावज़ूद इन आदिवासियों की दशा में कोई गुणात्मक सुधार क्यों परिलक्षित नहीं हुआ? पंडो जनजाति के लिए बने विकास अभिकरण के ज़रिए करोड़ों रुपए खर्च करके भी पंडो जनजाति के लोगों की लगातार मौतें क्यों हो रही हैं? श्री नेताम ने कहा कि विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के लोग आज भी अशिक्षा, ग़रीबी, अंधविश्वास और कुपोषण से जूझ रहे हैं और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ तक मुहैया नहीं हैं।  नेताम ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को भी आड़े हाथों लिया।  नेताम ने कहा कि जो प्रदेश सरकार सुपोषण के नाम पर बड़े-बड़े दावे कर रही है, उसे इस बात पर शर्म महसूस होनी चाहिए कि इन आदिवासियों के पास एक रुपए किलो चावल का कार्ड तक नहीं है, और कई परिवारों के राशनकार्ड तो परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने लिए गए उधार के कारण गिरवी रखे हुए हैं!

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