विपुल कनैया,राजनांदगांव : शांति सुरक्षा व्यवस्था को सुनियोजित करने के लिए शासन ने सुरक्षा तंत्र के रूप में पुलिस प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी दी जिससे किसी भी प्रकार के आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सके और यदि रक्षा तंत्र भेदभाव के आधार पर किसी को पकड़ती या छोड़ती हैं तो फिर रक्षा तंत्र पर सवाल उठना कही न कही सोचने पर मजबूर कर देगा ।
ऐसे ही मामला डोंगरगढ़ थाने और बोरतलाव में देखने को मिल रही है जहाँ सरकार एक ओर शराब के अवैध तस्करी पर रोक लगाने कार्यवाही की बात करती हैं वही पुलिस प्रशासन पक्षपात पूर्ण तरीके से शराब कोचियों पर कार्यवाही करने के बाजय छोटे मोटे अपने इस्तेमाल हेतु शराब खरीद कर ले जाते लोगो को एकसाथ पकड़ कर 34 / 1 और 34 / 2 की कार्यवाही कर अपना खानापूर्ति करती हैं और शहर में ही खुले आम रोजाना शराब की सैकड़ो पेटी खेप ले जाने वालो पर कार्यवाही नही करती जबकि खुले आम आबकारी और पुलिस थाने के सामने से रोजाना बाइक से बड़ी बड़ी पाउच के थैलो में ले जाते देखा जा सकता हैं वही लेकिन सूत्रों की माने तो पुलिस राजनैतिक स्थानीय नेताओं के इशारे पर इन कोचियों से साठ गाठ कर इन पर कोई कार्यवाही करते नजर नही आती हैं।
वही इस संबंध में शासकीय शराब दुकान के मैनेजर से पूछा गया तो उनका साफ साफ कहना हैं कि मुझे ऊपर से जो आदेश मिलता हैं मैं वह करता हूं
:-अब सवाल ये उठता हैं कि क्या शराब दुकान से शराब पेटी कोचियों को ले जाने की छूट दे रखी हैं या फिर इनके आला अधिकारियों का भी संरक्षण मिला हुआ है।
बहरहाल अब ये देखना है कि पुलिस इन शराब कोचियों पर कब तक शिकंजा कश पाती हैं और इन पर क्या कार्यवाही की जाती हैं या नही।