{किश्त 82}
भारत की आजादी के बाद तहसील को समाप्त करने के विरोध में चलाये जा रहे जनआंदोलन पर सरकारी गोली चलाने का संभवत: पहला मामला छुईखदान में हुआ था, जिसमें 5 लोगों की मौत हुई थी,24 लोग घायल हो गये थे,इस घटना की जाँच के लिये नागपुर हाईकोर्ट के जस्टिस बीके चौधरी की अध्यक्षता में जाँच आयोग बना,तब के नेता प्रतिपक्ष ठा.प्यारेलाल ठाकुर ने सीपी एंड बरार सरकार के मुखिया पंडित रविशंकर शुक्ल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया पर ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया गया। छुईखदान वालों को न्याय नहीं मिल सका?रियासतों के विलीनी करण के बाद 1जन.1948 को सीपी एण्ड बरार के दुर्ग जिले में दुर्ग,राजनांदगांव खैरागढ़,कवर्धा,बेमेतरा,
बालोद,छुईखदान सात तहसीलें थी।सरकार ने दिसंबर 1952 में दुर्ग जिले की एकमात्र छुईखदान तहसील को समाप्त करने का निर्णय किया।छुईखदान के इतिहास में 9 जनवरी 1953 को काला दिन माना जाता है।दुर्ग के डिप्टी कमिश्नर एमवी राजवाड़े, एसपी तनखीवाले ने पुलिस बल के साथ छुईखदान तहसील उपकोषालय के रिकार्ड तथा खजाने को हटाने छुईखदान प्रवास पर आये,डीएसपी,साथ में दो हवल दार,23 सिपाही से लैस थे,राइफल के 30 राउंड के साथ लाठियों से भी लैस थे।साथ में 800 राउंड का बंदूक की गोलियों का एक बाक्स भी रखा गया था।अतिरिक्त सहायक आयुक्त एचएस ठक्कर, एडीऍमअवस्थी,एसडीओपी रामसिंह,खैरागढ़ के तहसीलदार शुक्ला राज नांदगांव एसआई अब्बास खैरागढ़ एसआई बसाक, छुईखदान एसआई शर्मा, खैरागढ़ एसआई दुबेपुलिस दलबल के साथ दोपहर 1.30 बजे छुईखदानपहुंचे।पूर्व की भांति ही नागरिकों को घंटी नगाड़ा बजाकर सूचना दी गई।देखते ही देखते जय स्तंभ चौक में सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई।भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस,तहसील आफिस जनपद सभा कार्यालय, जयस्तंभ चौक के पासफैल गया,लोगों को समझाने का प्रयास कर वहां से हटने के लिए भी कहा।लेकिन भीड़ हटने के लिए राजीनहीं थी, इस पर डिप्टी कमिश्नर ने धारा144 लागू कर दी,भीड़ को तहसील परिसर मेंप्रवेश से रोकने के लिए जय स्तंभ चौक के पास लाठीधारी पुलिस बल तैनात किया गया था।अचानक पुलिस ने लाठी चार्ज किया,चेतावनी दी कि अगर भीड़ तितर- बितर नहीं हुई तो बंदूकों का सहारा लिया जाएगा।लाठीचार्ज के बाद भीड़ फिर से एकत्र हो गयी।लगभग 2.25 बजे डिप्टी कमिश्नर ने एसपी को भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया,फायरिंग दस्ते को पहले एक राउंड हवाई फायर करने कहा गया.. हवाई फायर का भीड़ पर कोई असर नहीं हुआ,फिर सभी 19 राउंड में एक साथ भीड़ पर गोली दागी गई।पहले राउंड की फायरिंग से छुईखदान के दो चचेरे भाई बैकुण्ठ तिवारी, द्वारिका तिवारी हुए।ये दोनों अपने मेहमानों को विदा करने बस स्टैंड आये थे।गोलियां लगते ही दोनोंं की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई।दूसरे राउंड की गोली जय स्तंभ चौक के किनारे होटल के पास ख़डी भूलिनबाई को लगी।एक गोली नगर पालिका परिसर के समीप खड़ी कचरा बाई को लगी जिनकी दूसरे दिन 10 जनवरी को मृत्यु हो गई। दूसरी गोली कचरा बाई के समीप खड़ी सीताबाई को लगी जो गंभीर रूप से जख्मी हो गई।फायरिंग में एक गोली छुईखदान के समीपस्थ ग्राम नवागांव में निवासी ठा. मनासिंह को भी लगी।एक माह के उपचार के पश्चात् उनका निधन हुआ।स्वतंत्रता सेनानी पं. पद्माकरप्रसाद त्रिपाठी को भी गोली के छर्रा लगा था।इस गोली कांड में दो पुरुष,तीन महिलाओं की मृत्यु हुई करीब 24 लोग घायल हुए।
खजाना खैरागढ़ रवाना
गोली कांड में पांच लोगों की मौत और 24 लोगों के जख्मी होने के बाद नगर में सन्नाटा पसर गया। डिप्टी कमिश्नर राजवाड़े के नेतृत्व में आया अधिकारियों का दल खैरागढ़ रवाना हो गया। वे अपने साथ एंटी मलेरिया वैन में रखे उप कोषागार के रिकार्ड और खजाना तथा ट्रक में भरे फर्नीचर आदि को भी अपने साथ ले गये।
अब जिला बना
खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई 3 सितम्बर 2022 को तात्कालिन राजनांदगांव जिले से पृथक होकर 31 वें जिला बना है।संगीत नगरी खैरागढ़ के नाम से विख्यात यहां एशिया के प्रथम कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की नींव तात्कालीन शासक राजा वीरेन्द्र बहादूर सिंह एवं रानी पद्मावती ने सन् 1956 में रखी थी।अपनी पुत्री इंदिरा के स्मृति में ही इस विवि का नामकरण कर संगीत और ललित कला विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपना राजभवन दान किया था। जो दृश्य और प्रदर्शन कला के लिए समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।