{किश्त37}
छग में अकलतरा विधान सभा सीट के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो भी बड़ा नेता वहां जाता है वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता है।इसलिये दिग्गज नेता यहां आने के लिए कतराते हैं।वहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लगभग 5 साल में एक बार भी नहीं गये।जांजगीर- चांपा जिले के अकलतरा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बहुत दिलचस्प है और छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय भी बना रहता है।अकलतरा में पिछले 3 चुनाव से एक पैटर्न देखने को मिला है कि जब भी कोई पार्टी का प्रत्याशी अकलतरा विधानसभा से चुनाव जीतता है तो वो पार्टी सत्ता से बाहर हो जाती है और जो सत्ता में रहते हैं उसकी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव हार जाते है। 2018 विस चुनाव के दौरान रमन सिंह अकलतरा गए थे और वह सत्ता से बाहर हो गए।ये सिर्फ एक उदाहरण नहीं है।इससे पहले जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तब 1958 में अविभाजित मध्यप्रदेश के कैलाश नाथ काटजू आए थे।इसके बाद 1973 में प्रकाशचंद्र सेठी का अकलतरा नगर पालिक क्षेत्र में आगमन हुआ था इसके बाद ये दोनों दोबारा सीएम नहीं बन सके। छ्ग बनने के बाद 2002 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद तत्कालीन सीएम अजीत जोगी अकलतरा पहुंचे थे। लेकिन उनका दोबारा मुख्यमंत्री बनना सपना रह गया।इसके अलावा एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल,अर्जुन सिंह, सुंदरलाल पटवा और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए अकलतरा नहीं गये थे।15 साल तक रमन सिंह नहीं गए थे और 5 साल से भूपेश बघेल नहीं गये…?15 साल तक छत्तीसगढ़ के सीएम रहे डॉ. रमन सिंह एक बार भी अकलतरा नहीं गए पर 2018 में चुनावी कैंपेन के दौरान तरौद चौक तक पहुंचे थे,लेकिन सत्ता से बाहर हो गये….इसके बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात करें तो वह सीएम बनने के बाद अकलतरा गये ही नहीं…
राजनीति इतिहास?
कांग्रेस के नेता धीरेंद्र सिंह के बेटे सौरभ सिंह इस कल मतगणना तक भाजपा से विधायक है।2008 में बहुजन समाज पार्टी से सौरभ सिंह विधायक बने लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट चाहते थे। लेकिन कांग्रेस ने चुन्नीलाल साहू को टिकट दिया और चुन्नीलाल साहू जीत भी गए।फिर सौरभ सिंह ने 2018 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी से भाजपा में चले गए और दूसरी बार विधायक अकलतरा विधानसभा से बने।सौरभ सिंह बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को छोड़ने के बाद अबभाजपा के साथ हैं। इस दौरान भी देखा गया कि 2008 में बसपा से जब विधायक थे तब भाजपा की सरकार सत्ता में आई। 2013 में जब कांग्रेस का विधायक अकलतरा में था तब भी बीजेपी की सरकार आई और अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो अकलतरा से भाजपा के नेता विधायक बने हैं। अब देखना है कि 2023 के परिणाम आने पर पुराना मिथक बने रहता है या टूटता है….?