हिंदी में संविधान:इस छत्तीसगढ़िया बेटे का बड़ा योगदान …..

सीपी एंड बरार के लगभग
14 सालों तक रहे विस अध्यक्ष

{किश्त 7}

छत्तीसगढ के घनश्याम सिंह गुप्ता को संविधान सभा ने हिंदी अनुवाद करने वाली समिति का अध्यक्ष बनाया था।आज हिंदी में संविधान की उपलब्धता का बड़ा श्रेय इन्हें जाता है।घनश्याम सिंह गुप्ता का जन्म 22 दिसंबर 1885 में दुर्ग में हुआ।घनश्याम गुप्ता ने 1906 में जबलपुर के राबर्टसन कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की, उन्हें गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया गया।1908 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी।संविधान सभा के सदस्य घनश्याम सिंह गुप्ता ने राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक सेवाओं के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी योगदान दिया।जंगल सत्याग्रह के दौरान वे 50 रुपये जुर्माना देकर 6 महीने की सजा काटकर जेल से मुक्त हुए थे।नवम्बर 1933 में जब गांधीजी का दुर्ग आगमन हुआ तब घनश्याम सिंह गुप्ता के निवास का भी रुख किया था।दुर्ग छग के रहने वाले घनश्याम सिंह गुप्ता अंग्रेजों के भारत में कब्जे के समय सीपी एंड बरार स्टेट (तब मप्र, छग महाराष्ट्र आदि इसके अधीन था) के लगभग 14 सालों तक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। इन्होंने ही देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को 24जनवरी 1950 को संविधान की हिंदी अनुवाद प्रति सौंपी थीं। यहां यह बताना भी जरुरी है कि संविधान कि हिंदी प्रति में 282 लोगों के हस्ताक्षर हैं तो अंग्रेजी प्रति में 278 लोगों ने अपना हस्ताक्षर किया था।अंग्रेजों के शासनकाल में घनश्याम सिंह गुप्ता14 सालों तक सेन्ट्रल प्रोविन्स एंड बरार (सीपी एंड बरार) विधान सभा के अध्यक्ष भी रहे।1923और 1927में सी पी एंड बरार विधानसभा के सदस्य चुने गये।1939 में सेन्ट्रल असेम्बली के चुनाव में डॉ हरिसिंह गौर को हरा कर दिल्ली पहुंचे थे।1931 में फिर सी पी एंड बरार विधानसभा के सदस्य चुने गये और विस अध्यक्ष बने। 13जून 1976 को उनका निधन हो गया।

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