बिजली के पोलो पर ओवरहेड मोटी केबलें पहले ही तो अंडरग्राउंड लाइन की क्यों जरूरत
शहर कांग्रेस प्रवक्ता का प्रश्न बिजली कंपनी जनता को बताए कहां गया आर्मड केबल का बजट
इंदौर। बिजली विभाग की कार गुजारियों के जानकार तेज तर्रार कांग्रेस प्रवक्ता संजय बाकलीवाल ने बिजली विभाग पर सवालों की झड़ी लगा दी है। उन्होंने पूछा है कि मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कुछ वर्ष पहले ही पोलों पर ओवरहेड आर्मड मोटी केबल डाली। तब बिजली कंपनी के अधिकारियों का यह दावा था कि इस ओवरहेड मोटी आर्मड केबल से न केवल बिजली चोरी रुकेगी, बल्कि लाइन लॉस भी काम होगा। इस ओवरहेड केबल को डालने के लिए लोकधन से करोड़ों रुपए का बजट भी जारी हुआ। इसके लिए कांट्रेक्ट भी करोड़ों रुपए का दिया गया। बिजली कंपनी का यह भी दावा रहा कि इस ओवरहेड आर्मड केबल से तारों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी। साथ ही शहर भी सुंदर दिखाई देगा, लेकिन शहर भर से न तो तारों का जंजाल ही काम हुआ और न ही शहर सुंदर दिखाई देने लगा, बल्कि ओवरहेड केबल डालने के बाद तारों के जंजाल में एक और तार जुड़ गया।
प्रवक्ता बाकलीवाल ने अधिकारियों से सवाल किया कि बिजली कंपनी के अधिकारियों को यह बताना चाहिए कि पोलों पर लगाई गई ओवरहेड मोटी केबलों के लिए जब करोड़ों रुपए लोकधन खर्च किया गया तो फिर अंडरग्राउंड बिजली की लाइनों की जरूरत क्यों आन पड़ी। एक तरफ तो बिजली कंपनी अधिकारी कह रहे हैं कि मेंटेनेंस के लिए केवल नहीं है और दूसरी तरफ ओवरहेड आर्मर्ड केबल डालने के बाद भी तारों को नहीं निकल रहे हैं। यदि यह पुराने तार निकल लिए जाए तो दूसरी जगह मेंटेनेंस के काम आ सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। इसका कारण भी बताया जाना चाहिए। साथ ही यह भी बताना चाहिए कि कुछ वर्ष पूर्व डाली गई ओवरहेड मोटी केबलों के लिए ठेकेदार फॉर्म को कितने करोड़ रुपए का ठेका दिया गया ? बिजली कंपनी अधिकारी जनता को यह भी बताएं कि ओवरहेड केबल डालने के बाद कितने परसेंट बिजली चोरी रुकी। शहर में कहां-कहां ओवरहेड केबलों से सप्लाई की जा रही है और जहां बिजली के तारों के साथ ही मोटी केबल डाली गई है तो दोनों में से कौन सी लाइन चालू है? दोनों लाइन एक साथ डालने की क्यों जरूरत पड़ी? इस संबंध में शहर कांग्रेस कमेटी एक ज्ञापन संभाग आयुक्त प्रमुख, सचिव ऊर्जा विभाग को सौंपेंगी।