इंदौर। अभी तक इंदौर की विधानसभा सीटों को लेकर कांगेसी ये मान रहे थे कि सब ठीक है…। लेकिन जिला कांग्रेस में हुए बदलाव के बाद सारे राजनीतिक समीकरण बिगड़ते नज़र आ रहे हैं। दबी जुबान में कांग्रेसी ये मान रहे हैं कि संगठन में दबाव की राजनीति कांग्रेस को भारी पड़ने वाली है। ताज़ा मामला जिला कांग्रेस में बनाए गए कार्यवाहक अध्यक्ष का है। जहां दो पिछड़े , एक अल्पसंख्यक (पिछड़े) वर्ग से नियुक्त किया गया है। सदाशिव यादव दूसरी बार पूर्णकालीन अध्यक्ष हैं। बलराम पटेल और सोहराब पटेल को नई जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में जिले की राजनीति में सामान्य वर्ग पूरी तरह से संगठन से बाहर कर दिया गया है।
राऊ , देपालपुर के साथ महू में पड़ेगा असर
नई नियुक्तियों के बाद जो समीकरण सामने आ रहे हैं उसमें सबसे पहले ठाकुट समाज के वोटरों की नाराजगी सामने आ सकती है। उसके बाद ब्राम्हण समाज की नाराजगी भी संभव है। दोनों समाज के वोट सीधे तौर पर देपालपुर के साथ राऊ और महू विधानसभा सीटों को प्रभावित करते हैं।
शहर की राजनीति पहले ही समीकरणों में उलझी
इंदौर शहर कांग्रेस की राजनीति पहले ही उलझी हुई है। यहां तीसरी बार अल्पसंख्यक समुदाय से अध्यक्ष बनाया गया है। पंडित कृपाशंकर शुक्ला के बाद कोई सामान्य वर्ग से अध्यक्ष नहीं रहा। शहर कांग्रेस में तो पिछड़े वर्ग से आज तक कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया ही नहीं गया। हालांकि सुरजीत सिंह चड्डा की वर्किंग को लेकर सब संतुष्ट हैं।
यूथ कांग्रेस में सामान्य गायब
बात यूथ कांग्रेस की करें तो यहां के राजनीतिक समीकरण भी अब इन नियुक्तियों के बाद चर्चा में हैं। शहर और ग्रामीण दोनों ही जगह से सामान्य गायब हैं। इंदौर के राजनीतिक समीकरण किस तरह तय हो रहे हैं कांग्रेस में अब ये चर्चा अंदर खाने तेज हो गई है।
करणी सेना ने खोला मोर्चा
जिले पिछड़े वर्ग की ज्यादा नियुक्ति होने के बाद करणी सेना ने मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से कांग्रेस के खिलाफ नाराज़गी दिखाई जा रही है। आने वाले दिनों में इंदौर कांग्रेस की राजनीति किस करवट बैठती है अब इस पर सबकी निगाहें हैं।