{किश्त109}
नियति को क्या मंजूर होता है,यह तो केवल वही जानती है पर लगता है कि राजीव गाँधी को मौत ही श्रीपेरंबदूर ले गई थी?पूर्व पीएम राजीव गांधी का उस दिन राजनांदगांव आने का प्रोगाम था,तैयारी भी पूरी हो चुकी थी पर अचानक ही कार्यक्रम में तब्दीली हुई और वे श्रीपेरंबदूर चले गये, और देश में अभी तक के सबसे युवा पीएम की हत्या हो गई..? 80 के दशक के सांसद शिवेंद्र बहादुर सिंह ने राजीव काे राजनांदगांव बुलाया था,असल में दून स्कूल में राजीव-शिवेंद्र पढ़ाई कर चुके थे, वहीं से उनका परिचय भी था।वहीं शिवेंद्र के माता-पिता भी सांसद रह चुके थे,ऐसे में उनके परिवार का सम्बन्ध नेहरू-गाँधी परिवार से भी निकट का रहा था।खैरागढ़ रियासत का सीधा दखल केंद्र में रहा था।राजनांदगांव सियासत के लिहाज से काफी मजबूत रही है।यही कारण है कि 80 के दशक में सांसद शिवेंद्र बहादुर के बुलावे पर देश के दो-दो पीएम संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे और लोगों ने करीब से उन्हें देखा।सांसद सिंह के बुलावे पर पीएम इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के लिये राजनांदगांव के मानपुर पहुंचीं थीं।जहांआदिवासी बहुल मानपुर में रोड शो भी किया था।पीएम राजीव गांधी भी शिवेंद्र बहादुर के बुलावे पर लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे थे,कवर्धा के भोरम देव से बैगा प्रोजेक्ट शुरु किया था। शिवेंद्र के चुनाव प्रचार के लिए राजीव गाँधी ने 21 मई 1991 को राज नांदगांव आने की सहमति भी दे दी थी।सभा-रैली की पूरी तैयारियां कर ली गईं थीं। पर अचानक ही प्लान बदला और वे तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर चले गए,जहां बम ब्लास्ट कर उनकीहत्या कर दी गई।राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से खैरागढ़ राजपरिवार के युवराज शिवेंद्र बहादुर सिंह तीन बार सांसद रहे।1955 से लेकर 1965 तक उन्होंने राजीव गांधी के साथ दून स्कूल में पढ़ाई की थी। पूर्व पीएम राजीव गांधी के सह पाठी होने के चलते उनसे सीधा संपर्क रहा। यही कारण है कि मप्र के समय राजनांदगांव में दो पीएम इंदिरा और राजीव गाँधी भी पहुंचे थे।1982 में इंदिरा गांधी ने मानपुर में रोड शो भी किया था।इंदिरा गांधी 1982 में मानपुर पहुंची थीं,सांसद शिवेंद्र बहादुर के साथ आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले लाल श्यामशाह से मुलाकात की, दोनों के आग्रह पर पीएम इंदिरा ने मानपुर में रोड शो भी किया था।श्रीमती गाँधी का हेलीकाॅप्टर भिलाई में लैंड हुआ था,जहां से सड़क के रास्ते मानपुर तक पहुंची थीं।बाद में 1988 में दूसरे पीएम राजीव राजनांदगांव लोसक्षेत्र के भोरमदेव पहुंचे थे,जहां से अविभाजित मप्र में बैगा प्रोजेक्ट की शुरु आत की थी।भोरमदेव में सभा भी हुई थी,जिसमें बड़ी संख्या में बैगा मौजूद थे।यहीं से प्रदेश में बैगा जनजाति को संरक्षण देने का काम शुरू हुआ।उन्हें जंगल की जमीन एवं अन्य सुविधाएं देने की योजना शुरू की गई।
माता-पिता और पुत्र
भी सांसद बने थे
छत्तीसगढ़ में राजपरिवार के 3 सदस्य लोकसभा के अलग अलग समय में सदस्य रहे।शिवेंद्र बहादुर खैरागढ़ रियासत के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह व रानी पद्मावती देवी के पुत्र थे।लोकसभा राजनांदगांव से 1957और 1962में राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह,1967 में रानी पद्मावती देवी तो 1980,84और 91में शिवेंद्र बहादुर सिंह सांसद रहे।
भतीजा देवव्रत भी बना
था लोकसभा सदस्य…
इसी रियासत के ही राजा देवव्रत सिंह भी सांसद चुने गये थे,उनके पिता रविंद्र बहादुर सिंह खैरागढ़ रियासत के अंतिम रूलिंग चीफ राजा बहादुर वीरेंद्र बहादुर व रानी पद्मावती सिंह के बड़े पुत्र थे।उनका विवाह इंडियन आर्म्ड फोर्स में कमांडर इन चीफ रहे जनरल राजेंद्र सिंह की पुत्री रानी रश्मि देवी सिंह सेहुआ था। विवाह के बाद खैरागढ़ विधानसभा की विधायक रहीं।राजा साहब के छोटे भाई पूर्व सांसद स्व शिवेंद्र बहादुर सिंह थे।