रंग, खुशबू और मौसम का बहाना हो गया…. अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया….

 शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )        

छत्तीसगढ़ में अभी विधान सभा चुनाव दो/ढाई साल बचा है पर सत्ताधारी दल कांग्रेस , प्रमुख विपक्षी दल भाजपा में सीएम/सीएम का खेला चल रहा है। भाई भूपेश बघेल अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं तो अपनी पारी का टी एस सिंहदेव इन्तजार कर रहे हैं….?( पता नही यह फार्मूला था भी या नहीं) पहले विधायक वृहस्पत सिंह अपनी हत्या का आरोप लगाकर फजीहत करा चुके हैं, बाद में कहते हैं कि उन्होंने खेद प्रकट किया है माफी नही मांगी है…? पत्रकारों से भी कह दिया कि आप लोग तो अंगूठा छाप आदिवासियों की तरह सवाल कर रहे हैं…? अब आदिवासी भी उनसे नाराज हो गए हैं… इधर दिल्ली के जंतर मंतर में कुछ लोगों द्वारा बाबा साहब के पक्ष में राहुल गांधी के सामने नारेबाजी, बाबा साहब तथा विस अध्यक्ष महंत का दिल्ली में डेरा डालना भी चर्चा में है हालांकि महंत निजी दौरे पर हैं… ऐसा कहा जा रहा है ?     
इधर भाजपा में लगातार 15 सालों तक मुख्यमंत्री रह चुके तथा भाजपा शासित राज्यों मे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड बनाने वाले डाक्टर रमन सिंह अभी से खुद कोअगले चुनाव में सीएम की दौड़ में शामिल बता रहे हैं…., हालांकि प्रदेश भाजपा प्रभारी पुरेंदेश्वरी देवी का बारंबार कहना है कि छग में भाजपा अगला चुनाव किसी के चेहरे पर नही विकास के नाम पर लड़ेगी… वैसे सूत्र बताते हैं कि भाजपा की बुरी हार,(सिर्फ 15 विधायक, उप चुनाव के बाद 14) से भाजपा आलाकमान स्थानीय कुछ बड़े नेताओं से नाखुश हैं,हो सकता है कि लोकसभा की तर्ज पर कुछ बड़े नेताओं कोअगले विस चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया जाए तो आश्चर्य नही होगा…

नफीसा अली और बस्तर…..   

भारतीय अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता तथा राजनेता नफीसा अली किसी पहचान की मोहताज नहीं है उसके पिता अहमद अली उसके जन्म के पहले बस्तर प्रवास पर आये थे। 1956 में उन्होंने तत्कालीन बस्तर की खूबसूरती, जीवन, कला और संस्कृति को कैमरे में कैद किया था। बाद में नफीसा अली ने पिता द्वारा लिये गये छायाचित्रों को ‘बस्तर द लॉस्ट हैरिटेज’ के नाम से संकलित कर काफी टेबल पुस्तक का रूप दिया। दिल्ली में उन चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
18 जनवरी 1957 को कोलकाता में जन्मी नफीसा अली के पिता अहमद अली बंगाली मुसलमान थे तो उनकी मां फिलोमना एक रोमन कैथोलिक थी। नफीसा के दादा एस वाजिद अली बंगाली के प्रसिद्ध लेखकों में एक थे। नफीसा के पति कर्नल आर.एस. सोढ़ी प्रसिद्ध पोलो खिलाड़ी, अर्जुन पुरस्कार विजेता रहे हैं। नफीसा तैराकी की राष्ट्रीय चैम्पियन 1972-74 में थी तो 1976 में मिस इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। नफीसा हिन्दी फिल्म जुनून, मेजर साब बेवफा, यमला पगला दीवाना, बिग बी में काम कर चुकी है। उन्होंने 2004,2009 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा।
वैसे उनके जन्म के पहले उनके पिता तथा प्रसिद्ध फोटोग्राफर अहमद अली का बस्तर प्रवास और फिल्म ‘टायगर बाय चेंदरू’ से जुड़ा है। ब्रिटिश फिल्म निर्देशक अर्न सक्सडॉफ बस्तर के टायगर बाय चेंदरू को लेकर एक फिल्म बना रहे थे। उन्हें फिल्म के लिए एक बाध के शावक की जरूरत थी। तब बाघ के शावक को फिल्माने सारी कोशिश बेकार गई तो किसी ने सलाह दी कि कोलकाता पशु निर्यातक जार्ज मुनरो से संपर्क किया जाए। मुनरों एक समृद्ध परिवार से संबंध रखते थे और उन्होंने घर में भी बाघ का शावक पाल रखा था, तब मुनरो ने बाघ के शावक को बेच दिया और उस समय स्टील के एक पिंजड़े में कोलकाता से बाघ का शावक नारायणपुर लाया गया। मुनरो ने अपने मित्र फोटोग्राफर अहमद अली (नफीसा के पिता) को भी बस्तर चलने मना लिया और अहमद अली इस तरह बस्तर आये बस्तर की खूबसूरती, वहां के सामाजिक जीवन, रीति-रिवाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने आदिवासी, जनजीवन, संस्कृति की सैकड़ों तस्वीरें ले ली और उन तस्वीरों के माध्यम से बस्तर को पूरे भारत में चर्चा में ला दिया वहीं ‘टाईगर बॉय चेंदरू’ फिल्म के कारण बस्तर पूरी दुनिया में चर्चा का केन्द्र बन गया था। बाद में नफीसा अली ने अपने पिता द्वारा बस्तर को लेकर खींची गई तस्वीरों यू ‘बस्तर द लॉस्ट हेरिटेज’ नाम से संकलित कर काफी टेबल बुक का नाम दिया और राजधानी दिल्ली में उन चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई थी।

महंगाई डायन और गरीब का पेट …

भाजपा शासित मप्र में एक मंत्री कहते हैं कि देश में महंगाई के लिए पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू का 15अगस्त1947 को दिया गया भाषण जिम्मेदार है तो दूसरे मंत्री कहते हैं कि मप्र में आई बाढ़ के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है क्योंकि यूपीए सरकार ने नदी जोड़ो योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था….. एक तीसरे मंत्री कहते हैं कि महंगाई बढ़ेगी तो किसानों को लाभ मिलेगा…. धन्य हैं शिवराज मंत्रिमंडल के ये सदस्य…. खैर महंगाई डायन खाय जात है….?
गैस, पेट्रोल, डीजल का दाम पिछले दस साल की अपेक्षा लगभग दोगुनी दर पर मिल रहा है। इसीलिए किराया भाड़ा, सिर्फ लॉकडाउन के बाद दोगुना हुआ है पहले जो बढ़ा था उसे छोड़ कर । सरसों तेल पिछले दो साल में तिगुना तक पहुंचने वाला है । नमक, पिछले दस साल में आयोडीन और रिफाइनरी के दाम दस गुने की वृद्धि हुई । कुछ ही साल पहले निरमा 10 रुपये में 500 ग्राम मिलता था अब 10 रुपये में 100 ग्राम मिल रहा है।कुछ साल पहले माचिस 50 पैसे में 60 सेफ्टी स्टिक थी, अब 1 रुपये में 40 सेफ्टी स्टिक ही मिलती । रेत, फिलहाल 100 वर्ग फिट 12हजार रुपया है । यह लॉकडाउन के पहले 5000 से भी कम थी।गिट्टी, फिलहाल 100 वर्ग फिट 8000 से 9000 हजार है ।
सरिया, पिछले साल प्रति क्विंटल5500 रुपये था इस समय 6500/6800 रुपये प्रति क्विटंल है। सीमेंट, कुछ साल पहले 250/300 रुपये प्रति बैग था, अब 400 से 450 रुपये प्रति बैग है।
किराना, पांच साल पहले (धनिया, मिर्चा, मसाला) 100 रुपये में मिल जाता था वह अब उतना 500 में भी नहीं मिलता है।
पिछले कुछ सालों पहले फल,सेब 60रुपये, आम 20रुपये, केला 10/20 रुपये दर्जन में मिल जाते थे जो अब 150, 40/50, 40/50 क्रमशः का रेट हो गया है।
खेत से आलू किसान अब भी 3 रुपये से लेकर 4/6 रुपये किलो तक में बेचता है लेकिन व्यापारी के पास पहुंचने के बाद वह 10 रुपये से नीचे तो सपना हो गया है । फिलहाल 20 रुपये से ऊपर है ।
यूरिया-डाई (ख़ाद) पिछले पांच साल की अपेक्षा तीन गुने दर पर प्राप्त हो रहा है और साथ में वजन में भी कटौती हुई है ।
घरेलू बिजली और व्यवसायिक बिजली की दर बढ़ने से सिंचाई महंगी हुई । जो पानी प्रति घंटा 20 रुपये था वह अब 50 रुपये हो गया है ।टैक्टर की जुताई, पिछले पांच साल की अपेक्षा दोगुनी हुई है। जो जुताई 500 रुपये प्रति बीघा होती थी वह अब 1000 रुपये प्रति बीघा हो गयी है।अनाज का दाम और मजदूर की मजदूरी कितनी बढ़ी है ? यह आप अनुमान लगाइये और सोचिए जिस अनाज के लिए किसान कितनी मेहनत करता और मजदूर, मजदूरी के लिए कितनी मजदूरी लेता क्या उसके मेहनत की अपेक्षा उनका मूल्य सही है ? एमएसपी जैसे क़ानून के बाद इन लोगों का क्या होगा?
क्या मध्यमवर्ग की आमद इतनी बढ़ गयी है कि वह इन सब वस्तुओं को आसानी से अफोर्ड कर पा रहा है ?
आज हर आदमी जिसकी आमद नियमित नहीं है वह तंगहाली में घिसट रहा है । पर गज़ब की बात है सरकार फिर भी मौन है …..?
जिनको दाल और आलू की जी उबाऊ तरकारी भी मयस्सर नहीं वह भी पाकिस्तान, चीन,मंदिर, मस्जिद के चाटखारे ले रहा है ? धारा 370 हटने, राममंदिर बनने , से आम आदमी का पेट तो नही भरेगा…..वह दिन दूर नहीं जब लोगों के गाल और पेट भी पिचके दिखेंगे । क्योंकि पूँजी का हमला अबकी बार पेट पर हुआ है ।

और अब बस….

0छग में कुछ दागी आईएएस, आई पीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नही हो रही है।

0तीन आईजी की जगह फील्ड में डीआईजी काम सम्हाल रहे हैं, वहीं कुछ जिलों में एसपी का जिम्मा एसएसपी ( डीआईजी) सम्हाल रहे हैं।

0आजकल छग सरकार के सबसे करीबी अफसर कौन है…. इसको लेकर चर्चा तेज है..

0खेल रत्न का नाम राजीव गांधी हटाकर मेजर ध्यानचंद के नाम करने से कांग्रेसी नाराज हैं, भाजपाई सवाल उठा रहे हैं कि छग में तो कुशाभाऊ ठाकरे का नाम हटाकर चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता विवि किसने किया था….?
0रायपुर के शहर पोलिस कप्तान तारकेश्वर पटेल बनाए गए है पहले उनके सगे चाचा स्व.आर सी पटेल (एडीजी पद से रिटायर ) भी रायपुर शहर पोलिस कप्तान रह चुके हैं।

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