{किश्त 56}
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने दूरदर्शन के लिए मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सद्गति’ पर एक लघु फिल्म 1981 में बनाई थी।इसकी शूटिंग छग में भी हुई थी।एक तथ्य यह भी है कि25अप्रैल1982 को ‘सद्गति’ के प्रदर्शन के साथ ही दूरदर्शन का रंगीन प्रसारण भी प्रारंभ हो गया था,फिल्म ‘सद्गति’ छतौना (मंदिरहसौद)पलारी(बलौदा बाजार)कोशवा(महासमुंद)आदि गांवों में छायाँकन हुआ था… इसका उल्लेख महेंद्र मिश्र ने ‘सत्यजीत रे,पंथेर पांचाली और फिल्म जगत’ नामक पुस्तक में किया है।वैसे फिल्म में छग के भैयालाल हेड़ऊ और बतौर बाल कलाकार ऋचा मिश्रा ने भी अभिनय किया था।प्रेमचंद ने हिन्दू समाज में ब्राम्हणों और दलितों की स्थिति दिखाने के लिए ही संभवत: ‘सद्गति’ कहानी लिखी थी। दलितों के प्रति पुरोहित का शोषक रवैया, अमानवीय सलूक और नजरिया दिमाग को सन्न कर देता है पर विचार शून्य नहीं…।जहां दलितों की नजर में ब्राम्हण,देवतुल्य दिवाशक्ति सेसंपन्न पवित्र एवं समझदार होता है वहीं ब्राम्हण की नजर में दलित, अछूत,घृणित,अघोरीकामचोर,मूर्ख होता है।कहानी पर सत्यजीत रे ने ‘सद्गति’ फिल्म कानिर्माण किया था।1981 में रायपुर जिले के महासमुंद(तब महासमुंद जिला अस्तित्व में नहीं आया था) से 10किमी दूर केशवा गांव में फिल्म का कुछ हिस्सा शूट किया था। इस फिल्म में प्रसिद्ध अभिनेता स्व.ओमपुरी ने भी प्रमुख भूमिका अदा की थी।वे कुछ समय इसी गांव के एक घर और खलिहान में रहे भी…. महासमुंद के विमल श्रीश्रीमाल से सत्य जीत रे की मित्रता थी और उन्हीं के अनुरोध पर ही केशवा गांव में छायांकन भी किया गया। 20-25 गांवों की लोकेशन देखने के बाद ‘सद्गति’ के लिए पंडित के घर की लोकेशन पसंद आई थी। गौंटिया अवधराम चंद्राकर के घर,खलिहान में छायां कन भी हुआ। हर सुबह 5 बजे टीम गांव पहुंचती थीऔर देर रात रायपुर लौटती थी।ओमपुरी चूंकि प्रमुख भूमिका में थे, वे कई बार केशवा गांव गये थे।फिल्म में ओमपुरी ने दुखी दलित की भूमिका निभाई थी तो मोहन अगासे पुरोहित की भूमिका में थे। भिलाई की मूल निवासी ऋचा,ओमपुरी की बेटी बनी थी। इस फिल्म का छायां कन का कुछ हिस्सा छतौना,पलारी में भी किया गया था। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मानसिक रूप से गुलाम ब्राम्हणवाद के नाम पर अपना शोषण होने देता है और शोषण सहते-सहते ही मर जाता है फिल्म में ओमपुरी (दुखी) स्मिता पाटिल (झुरिया) मोहन अगासे (ब्राम्हण) गीता सिद्धार्थ (ब्राम्हण की पत्नी)ऋचा मिश्रा(धनिया) की प्रमुख भूमिका थी।छग में संस्कृति विभाग के एक कार्यक्रम में तब के छग सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मेरी मुलाकात ओमपुरी से कराई थी तब मैंने उन्हें अपनी पहली पुस्तक ‘इतिहास के आइने में छत्तीसगढ़’ भेंट की थी उन्होंने कहा था कि वे छत्तीसगढ़ को अच्छे से जानना चाहते हैं इसके लिए यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित होगी।वैसे ओमपुरी ने तब कहा था कि वे मुंबई छोड़कर छग के किसी शांत क्षेत्र में घर लेकर रहना चाहते हैं,जिस तरह शंकर गुहा नियोगी ने मजदूरों,आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ी वे भी कुछ करना चाहते हैं,उन्होंने तब नक्सलवाद खत्म करने अपनी फिल्म ‘चक्रव्यूह’ देखने की भी सलाह दी थी।उन्होंने कहा था नक्सल जल,जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं,जिस दिन सरकार उन्हें जवाब दे देगी वे हथियार छोड़ देंगे।बहर हाल छग में रहने की इच्छा ओमपुरी की पूरी नहीं हो सकी और वे दुनिया से विदा हो गये…!