चन्द्रशेखर पटेल,कांकेर : छ.ग.प्रदेश लिपिक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ठाकुर एवं जिला सचिव मनोज कुमार वैष्णव ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को अवगत कराया कि छ.ग.शासन द्वारा प्रदेश के शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने का निर्णय लिया गया है, जोकि कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है। दिनांक 17 फरवरी 2019 को लिपिक संघ के प्रांतीय अधिवेशन, बिलासपुर में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई थी कि, वर्ष 2020 कर्मचारियों का वर्ष होगा एवं वर्षो से प्रताड़ित लिपिकों की वेतन विसंगति दूर होगी। दुर्भाग्य से वर्तमान में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर है, जिसमें छ.ग.शासन के अधीन कार्यरत लिपिक साथी अपनी जान जोखिम में डालकर लगातार सेवायें दे रहे हैं।
छ.ग.शासन द्वारा कोरोना योद्धाओं को पुरूस्कृत किया जाना चाहिये, परंतु वित्त विभाग का वेतन वृद्धि रोकने का आदेश कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला है और साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा लिपिक अधिवेशन बिलासपुर में वर्ष 2020 को कर्मचारी वर्ष घोषित करने वाली घोषणा के भी विपरीत है, वेतनवृद्धि रोकना न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि वार्षिक वेतनवृद्धि संचयी एवं असंचयी प्रभाव से दण्ड के रूप में ही रोकी जाती है। कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष में प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री सहायता कोष में दे चुके हैं व वर्तमान में भी स्वेच्छा से अपना अंशदान दे रहे हैं। साथ ही अपनी जान जोखिम में डालकर शासकीय दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहे हैं।
अतः छ.ग.प्रदेश लिपिक संघ ने ज्ञापन के माध्यम से वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने संबंधी आदेश तत्काल वापस लेने हेतु समुचित निर्देश जारी करने साथ ही कोरोना के कहर में जान जोखिम में डालकर शासकीय कार्य कर रहे कोरोना योद्धाओं का 50 लाख का सुरक्षा बीमा की घोषणा करने हेतु कांकेर कलेक्टर के.एल. चौहान को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
उक्त कार्यक्रम में प्रदेश लिपिक संघ संरक्षक वंदना त्रिपाठी, जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र ठाकुर, विजयेन्द्र चौहान उपाध्यक्ष, जिला सचिव मनोज वैष्णव, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष जागृति साहू, सुशील साहू कोषाध्यक्ष, विनोद कुमार दावडे़, द्रोण नाग, भवानी ठाकुर, पवन बंजारे, श्रीमती शशि शास्त्री एवं अन्य लिपिक कर्मचारी उपस्थित रहे।