{किश्त 241}
पृथक छत्तीसगढ़ के लिये लंबी लड़ाई लड़नेवाले, 11 वर्षों से अधिक समय तक पृथक राज्य के लिए रायपुर शहर की नगरघड़ी चौक पर अनवरत अखंड धरना देने वाले,रायपुर से दिल्ली तक छत्तीसगढ़ राज्य गठन के लिए आंदोलन चलाने वाले दाऊ आनंदकुमार अग्रवाल छ्ग नहीं देश में भी चर्चित नाम रहे हैं।आपातकाल के दौरान जेल में निरुद्ध रहे दाऊ आनंद हमेशा संघर्षों पर विश्वास करते थे।सरल, सच्चे,निष्काम भाव से छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा करनेवाले,सच्चे सपूत थे।जब भी किसी काम में लगते थे पूरा करके ही दम लेते थे।कभी नहीं सोचते थे उसके साथ कौन है, कौन- कौन साथ आएंगे? हमेशा अपने काम में लग जाते थे, उनके पीछे कारवां बनता जाता था।छ्ग के पूर्वसीएम भूपेश बघेल ने छ्ग महतारी की तस्वीर सरकारीऑफिस में लगाने का आदेश दे छ्ग संस्कृति को नया रूप दिया था पर छग राज्य की स्था पना के लिये अखंड धरना देने,सबसे पहले छत्तीसगढ़ महतारी की परिकल्पना करने वाले स्व.दाऊ आनंद अग्रवाल उपेक्षित ही हैँ। उनके संघर्ष के मद्देनजर किसी चौराहे,सड़क, सर कारी भवन का नामकरण कर उनकी स्मृति को चिर स्थायी किया जा सकता है। दाऊ आनंद,छत्तीसगढ़ राज्य के संघर्षपुरुष और प्रणेता रहे हैं। उन्होंनेअपना सर्वस्य जीवन,धन, सृजन शील छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना, स्थापना, निर्माण के लिए समर्पित किया था।1974 से दिल्ली ,भोपाल और रायपुर में निरंतर ’जय छत्तीसगढ़’ के लिए अखंड धरना देकर राज्य निर्माण की मांग ही करते रहे।एल एलबी में गोल्ड मेडलिस्ट दाऊ छत्तीसगढ़ निर्माण के संघर्षशील नेताओं के पहले क्रम केनेताओं में माने जाते थे, लेकिन उनकी पहचान एक किसान नेता के रूप में रही है।दाऊ आनंद ने छग निर्माण के लिए सरदार सुरजीतसिंह बरनाला को छगआमन्त्रित किया,उन्होंने राज्य निर्माण की सहमति भरते सहयोग का आश्वासन भी दिया। सुरजीत सिंह बर नाला ने उन्हें दिल्लीबुलाकर तब के पीएम अटल बिहारी बाजपेयी से भी मिलवाकर उनसे छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए हामी भी भरवा ली थी स्व. दाऊ आनंद की याद को चिरस्थायी बनाने, राज्य को 24 साल पूरे होने पर भी न तो सरकार ने कुछ सोचा न ही अग्रवाल समाज ने..? इतिहासकार रामेंद्र नाथ मिश्र ने बताया “छत्ती सगढ़ राज्य निर्माण आंदो लन के समय दाऊ आनंद अग्रवाल,धरना स्थल के तौर पर कलेक्ट्रेट के पास एक ही स्थान पर धरना देते थे।जब आंदोलन बढ़ता गया,तब स्थान घड़ी चौक के पास रखा गया।इसी दौरान छत्तीसगढ़ महतारी का एक छोटा मंदिर बना, धरनास्थल पर अखंड धरना प्रदर्शन करते थे।छग राज्य आंदोलन के समय लोगों की कल्पना थी कि छत्तीस गढ़ महतारी के रूप में मूर्ति स्थापित करें निश्चित रूप से लोगों के मन में भक्ति भाव के अनुरूप राज्य निर्माण में समर्पण के साथ लोगों का काम करेंगे, उस दृष्टिकोण से राजश्री महंत रामसुंदर दास, स्वर्गीय आचार्य सरयू कांत झा के समक्ष विधिवत रूप से छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापित की गई थी।जब तक वह धरना स्थल पर लोग आते जाते थे सभी राजनेता,आंदोलन कारियों से घर पर आकर बैठा करते थे “। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की मांग केन्द्र में हमारे पुरुखों ने संघर्ष किया, आचार्य नरेंद्रदेव ने 1965 में ‘ छत्तीसगढ़ समाज’ की स्थापना की। 1967 में डॉ.खूबचंद बघेल ने ‘छत्तीसगढ़ी भ्रातृ संघ’ की मांग को नई जान दे दी। इसके बाद चंदूलाल चंद्रा कर ने सर्वदलीय मंच के जरिये मांग को मजबूत किया,लेकिन बाद में उनका मंच टूट गया। संत कवि पवन दीवान ने छत्तीसगढ़ पार्टी के नाम पर चुनाव भी लड़ा और छग के निर्माण के लिए संघर्ष भी किया, बाद में विद्याचरण शुक्ल इस आंदोलन में कूद पड़े। दाऊ आनंद अग्रवाल ने तो 1974 से छत्तीसगढ़निर्माण के लिए रायपुर से दिल्ली तक हड़ताल,तथा लम्बा धरना भी दिया,छत्तीसगढ़ी समाज ने भी सुदूर संघर्ष किया।(सभी संघर्ष करने वालों का उल्लेख संभव नहीं है)। पर एक बात की जरुर चर्चा होती है कि छ्ग राज्य निर्माण की अलख जगाये रखनेवाले दाऊ आनंद अग्रवाल अपने ही छ्ग में उपेक्षित क्यों हैं…?