{किश्त 103}
रवि भवन मालवीय रोड रायपुर में स्थापित यह ऐतिहासिक दरवाजा रानी विक्टोरिया की याद ताजा करता है,जब से छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया तब से यह चार मीनार के नाम से विख्यात है।सालों गुजरने के बाद भी ‘केसर ए हिंद’ दरवाजे की चमक बरकरार है।हैदराबाद की तर्ज पर ही मालवीय रोड स्थित रवि भवन के मुख्य द्वारा पर एक चार मिनार लगभग 147 साल पुराना है और रायपुर के अतीत का गवाह भी है। सन 1877 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया रायपुर आई तब उन्हें यादगार रूप में यह उपहार स्वरूप दिया गया था।दर वाजा 1877 में दिल्ली दरबार में प्रिंस ऑफ वेल्स की उपस्थिति की याद में बनाया गया था,जहां रानी विक्टोरिया को भारत की महारानी की उपाधि से सम्मानित किया गया था,जिसका अर्थ होता था केसर-ए-हिंद। प्रारंभ में,इसे रुपये की सामूहिक निधि से शहर के प्रवेश द्वार के रूप में बनाया गया था।रायपुर के तत्कालीन कुछ अमीर और कुछ सम्मानितजनों द्वारा 4,800 रूपये देकर इसका निर्माण कराया था, अब रविभवन,वाणिज्यिक परिसर ने इस दरवाज़ा को घेर लिया है,और पश्चिम में दो छतरियों को इमारत में मिला दिया गया है। पूर्वोत्तर छतरी के ऊपर का गुंबद पूरी तरह से नष्ट हो गया है। बोलचाल में लाल दरवाजा भी जाता है।रायपुर शहर की ऐतिहासिक धरोहर माना जाता है।पहले द्वार के पीछे खाली मैदान में मेले बाजार लगते थे।बाद में रवि भवन के निर्माण के कारण ‘कैंसर ए हिन्द’ नाम का यह दरवाजा अपनी सुंदरता खो रहा है।साल 1997-98 में रविभवन, छ्ग का पहला सुपर मार्केट बनाने की योजना बनी तो इसके लिए जयस्तंभ चौक से लेकर शारदा चौक तक तोड़फोड़ हुई। इस दौरान केसर ए हिंद दरवाजे को भी तोड़ने की योजना थी,जिसे लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुए। बाद में दरवाजे को छोड़ कर व्यावसायिक परिसर बनाया गया और इसका मुख्य दरवाजा इसी भव्य गेट को रखा गया। तब से लेकर आज तक निगम इसकी कोई देखरेख नहीं कर रहा है..पुरानी विरासत अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है…?