लंदन : ब्रिटेन में अपने सौवें जन्मदिन से ठीक पहले स्वास्थ्य सेवा के लिए 320 लाख पाउंड जुटाने वाले योद्धा कैप्टन टॉम मूर का कोरोना से निधन हो गया। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत में सेवाएं दी थी और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें सर की उपाधि से सम्मानित किया था।



कैप्टन सर टॉम मूर को रविवार को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद बेडफोर्ड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी हन्ना इग्राम-मूर ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से उनका निमोनिया का इलाज चल रहा था और पिछले हफ्ते ही उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। पिछले साल जुलाई में सर मूर विंडसर कैसल में 94 वर्षीया महारानी से तब मिले थे, जब महारानी उन्हें कैप्टन सर टॉम मूर की उपाधि से सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम में आई थीं। कोरोना के कारण पहली बार वह किसी व्यक्ति से सामाजिक दूरी बनाते हुए मिली थीं।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) और अन्य कल्याणकारी कार्यों में धन जुटाने के लिए सर मूर के समर्पण को देखते हुए उन्हें विशेष रूप से नामित किया था। इस मौके पर उन्होंने कैप्टन मूर को देश का असली नगीना करार देते हुए कहा था कि कोरोना वायरस के धुंध में उन्होंने हमें रोशनी दिखाई।
बगीचे के 100 चक्कर लगाकर जुटाया धन
कैप्टन मूर ने अपने सौवें जन्मदिन से ठीक पहले बेडफोर्डशायर स्थित अपने बगीचे में जब सौ चक्कर लगाने का मन बनाया तो उनका लक्ष्य महज 1000 पाउंड जुटाना था। लेकिन महामारी के दौरान उनके दृढ़ संकल्प ने लोगों को खूब आकर्षित किया और कुछ ही दिनों में यह राशि हजारों पाउंड में पहुंच गई। उनके 100 चक्कर पूरा करने तक यह राशि बढ़कर 320 लाख पाउंड हो गई। पिछले साल उन्हें नाइट की उपाधि से सम्मानित करने की जब अपील की गई तो लाखों लोगों ने हस्ताक्षर किए और अप्रैल तक उनके जन्मदिन पर लगभग 1.5 लाख बर्थडे कार्ड आ चुके थे।