राजधानी में बृजमोहन और सुनील को तव्वजो, एक वर्ग में उभरा मतभेद

भिलाई में दो गुटों के बीच टकराव रोकने समझौते में हुई नियुक्ति       

रायपुर। BJP भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और नेता प्रतिपक्ष बदलने के बाद अब जिला अध्यक्षों का बदलाव किया गया है।  BJP जिला अध्यक्ष के परिवर्तन को लेकर यह कहा जा रहा है कि संगठन के लोगों को बनाया गया है,  लेकिन आम कर्यकर्ता कह रहे हैं कि इन पदों के लिए जो नियुक्ति किया गया है उसमें गुट विशेष के दबाव में लोगों को पद  दे दिया गया है। रायपुर में शहर जिला अध्यक्ष पद पर श्रीचंद सुंदरानी को हटाकर जयंती पटेल को बनाए जाने को लेकर कार्यकर्ताओं का एक गुट नाराज बताया जा रहा है। इसके बाद राजनीति गरमा गई है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी में नए चेहरे काे आगे लाना था। BJP में जिला अध्यक्ष के पद पर हुई 13 नियुक्तियों में सारंगढ़ जिला अध्यक्ष सुभाष जालान की नियुक्ति को पार्टी के लोगों ने अच्छा कहा है। वहीं भिलाई में ब्रजेश ब्रिजपुरिया की नियुक्ति दो गुटों के बीच टकराव के चलते समझौते के तहत किए जाने की जानकारी चर्चा में आई है। रायपुर शहर अध्यक्ष को लेकर कई नेताओं ने दावेदारी की थी। यहां दो दिग्गज नेता पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग की,  लेकिन यहां बृजमोहन अग्रवाल और सुनील सोनी को सफलता हाथ मिली। रायपुर जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में तो कई नाम शामिल थे, लेकिन अंतिम वक्त में बात दो नामों पर चल रही थी। इसमें से एक नेता बेहद ही समर्पित और मिलनसार कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं, सभी अन्य कार्यकर्ता उनके नाम की घोषणा की आस में थे, लेकिन इन वक़्त में जयंती पटेल के नाम की घोषणा होते ही पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा छा गयी। अब अंदर ही अंदर बड़े नेताओं को लेकर एक बार फिर नाराजगी होने लगी है।  कार्यकर्ताओं की ये नाराजगी नेताओं को कहां ले जाकर छोड़ेगी ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।

पार्षद और युवा मोर्चा में रहे पदाधिकारी

जयंती पटेल ने 1999 में पार्षद चुनाव लड़ा था। तब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव लडे और जीत दर्ज की। पूर्व जिला अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने जयंती पटेल को 2001 में पार्टी में वापस लाया। उन्हें युवा मोर्चा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। अब उन्हें जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

सक्रिय कार्यकर्तााओं की उपेक्षा

भाजपा कार्यकर्ताओं में जिला अध्यक्ष के रूप में जयंती की नियुक्ति को लेकर असंतोष भी देखने मिल रहा है। कार्यकर्ता उनके परफॉर्मेंस को अब तक कमजोर बता रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं का कहना है कि संगठन के ऊपर स्तर पर बदलाव तो किया गया, लेकिन निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं को सही नेतृत्व नहीं दे पा रहे हैं। भाजपा 2009 से लगातार नगरीय निकाय में निचले कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के कारण चुनाव हारते जा रही है। अब कार्यकर्ता खुलकर विरुद्ध दर्ज कर रहे हैं कि टिकट या पद न मिलने पर पार्टी को पीठ दिखाने वाले क्या ख़ाक उनका नेतृत्व करेंगे। हर परिस्थिति में पार्टी के साथ खड़े रहने वाले कार्यकर्ता मौकापरस्त नेताओ के साथ काम करने को तैयार ही नहीं है। अब चुनावी साल में भाजपा को ये निर्णय भारी पड़ सकता है।

जयंती ने कभी पार्टी को आर्थिक मदद नहीं की

जयंती पटेल के लिए ये भी कहा जाता है कि उन्हें जब-जब पद मिला तब-तब न तो सक्रियता दिखाई ना ही अपने पार्टी को व्यक्तिगत रूप से न ही कभी आर्थिक रूप से मदद की। जब उनके पास पद नहीं रहा तो पार्टी का काम करने के बजाए अपने व्यापार में लगे रहे। अभी पिछले 3 वर्षों से पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में अपनी सहभागिता नही दिखाई फिर भी एक विशेष गुट के चलते जयंती को ही जिलाध्यक्ष बनाया गया है। कार्यकर्ता ये भी नेताओ को ये भी याद दिला रहे हैं कि जयंती ने वर्ष 1999 में टिकट न मिलने पर बगावत करते हुए पार्षद का निर्दलीय चुनाव लडा और भाजपा के सक्रिय निष्ठावान कार्यकर्ता को हराया था।

राजधानी में नया चेहरा न उभरे इसलिए पार्टी को दांव पर लगाया

सूत्रों की मानें तो राजधानी में नया नेतृत्व न उभर पाए, इसलिए एन समय में नाम कटवा कर जयंती पटेल को आगे किया गया। ये पूरा संगठन जानता है एक विशेष अभियान के तहत राजधानी में नया नेतृत्व उभरने ही नही दिया गया। पार्टी को ताक पर रखकर हो रही राजनीति के कारण ही वर्ष 2009 से लगातार राजधानी के नगर निगम में भाजपा का महापौर नही बन पाया। इस सब के बावजूद चुनावी मोड पर जा चुके वक़्त पर ऐसे डमी चेहरे को राजधानी में जिलाध्यक्ष बनाया गया है। सबसे बड़ी बात ये है कि रायपुर अध्यक्ष के नाम की घोषणा होने पर 16 भाजपा मंडल में कही कोई उत्साह नज़र नही आ रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो इस बार राजधानी की चारो सीटों पर भाजपा के लिए बहुत मुश्किल होने वाली है।

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