यदि आपको छत्तीसगढ़ की राजनीतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, संस्कृति और धार्मिक स्थिति को गहराई से समझना हो तो एक बहुत अच्छी किताब प्रकाशित हुई है। किताब के लेखक छत्तीसगढ़ में 42 वर्षों से सतत पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक/विश्लेषक श्री शंकर पांडे हैं। दरअसल ये किताब उनके ही सुप्रसिद्ध कॉलम “आइना ए छत्तीसगढ़” का संकलन है। वर्ष 2005 से लगातार हर शनिवार को पाठकों के पास यह कॉलम पहुंच जाता है। शंकर पांडे जी का अनुभव सुदीर्घ है। उन्होंने नये जिले, संभाग बनते देखा है तो मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ को बनते, विकसित होते और समृद्ध होते देखा है। उनकी पकड़ सूबे की राजनीति पर तो रही ही है, बल्कि प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में भी उनका उतना ही दखल रहा है। वे छत्तीसगढ़ के उन चंद लोगों में से हैं, जो प्रदेश में आने वाली आहट को भी पहचान लेते हैं, उनके कई पूर्वानुमान शत-प्रतिशत सही सिद्ध हुए हैं। इसलिए वे प्रदेश के बड़े-बड़े ओहदेदारों के अघोषित सलाहकार भी हैं।
उनकी किताब में कई दिलचस्प किस्से हैं। कई ऐसी बातें है, जो हुई तो बंद कमरे में थी, लेकिन उनकी पत्रकारिता के जौहर के चलते वे पाठकों को सहज उपलब्ध हो गईं। उनके क़ॉलम ‘आइना ए छत्तीसगढ़ ‘ने पिछले लगभग 17 वर्षों से लोगों के बीच एक अलग स्थान बनाया है।उनके कई शुभचिंतकों ने बहुत जोर दिया, तो उन्होंने उनकी सलाह पर इसे पुस्तक के रूप में पाठकों को उपलब्ध करवाया है।
उनकी पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर आप अंदाजा लगा सकेंगे कि यह कितनी प्रासंगिक और उपयोगी किताब है।
“20 दिंसबर 1946 को मेहर सिनेमा के नाम पर व्ही. शांताराम ने वर्तमान राज टाकीज की स्थापना की थी। तब इसका शिलान्यास महालक्ष्मी सेठ (तत्कालीन कमिश्नर छत्तीसगढ़, बीएल सेठ की धर्मपत्नी) ने किया था।“यानि अंग्रेजों के समय ‘छत्तीसगढ़’ के कमिश्नर बनते थे और आजादी के बाद मप्र बनने के बाद छत्तीसगढ़ कहीं ख़ो गया था….?
अब बताइए कि कितने लोग जानते हैं कि रायपुर की राज टॉकीज की स्थापना व्ही. शांताराम ने की थी।
एक उदाहरण और देखिए- “संत कवि पवन दीवान और फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना (दोनों ही दिवंगत)लोकसभा में साथ-साथ ही बैठते थे। पवन दीवान उन्हें कविता सुनाते थे और बदले में राजेश खन्ना उन्हें शायरी सुनाते थे। “
किताब में वर्तमान घटनाक्रमों पर भी महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। किताब हमें भविष्य की तस्वीर भी दिखाती है। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ किस तरह की परिस्थितियों का सामना कर सकता है। उसकी राजनीतिक और आर्थिक दिशा क्या है? इस पर भी पुस्तक विस्तार से रोशनी डालती है। किताब में ‘साहब’, ‘डॉ. साहब’ और ‘कका’ यानि प्रदेश के दो पूर्व सीएम अजीत जोगी, डॉ रमन सिंह व वर्तमानभूपेश बघेल तीनों मुख्यमंत्रियों के बारे में भी बहुत लिखा गया है।यही नहीं छग के निर्माता अटल बिहारी बाजपेयी, राजमाता विजया राजे सिंधिया, श्यामा चरण शुक्ला, विद्याचरण शुक्ला,अर्जुनसिंह, दिग्विजय सिंह, सुंदरलाल पटवा, वीरेंद्र कुमार सकलेचा,कमलनाथ,शिवराजसिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया पड़ भी कलम चलाई गईं है तो छ्ग के पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार, आर पी मण्डल, अभिताभ जैन, पूर्व पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन, डी ऍम अवस्थी, अशोक जुनेजा पड़ भी बहुत कुछ लिखा गया है। छ्ग के पहले आईएएस, आईपीएस तथा आईएफएस, पहली महिला एसीएस पड़ भी खोजी रिपोर्ट शामिल है। छ्ग में पढ़े बढ़े नरेन्द्र(बाद में स्वामी विवेकानंद ) बस्तर के डीसी नरोन्हा सहित बस्तर के कुछ कलेक्टरों की कार्यप्रणाली, नक्सलवाद पड़ भी बहुत कुछ लिखा गया है।
‘आइना ए छत्तीसगढ़’ में यह भी मिलेगा कि किस तरह फिल्म अभिनेत्री नफीसा अली के पिता प्रसिद्ध फोटोग्राफर अहमद अली बस्तर आए और ब्रिटिश फिल्म निर्देशक अर्न सक्सडॉफ के साथ मिलकर टायगर बॉय चेंदरू पर फिल्म बनाई।
जैन बंन्धुओं की हवाला डायरी हो या भाजपा शासन की नान डायरी, प्रसिद्ध अदाकार हों या निर्माता निर्देशक, देश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियां हों या पुलिस अफसर, सब पर शंकर पांडे जी ने विस्तार से लिखा है।
किताब में भले ही छत्तीसगढ़ पर जोर है, लेकिन समय-समय पर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों पर भी किताब में बहुत सारी सामग्री है। देश की सियासत पर भी शंकर पांडे जी ने समय प्रति समय कमल चलाई है। देश के आर्थिक-सामाजिक विषय पर भी तथ्यातत्मक जानकारी पढ़ने को मिलेगी।
और अंत में शंकर पांडे जी के कॉलम की बात हो जाए। छत्तीसगढ़ समेत देश भर में प्रसिद्ध इस कॉलम में प्रशासनिक हलकों में होने वाली उठापटक, तबादलों की पूर्व जानकारी और अंर्तद्वंद की सूचनाएं भी प्रकाशित होती हैं। समसमायिक शेरो-शायरी से भरपूर इस कॉलम का पाठक नियमित रूप से इसका इंतजार करते हैं। कई बार प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा कर चुके हैं। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी की नजर भी इस कॉलम में रहती है। बड़ी-बड़ी खबरों का असर हो न हो, लेकिन इस कॉलम की तूती बोलते लोगों ने देखा है। इसकी सूचनाओं पर तत्काल असर होते हैं।
एक बहुत ही महत्वपूर्ण किताब के लिए शंकर पांडे जी को बधाई।
0प्रियंका कौशल।।