बापू यानि महात्मा गाँधी, चाचा नेहरू यानि पंडित जवाहर लाल नेहरू, आयरन लेडी यानि इंदिरा गाँधी सहित देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गाँधी को याद किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों यानि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मिडिया सेल द्वारा गाँधी -गोडसे,नेहरू -सरदार पटेल, आदि के रिश्तों पर सवाल उठते रहे हैं…. कभी कभी तो काली चरण टाइप साधु भी गाँधी पर अपशब्द कहते रहे हैँ पर हाल ही में मप्र सरकार के शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की जमकर चर्चा हैं , जिसमें भाजपा नेता ने गणतंत्र दिवस की परेड का जिक्र करते हुए कहा है कि गणतंत्र दिवस की परेड में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभभाई पटेल थे। मोहन यादव ने बिना नाम उल्लेखित किए हुए कहा कि परेड में न तो देश के फर्जी पिता थे, न ही फर्जी चाचा थे, न लोहे की महिला थी, न ही कम्प्यूटर के आविष्कारक थे। मोहन यादव ने आगे लिखा कि परेड में काशी विश्वनाथ की झांकी थी, देवी वैष्णो देवी की झांकी थी, सनातन संस्कृति का नज़ारा था। मेरा देश सही में बदल रहा है, अंग्रेजी गुलामों के जबड़ों से निकल रहा है, मेरा देश सही में स्वतंत्र हो रहा है….?
जिस सुभाष चंद्र बोस और पटेल को प्यार लुटाने का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं वे दोनों महात्मा गांधी के प्राणों में बसते थे कांग्रेस से मतभेद के बाद सुभाष चंद्र बोस ने जब अपने काम करने का नया रास्ता चुना तब भी गांधी के प्रति उनमें नफरत नहीं थी और गांधी को राष्ट्रपिता कहने वाले पहले इंसान सुभाष चंद्र बोस थे।
श्री अटल बिहारी वाजपेई इसी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकसदस्यों में एक थे जिन्होंने नेहरूजी की मृत्यु पर कहा था भारत का दुलारा राजकुमार चला गया…। इंदिराजी के बांग्लादेश युद्ध के अवसर पर कहा था श्रीमती इंदिरा गांधी रणचंडी हैं। जब विदेशमंत्री बने थे तो संसद की दीर्घा में नेहरूजी की तस्वीर हटाने पर नाराज हो गए थे और अपने सामने उसे दोबारा लगवाया था…। उसी बाजपेयी ने जी राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उनकी श्रद्धांजलि के अवसर पर दिल खोलकर देश के सामने खुलासा किया कि आज मैं जिंदा हूं तो राजीव गांधी की बदौलत….।
भारतीय जनता पार्टी के स्थापना के अवसर पर इस नए दल के आमुख उद्देश्य में स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने गांधीवादी समाजवाद को स्वीकार किया। बाजपेयीजी जब प्रधानमंत्री बने तो भी उन्होंने कहा इस देश ने पिछले पचास वर्षों में जो उपलब्धियां अर्जित की हैं उनसे इनकार करना देश के पुरुषार्थ पर पानी फेरना है।वहीं
आपत्तिजनक पोस्ट में मंत्री मोहन यादव ने गांधी, नेहरू, इंदिरा और राजीव का अपमान करने के साथ स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों का अपमान ही है। सवाल उठ रहा है कि मप्र की सरकार के जिम्मेदार मंत्री के खिलाफ यदि कार्यवाही नहीं की जाती तो यह समझा जाएगा कि उनके इस बयान के पीछे भाजपा भी है वैसे अब भाजपा को साफ करना ही होगा कि गाँधी /गोडसे में वे किसके साथ हैं…. कालीचरण के रायपुर के धर्मसंसद के बयान पर छ्ग के सीएम भूपेश बघेल ने उन्हें बंदी बनाने में देर नहीं की, उन्हें मप्र से गिरफ्तार किया गया तब भी वहाँ के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विरोध किया था….कभी कहा जाता है कि पाक बनाने के लिए नेहरू दोषी हैं… कभी कहा जाता है कि गाँधी -नेहरू ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया…? जबकि देश में पहला आम चुनाव 1952 में हुआ था और सरदार का निधन 1950 में ही हो गया था…कुल मिलाकर देश के पूर्वजों को लेकर टीका टिप्पणी दुःखद है…देश या प्रदेश की सरकारों को महापुरुषों पर बयानबाजी करने वालों पर कड़ी कार्यवाही के लिए क़ानून बनाना चाहिए जो राजद्रोह के बराबर भी हो सकता है..। बस हम तो यही कह सकते हैँ कि बापू हमें माफ करना.. पूरे विश्व में आपका रुतबा है, आपकी मूर्तियां लोगों के लिए प्रेरणादायक है तो आपके अपने देश में कुछ लोग क्यों नफरत की आग में जल रहे हैं…समस्या यह है कि भाजपा जैसा भारत बनाना चाहती है, महात्मा गांधी उसके राष्ट्रपिता नहीं हो सकते….संकट यह है कि चाहते हुए भी वह सावरकर को अपना राष्ट्रपिता नहीं बना सकती…..
पुण्यतिथि पर नमन,
शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )