देश भर में अक्षय तृतीया के दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं लेकिन दो साल से सब कुछ बदल गया है। बहुत लोगों ने शादियां टाल दी हैं। जो कर रहे हैं, उनके लिए नियम बहुत हैं। इसका सबसे बड़ा असर शादी समारोहों से जुड़े लोगों पर हो रहा है। बैंड बाजा कारोबार का तो बैंड ही बज चुका है।
हिसार : स्थिति यह है कि घर चलाने के लिए किसी ने घोड़ी बेच दी तो किसी ने बैंडबाजा। ऐसे में अब बैंडबाजा बजाने वाले कारीगरों के पास कोई काम नहीं बचा है। पिछले साल के अंत और इस साल की शुरुआत में कोरोना के मामले कम होने पर से मई माह में काफी शादियां बुक थीं। मामले दोबारा बढ़ने पर लॉकडाउन लगा और कई शादियां टल गईं।
ऐसे में बैंडबाजे वालों और घोड़ी वालों का कारोबार ठप हो गया है। सुरेश बैंड घोड़ी वाला के मालिक सुरेश कुमार काम धंधा न होने से आहत हैं। वे कहते हैं कि हालात बहुत खराब चल रहे है। घर का खर्चा चलाने के लिए मजबूरी में मैंने अपनी दो घोड़ी आधे रेट में बेच दीं। एक घोड़ी की कीमत डेढ़ लाख रुपये थी, जबकि दूसरी घोड़ी की कीमत 80 हजार रुपये थे।
एक घोड़ी अप्रैल में 50 हजार और दूसरी घोड़ी इसी महीने में 40 हजार रुपये में बेची है। हालांकि अभी घोड़ी खरीदने वाले ने पूरा पेमेंट नहीं किया है। इसके अलावा मैंने कुछ बैंडबाजे का सामान भी बेच दिया। लॉकडाउन में शादियां नहीं होने से काम धंधे पूरी तरह बंद हो गए हैं।
घर चलाने में आ रही परेशानी…
वहीं रमेश बैंड एंड हरि सिंह घोड़ी बग्गी वाला के मालिक रमेश का कहना है कि उनके पास आठ घोड़ियां हैं। शादियों का काम बंद होने के कारण परिवार के साथ-साथ घोड़ियों का खर्चा उठाना मुश्किल हो गया है। अप्रैल-मई माह में शादियों की 35 बुकिंग थीं, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद मई में शादियां बंद हो गईं। मेरे पास 20 से ज्यादा कारीगर हैं। सभी घर पर खाली बैठ चुके हैं। ऐसा ही पिछले साल लॉकडाउन में हुआ था। कोरोना महामारी में काम बंद होने के कारण घर का खर्चा चलाने में परेशानी आ रही है। ऐसे में अब क्या करें।
घोड़ियों के खाने का खर्च भी नहीं उठा पा रहे…
अशोका बैंड के मालिक नंद किशोर के पास छह घोड़ियां हैं। वे कहते हैं कि शादियों का काम बंद होने से घोड़ियों के खाने का खर्चा नहीं उठा सकता। ऐसे में मजबूरी में मैंने अपनी घोड़ियों को खुली जगह में छोड़ दिया, ताकि वे कुछ खाकर पेट भर सकें। मेरे पास काम करने वाले 15 कारीगर हैं। रोजाना फोन कर खर्चा मांग रहे हैं। मई में 15 से ज्यादा शादियों की बुकिंग थी, लेकिन शादियां बंद होने के कारण घर का गुजारा करना भी मुश्किल हो गया है। यदि बैंडबाजे का सामान बेचने की नौबत आई तो बेचना ही पड़ेगा।