जन-जातीय समाज पर हमले निंदनीय; छत्तीसगढ़ में भी हो धर्मांतरण विरोधी कठोर कानून: मिलिंद परांडे

नई दिल्ली। अवैध धर्मांतरण व चंगाई सभाओं से देश में, विशेषकर अनुसूचित समाज में, तनाव बढ़ रहा है इसलिए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि देश में लालच, धोखे या भय से धर्मांतरण ना हो। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री  मिलिंद परांडे ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर छत्तीसगढ़ में बढ़ती ईसाई मिशनरियों द्वारा अवैध धर्मांतरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जिन प्रदेशों में अवैध धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर कानून हैं और उनका पालन हो रहा है, वहां की स्थितियां थोड़ी संभली हैं। छत्तीसगढ़ की घटनाओं से अवैध धर्मांतरण रोकने हेतु राज्य में एक कठोर कानून की आवश्यकता फिर से रेखांकित हुई है।

छत्तीसगढ़ के लोगों ने इन गतिविधियों को रोकने में संकल्प पूर्वक काम किया है, विश्व हिंदू परिषद उनके साथ खड़ी है। हमारा यह भी मानना है कि अवैध धर्मांतरण को रोकने के सभी प्रयत्न संविधान व कानून के दायरे में ही किए जाने चाहिए। राज्य में यदि ईसाई मिशनरियों की धर्मांतरणकारी व जनजाति विरोधी मानसिकता पर समय रहते अंकुश लगा दिया गया होता तो नारायणपुर के भोलेभाले समाज को सड़कों पर नहीं आना पड़ता। जनजाति समाज के हितों की रक्षा करना राज्य सरकार का परम कर्तव्य है।

विश्व हिंदू परिषद ने यह भी मांग की है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिशनरियों की बजाय, अपने जनजाति समाज के साथ खड़ा होना चाहिए। जिस प्रकार जनजाति समाज की रीति-रिवाजों, परंपराओं, मान्यताओं व देवी देवताओं का अपमान व उपहास इन ईसाई मिशनरियों के द्वारा उड़ाया जा रहा है तथा जनजाति के अस्तित्व को समाप्त करने के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं, उसे अब और नहीं सहा जाएगा। राज्य सरकार को इस विषय में गंभीरता से त्वरित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

 

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