इंदौर। कुआलालंपुर के मर्डेका स्टेडियम में हजारों भारतीय ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि भारत मैच में किसी तरह से बराबरी कर ले। उस मैच की आकाशवाणी से कॉमेंट्री हो रही थी और बताया जा रहा था कि जब असलम शेर खान को अजीत पाल ने पेनल्टी शॉट लेने के लिए इशारा किया तो उन्होंने एक बार आसमान की तरफ देखा मानो जैसे वो अपने रब से कुछ दुआ मांग रहे हों। गोविंदा के शॉट को अजीतपाल ने रोका और यह रहा शॉट असलम शेर खान का…उसके बाद हॉकी इंडिया टीम ने वर्ल्डकप जीतकर इतिहास रचा। जिसमें उस शख्स की भूमिका आज भी याद की जाती है जिसने एक बार तो यहां तक तय कर लिया था कि वह हॉकी स्टीक को हांथ तक नहीं लगाएगा। लेकिन किस्मत को तो जैसे कुछ और ही मंजूर था। आज बात उसी असलम शेरखान की हो रही है जो एक बार फिर राजनीति के मैदान में खुद इस संकल्प के साथ निकल पड़े हैं कि अपनी पार्टी में फिर से नया जोश और उत्साह भरा जाए। अपनी इस यात्रा की शुरूआत असलम ने बड़े ही सरल अंदाज में की । मीडिया से मुखातिब हुए तो अपने और पार्टी के दर्द को दबा न सके। सांसद राहुल गांधी का फेवर करते हुए मजबूती की बात की। बीजेपी में जा चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी बोले। कांग्रेस को अब किस तरह से किस वर्ग को साथ रखने पर फायदा मिल सकता है असलम ने खुलकर अपनी बात रखी। आपको याद दिला दें कि असलम शेरखान उन नेताओं में गिने जाते हैं जो राजनीतिक दूरदर्शिता से भरपूर हैं। साल 2011 में असलम ने कहा था कि सारे नेताओं को सबकुछ भूलकर पार्टी के लिए काम करना पड़ेगा तो बात बनेगी। बात पुरानी हुई पर नेताओं को माननी पड़ी। इसका परिणाम विधानसभा चुनाव में देखने को भी मिला। असलम शेरखान ही वो नेता थे जिन्होंने सबसे पहले वरिष्ठ नेता कमलनाथ को ही पीसीसी चीफ बनाने के बाद ही कांग्रेस के सत्ता में लौटने की सार्वजनिक घोषणा कर कई नेताओं के चहरे पर शिकन ला दी। फिर बात सच साबित हुई.. कमलनाथ ने मप्र में कांग्रेस की कमान संभाली और पार्टी 15 साल बाद सत्ता में लौट आई। सरकार चल ही रही थी कि बीच में कांग्रेस के हालात को भांप कर फिर इशारों इशारों चेताया। इस बार उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर कहा कि वो खुलकर अपनी बात पार्टी में रखें। शायद असलम सत्ता की लड़खड़ाह को भांप चुके थे, पर जानकार नहीं समझ पाए। हर बार कांग्रेस को फुल बैक देने वाले असलम शेरखान खान ने नागरिकता कानून पर भी खुलकर कांग्रेस का साथ दिया, अपने कट्टर विरोधी दिग्विजय सिंह के साथ भी कदम ताल करते नजर आए। अब जिस तरह से इंदौर से अपनी राजनीतिक यात्रा पर असलम शेरखान ने चलना शुरू किया है एक बार फिर वो दौर यहां के नेताओं में चर्चा का विषय बना है जब शेरखान को पीसीसी चीफ रहते हुए सुरेश पचौरी ने सारे गुटों से निपटने के लिए इंदौर में नगरीय निकाय चुनाव का और टिकट चयन का प्रभारी बनाया था। तब बड़े बड़े नेताओं को टिकट के लिए असलम तक जाना पड़ा था। शेरखान ने खुले तौर पर घोषणा की थी कि वो सबसे ज्यादा जीतने वाले उम्मीदवारों को ही टिकट देंगे उनकी उस बात को पचौरी ने भी खुले मन से स्वीकार किया था जिसके बाद परिणाम सबने देखा। इस बार फिर निगम चुनाव के पहले शेरखान की इस इंदौर यात्रा के मायने निकाले जा रहे हैं। कहने वाले तो इसे AIMIM के असाउद्दीन ओवैसी का कांग्रेसी जवाब असलम शेरखान को मान रहे हैं। औवेसी को लेकर राजनीतिक हवा है कि वो निकाय चुनाव में मप्र में कांग्रेस को चुनौती दे सकते हैं। कांग्रेस के पास फिलहाल मप्र की राजनीति में असलम शेरखान के अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है जो औवेसी को जवाब दे सके। शेरखान प्रदेश से लेकर देश की राजनीति को भी समझने में माहिर हैं।